P: ISSN No. 2231-0045 RNI No.  UPBIL/2012/55438 VOL.- X , ISSUE- IV May  - 2022
E: ISSN No. 2349-9435 Periodic Research
माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण
Attitude Towards Modernity of Girl Students Studying at Secondary Level
Paper Id :  16161   Submission Date :  06/05/2022   Acceptance Date :  17/05/2022   Publication Date :  25/05/2022
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अनीता रानी गुप्ता
विभागाध्यक्ष
शिक्षक शिक्षा स्नातकोत्तर विभाग
आई0पी0(पी0जी0)कॉलिज, द्वितीय परिसर
बुलन्दशहर,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश परिवर्तन प्रकृति का नियम है। संसार में कोई भी पदार्थ ऐसा नहीं है कि जो स्थिर हो, उसमें कुछ न कुछ परिवर्तन सदैव होता रहता है। परिवर्तन के अभाव में हमारी सामाजिक उपलब्धि, समाजीकरण तथा सामाजिक नियन्त्रण कुछ भी सम्भव नहीं है। निश्चित और निरन्तर परिवर्तन मानव समाज की विशेषता है। समाज के कुछ तत्व परिवर्तन स्वीकार करते है तथा कुछ रूढ़िवादी तत्व विरोध करते है। भारत में परिवर्तन के लिए जिस मॉडल को अपनाया गया है, उसे आधुनिकीकरण की संज्ञा दी गयी है। भाषा, क्षेत्र, धर्म, जाति एवं प्रथाओं परम्पराओं का आधुनिकीकरण हुआ, यह सब तब हुआ जब मानव समाज की मनोधारणाओं में समाज को तथा सामाजिक स्थिति को लेकर परिवर्तन हुआ। भारतीय समाज में समय के साथ.साथ उतार चढ़ाव आते रहे है, जो विद्यार्थियों को बहुत अधिक प्रभावित करते है। अध्ययन में छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण देखने का प्रयास किया गया है। इस हेतु सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है। न्यादर्श के रूप में माध्यमिक विद्यालयों की 100 छात्राओं को लिया गया है। सोद्देश्य न्यादर्श विधि का उपयोग किया गया है। साथ ही प्रदत्तों के संकलन हेतु मानकीकृत उपकरण का प्रयोग किया गया है। सांख्यिकीय विधियॉ मध्यमान, मानक विचलन व क्रान्तिक अनुपात प्रयोग की गयी है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Change is the law of life. There is no substance in the world such that something which is stable, there is always some change in it. In the absence of change, nothing is possible for our social achievement, socialization and social control. Definite and constant change is the characteristic of human society. Some elements of the society accept the change and some conservative elements oppose it. The model adopted for change in India has been termed as modernization. Language, region, religion, caste and customs traditions were modernized, all this happened when there was a change in the perceptions of the human society regarding the society and social status. With the passage of time there have been ups and downs in the Indian society, which affect the students a lot. An attempt has been made in the study to see the attitude of the girl students towards modernity. For this survey method has been used. As a sample 100 girl students of secondary schools have been taken. Purposeful sampling method has been used. In addition, standardized tools have been used to collect the data. The statistical methods mean, standard deviation and critical ratio have been used.
मुख्य शब्द माध्यमिक स्तर, आधुनिकता, दृष्टिकोण ।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Secondary level, Modernization, Attitude.
प्रस्तावना
आधुनिक होने की प्रक्रिया को आधुनिकीकरण कहा जाता है। यह वर्तमान समाज में होने वाले बदलावो को दर्शाता है। यह वह प्रक्रिया है जिसके अन्तर्गत औद्योगिकीकरण ,शहरीकरण एवं तकनीकीकरण को बढ़ाने पर बल दिया गया है। यह एक अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है। यह समाज में एक ऐसा बदलाव है जो रूढ़िवादी सोच, परम्पराओं एवं कुरीतियों को कम करने का कार्य करता है। आधुनिकीकरण के अन्तर्गत व्यक्ति वैज्ञानिक सिद्धान्तों का प्रयोग करने हेतु प्राकृतिक संसाधनों का इस प्रकार प्रयोग करता है कि ज्यादा से ज्यादा लाभ प्राप्त हो सके। यह भौतिकवादी दृष्टिकोण में आस्था रखता है। साथ ही अंधविश्वास, धर्म निरपेक्षता, औद्योगिकरण, उच्च जीवन शैली,सभी इसमें एक सहायक तत्व की भूमिका निभाते हैं। आधुनिकता वर्तमान शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तनों का ही परिणाम है। शिक्षा एवं आधुनिकता में गहरा सम्बन्ध है। यह विद्यार्थियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विकास करता है एवं उन्हें अन्धविश्वासों से बाहर निकलने में मदद करता है एवं लोकतान्त्रिक मूल्यों का विकास करता है। परन्तु यह भी सत्य है कि आज युवा विद्यार्थी नयी.नयी ऊचाँईयों को छूना चाहता है तथा इसी प्रयास में भौतिकता को अपनाता जा रहा है। आज वह अपने माता-पिता तथा बुर्जुगों की बातों की अवहेलना करता है और यह समस्या लड़के तथा लड़कियों दोनों के साथ है। ये वर्ग अपने फैसले स्वयं लेना चाहते है। किसी भी व्यक्ति का हस्तक्षेप उन्हें अच्छा नही लगता है। वे किसी भी प्रकार से समाज में अपनी स्थिति अच्छी बनाना चाहते हैं। वे नयी-नयी मान्यताओं को अपनाते हैं रूढ़िवादी सोच का विरोध करते हैं। साथ ही जीवन के प्रति दृष्टिकोण तथा उनके मूल्यों भी में परिवर्तन आया है। यदि देखा जाए तो आज महिलाओं की शिक्षा, कार्यक्षेत्र तथा जिम्मेदारियों में परिवर्तन आया है। युवा विद्यार्थियों की विवाह, धर्म, शिक्षा, रूढ़िवादिता अनेक सामाजिक तथा सांस्कृतिक कार्यो के प्रति सोच बदली है। बदलते विचारों,विश्वासों तथा मूल्यों ने समाज के प्रत्येक पहलु को परिवर्तित कर दिया है। साथ ही धर्म निरपेक्षता को बढ़ावा मिलने से विद्यार्थी विवाह को एक समझौते के रूप में ले रहे हैं। अर्न्तर्जातीय विवाह हो रहे हैं। संयुक्त परिवार टूट रहे हैं क्योंकि वे केवल अपनी आवश्यकताओं को प्राथमिकता देते हैं ।प्रत्येक बात को तार्किक रूप में लेते है। इस क्षेत्र में अनेकों शोध कार्य हो चुके है। उनका अध्ययन करने के पश्चात् शोधकत्री ने जानने का प्रयास किया गया है कि क्या आधुनिकता आज के परिवर्तन के लिए उत्तरदायी है , क्या ये परिवर्तन सकारात्मक है ? इसी प्रकार के विचार से प्रभावित होकर शोधकत्री ने प्रस्तुत समस्या माध्यमिक स्तर पर अध्ययरनत् छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण का चयन किया है।
अध्ययन का उद्देश्य अध्ययन के उद्देश्य निम्नवत् है- 1. माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण का अध्ययन करना। 2. माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत धनी एवं निर्धन वर्ग की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण का अध्ययन करना। 3. माध्यमिक स्तर पर संयुक्त एवं एकल परिवार की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण का अध्ययन करना।
साहित्यावलोकन

