A Handbook of Commerce and Management
ISBN: 978-93-93166-72-2
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भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था

 डॉ. महेंद्र कुमार खारड़िया
सहायक आचार्य
लेखा एवं व्यवसायिक सांख्यिकी विभाग
राजकीय लोहिया महाविद्यालय
 चूरू, राजस्थान, भारत 

DOI:10.5281/zenodo.8412882
Chapter ID: 18144
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भारत की प्राचीन ग्रामीण अर्थव्यवस्था मूलतः ग्राम प्रधान  अर्थव्यवस्था थी। भारतीय गांव आर्थिक दृष्टि से आत्मनिर्भर थे। भारतीयों की आवश्यकता सीमित थी, ग्राम शहरों से पृथक थे, लोगों का व्यवसाय योग्यता के स्थान पर जन्म व वंश द्वारा निर्धारित होता था। आर्थिक क्षेत्र में वस्तु विनिमय प्रथा प्रचलित थी और परिवहन के साधन भी सीमित थे।भारतीय ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ग्रामीण अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति अपने स्तर पर ही कर लेते थे और वस्तु विनिमय प्रथा के प्रचलन के कारण वस्तुओं के आदान-प्रदान के माध्यम से अपने दैनिक जीवन की आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती थी। इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था एक ग्राम प्रधान अर्थव्यवस्था थी परंतु आर्थिक क्रांति ने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को अत्यधिक प्रभावित किया है। भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में अगर हम चर्चा करें तो आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 के अनुसार भारत की 65% आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में ही रहती है और 47% आबादी की आजीविका का मुख्य आधार कृषि है।परंतु वर्तमान परिदृश्य के बारे में अगर हम बात करें तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में कृषि के प्रभुत्व के बारे में आम धारणा के विपरीत लगभग दो तिहाई ग्रामीण आय अब गैर कृषि गतिविधियों से उत्पन्न होती है।आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार पिछले 6 वर्षों में कृषि क्षेत्र की औसत वार्षिक वृद्धि दर 4.6% रही है।हालांकि ऐसे अन्य कई कारण है जिसे कृषि क्षेत्र और ग्रामीण आय काफी प्रभावित हो रही है। पिछले वर्षों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत ही कमजोर रही है जिसके मुख्य कारण के बारे में अगर हम बात करें तो वर्ष 2004 से पहले अर्थव्यवस्था में गंभीर मंदी और बढ़ती मजदूरी व  भारत के उर्वरक सब्सिडी सुधारों का खराब कार्यान्वन तथा गैसोलीन की उच्च कीमतों के कारण इनपुट लागत में वृद्धि के कारण उत्पन्न होने वाली समस्याओं की चेतावनी के संकेत पहले से थे और वर्ष 2014 और 2015 में लगातार सूखे की स्थिति बनी रहने के कारण यह समस्या और बढ़ गई ।लेकिन वर्ष 2016 में कृषि क्षेत्र के पुनरोद्धार होने से पूर्व  विमुद्रीकरण ने एक और नई समस्या खड़ी कर दी जिससे कई किसानों की स्थिति काफी दयनीय हो गई तब से अर्थव्यवस्था ने एक तेज मंदी का अनुभव किया और उसके बाद कोविड महामारी आ गई। जिसके कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बहुत गहरा आघात लगा। ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौती है मुद्रा स्फीति, ग्रामीण क्षेत्रों में उच्च मुद्रा स्फीति  के कारण ग्रामीण आबादी की क्रयशक्ति में गिरावट देखने को मिली है। कुछ मुद्रा स्फीति के कारण वास्तविक ग्रामीण वेतन वृद्धि नकारात्मक रही है हालांकि सुधार के कुछ संकेत दिखने लगे परंतु कमजोर ग्रामीण मांग तेजी से बढ़ रहे उपभोक्ता उत्पादों और अन्य टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं के लिए एक समस्या बनी है।इसके अलावा कृषि क्षेत्र संबंधी मुद्देभारत में कई ग्रामीण परिवारों  के लिए कृषि आजीविका का प्राथमिक स्रोत है सिंचाई सुविधाओं की कमीअपर्याप्त ऋण सुविधाएं, कृषि उपज के लिए कम कीमतें और अप्रत्याशित मौसम की स्थिति जैसे मुद्दे फसल की सफलता, बढ़ते कर्ज और किसानों की घटती आय का कारण बन सकते हैं ।ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ग्रामीण रोजगार के अवसर बहुत ही सीमित अवसरों ने लोगों को काम की तलाश में शहरी क्षेत्र में पलायन करने के लिए मजबूर किया है जिससे ग्रामीण समुदाओं का सामाजिक और आर्थिक विस्थापन हुआ है।इसके अतिरिक्त ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं जैसे पानी, बिजली, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा सुविधाओं तक पहुंच की कमी ने इन क्षेत्रों के विकास वृद्धि की क्षमता को सीमित कर दिया है।ग्रामीण क्षेत्र की इन समस्याओं के समाधान के लिएग्रामीण क्षेत्रों में विकास का लाभ समाज के सभी वर्गों को मिलना चाहिए नियोजित प्रयासों के बावजूद विकास की ज्योति अभी तक गांव तक नहीं पहुंच पाई है इसके लिए भारत के ग्रामीण विकास की दिशा में निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं।ग्रामीण क्षेत्र में आधुनिक कृषि तकनीक के प्रभाव को नियमित बनाया जाये। ऐसी व्यवस्था की जाए की किसानों को उन्नत किस्म के बीज, पानी, उर्वरक तथा अन्य कृषि आदान समय पर, उचित कीमतों पर तथा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाये। छोटे एवं सीमांत किसानों को इन सुविधाओं के संबंध में प्राथमिकता दी जाए।भू सुधार कार्यक्रमों को सही रूप में ईमानदारी के साथ क्रियान्वित किया जाये। मात्र कानून और अधिनियम इस उद्देश्य पूर्ति के लिए पर्याप्त नहीं है ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की जाए कि इन नियमों का उल्लंघन न हो और उल्लंघनकर्ता दंड का भागी बने।