मनीषा (2017) ने अपने अध्ययन भारत में आधुनिकीकरण का प्रभाव में ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र की दलित महिलाओं की तुलना करते हुए यह ज्ञात करने का प्रयास किया है कि आधुनिकीकरण की प्रक्रिया का दलित महिलाओं की परिवार में स्थितिए समाज में स्थिति, शिक्षा रोजगार के क्षेत्र में स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ता है, तथा इससे इन महिलाओं के दृष्टिकोण में क्या बदलाव आया है, किन क्षेत्रों में सकारात्मक एवं किन क्षेत्रों में नकारात्मक परिवर्तन हुए है

सुनीता शुक्ला (2019) ने अपने अध्ययन हिलाओं के आर्थिक जीवन पर आधुनिकीकरण का प्रभाव में पाया कि आधुनिकीकरण के प्रभाव के कारण महिलाओं की स्थिति में बदलाव आया है। साथ ही संकीर्ण विचारधारा भी बदली है। लेकिन कहीं  कहीं इन बदलावों के कारण नैतिक मूल्यों का हृास भी हुआ है।

परिकल्पना अध्ययन की परिकल्पनाएं निम्नलिखित हैं-
1. माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् शहरी एवं ग्रामीण छात्राओं की आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण मे कोई सार्थक अन्तर नही है।
2. माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् निर्धन एवं धनी वर्ग की छात्राओं की आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण मे कोई सार्थक अन्तर नही है।
3. माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् संयुक्त एवं एकल परिवार की छात्राओं की आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण मे कोई सार्थक अन्तर नही है।
सामग्री और क्रियाविधि
अध्ययन हेतु सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है।
न्यादर्ष

प्रस्तुत अध्ययन में न्यादर्श के रूप में 04 माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनरत् 100 छात्राओं का चयन सौद्देश्य न्यादर्श विधि से किया गया है। 

प्रयुक्त उपकरण प्रस्तुत अध्ययन हेतु आर0एस0 सिंह, ए0एन0 त्रिपाठी, रामजीलाल द्वारा निर्मित मोडर्नाइजेशन स्केल का प्रयोग किया गया है। स्केल में कुल 32 प्रश्न है। जिसमें आधुनिकता के मापन के लिए चार क्षेत्र सम्मिलित किये गये हैं,जो इस प्रकार है-
1. सामाजिक धार्मिक
2. विवाह
3. महिलाओं की स्थिति
4. शिक्षा
अध्ययन में प्रयुक्त सांख्यिकी

प्रस्तुत अध्ययन में निम्नलिखित सांख्यिकीय प्रविधियों का प्रयोग किया गया है .