1. भूमिहीन कृषकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाए ताकि वे गैर कृषि क्षेत्र में जीकोपार्जन के साधन तलाश कर सके। इससे कृषि भूमि पर जनसंख्या का दबाव कम होगा और एक सीमा तक बेरोजगारी की समस्या का समाधान भी हो सकेगा

2. सहकारी समितियां को नए सिरे से संगठित किया जाए एक प्रगतिशील सहकारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए उपयुक्त परिस्थितियों पैदा की जाए जिसका ढांचा विविध व्यवसायगत हो और जिसमें समुदाय के निर्बल वर्गों का शेष सफल वगों के समक्ष पहुंचने का अवसर मिले।

3. न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन पर बल गांव में ऐसी सार्वजनिक सेवाएं उपलब्ध कराई जाए जिसका लाभ प्रमुख रूप से समाज के कमजोर वर्ग को मिले शिक्षा, चिकित्सा, पेयजल,आवास, बिजली आदि पर विशेष ध्यान दिया जाये।समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम में निम्न बातों को प्राथमिकता दी जाएफसलों के ऐसे प्रारूप तैयार करना जिससे उपलब्ध साधनों का अनुकूलतम उपयोग हो सके, जोतो की चकबंदी, सिंचाई के साधनों का विकास, विद्युत शक्ति का समुचित प्रबंध, दूरसंचार की व्यवस्था, प्रौढ़ शिक्षा एवं चिकित्सा सेवाओं का विस्तार, वित्तीय एवं अन्य सहकारी संस्थाओं के माध्यम से प्राप्त मात्रा में कृषि आदान उपलब्ध कराना, स्वरोजगार के लिए ग्रामीण युवा वर्ग के प्रशिक्षण की व्यवस्था, गांव को सड़कों द्वारा शहरी मंडियों से जोड़ना और गांव में कुटीर उद्योगों का विकास करना आदि।इन सभी उपायों की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि देश में प्रशासनिक ढांचा कुशल हो इस ढांचे में कार्यरत कर्मचारी प्रशिक्षित हो तथा ग्राम विकास के प्रति निष्ठावान हो इसके अतिरिक्त ग्राम वासियों को भी सहयोग के साथ-साथ कार्य करना चाहिए तथा अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहने के साथ अपने कर्तव्यों के प्रति भी सचेत रहना चाहिए।

संदर्भ

1. आर्थिक  समीक्षा वर्ष 2022-23 वित्त मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली।

2. Economic survey 2021 22 New Delhi ministry of finance Gol

3. आर्थिक समीक्षा वर्ष 2021-22 वित्त मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली।

4. हिंदू बिजनेस लाइन"India rural economy diversifying"

5. रमेश सिंह, भारतीय अर्थव्यवस्था, mc Graw Hill education (India) private limited, Chennai 2022-23

6. डॉ बसंत लाल, ग्रामीण अर्थव्यवस्था अर्पण पब्लिकेशन नई दिल्ली, 2017

7. राजस्थान पत्रिका, दैनिक भास्कर, नवभारत टाइम्स हिंदुस्तान।