1. मध्यमान (Mean)

2. मानक विचलन (Standard Deviation)

3. क्रान्तिक अनुपात (CR)

विश्लेषण

प्राप्त प्रदत्तों का विश्लेषण एवं अर्थापन उद्देश्यों एवं परिकल्पनाओं के आधार पर किया गया है जो कि निम्नलिखित है-


तालिकासे स्पष्ट है कि माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् शहरी  ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति मध्यमान क्रमशः 129.51 एवं 128.46 एवं मानक विचलन 17.20 एवं 20.51 है। क्रान्तिक अनुपात का मान 0.2711 हैए जो कि 5% सार्थकता स्तर के मान 1.98 से कम है। 

अतः शून्य परिकल्पना "माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् शहरी एवं ग्रामीण छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण में सार्थक अन्तर नही है", स्वीकार की जाती है।


तालिका 2 से स्पष्ट है कि माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् धनी एवं निर्धन परिवार की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति मध्यमान क्रमशः 132.72 एवं 125.4 एवं मानक विचलन 16.14 एवं 20.30 है।  क्रान्तिक अनुपात का मान 02 है, जो कि 5% सार्थकता स्तर के मान 1.98 से अधिक है।

अतः शून्य परिकल्पना "माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् धनी एवं निर्धन परिवार की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण में सार्थक अन्तर नही है", अस्वीकार की जाती है।


तालिका 3 से स्पष्ट है कि माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् संयुक्त एवं एकल परिवार की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति मध्यमान क्रमशः 125.02 एवं 133.04 एवं मानक विचलन 16.58 एवं 19.10 है।  क्रान्तिक अनुपात का मान 2.246 है, जो कि 5% सार्थकता स्तर के मान 1.98 से अधिक है।

अतः शून्य परिकल्पना "माध्यमिक स्तर पर अध्ययननत् संयुक्त एवं एकल परिवार की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण में सार्थक अन्तर नही है", अस्वीकार की जाती है।

जाँच - परिणाम 1. माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण में सार्थक अन्तर नहीं है। शहरी छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण ग्रामीण छात्राओं की अपेक्षा अधिक सकारात्मक है, परन्तु यह अन्तर सार्थक नही है। 2. माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् धनी एवं निर्धन परिवार की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण में सार्थक अन्तर है। धनी परिवार का छात्राओं की आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण निर्धन परिवार की छात्राओं की अपेक्षा अधिक है। 3. माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत् संयुक्त एवं एकल परिवार की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण में सार्थक अन्तर है।एकल परिवार की छात्राओं का आधुनिकता के प्रति दृष्टिकोण अधिक सकारात्मक है।
निष्कर्ष अध्ययन के के निष्कर्ष निम्नलिखित है- 1. छात्राओं को नैतिक शिक्षा का ज्ञान अवश्य देना चाहिए ताकि वे अपने से बड़े तथा छोटे का आदर, सम्मान करना सीख सकें। 2. छात्राओं को उनकी संस्कृति तथा सभ्यता का ज्ञान अवश्य कराना चाहिए, जिससे वे अपनी संस्कृति को धरोहर की रूप में रखे तथा आधुनिकता से प्रभावित होने पर भी अपनी संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुँचा सकें। 3. विद्यालयों में स्त्रियों तथा पुरूषों में भेदभाव पैदा करने वाली रूढ़िवादिता को कम करने के लिए शिक्षा देनी चाहिए। 4. लड़कियों को शिक्षा से वंचित नहीं रखना चाहिए, उनके लिए सरकार को नये-नये कार्यक्रम चलाने चाहिए। 5. नयी मान्यताओं को स्वीकार करने के लिए दृढ़ एवं समाज उपयोगी विचार होने चाहिए ,इसके लिये शिक्षा से बड़ा कोई हथियार नहीं है। 6. छात्राओं को उनके कर्तव्यों तथा अधिकारों के विषय में ज्ञान अवश्य कराना चाहिए। 7. छात्राओं में वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना चाहिए। 8. छात्राओं में प्रजातान्त्रिक मूल्यों एवं नेतृत्व के गुणों को भी विकसित किया जाना चाहिए। 9. सरकार द्वारां जातिगत भेदभाव को दूर करने सम्बन्धी प्रावधान किये जाने चाहिए। 10. सामाजिक एवं राष्ट्रीय एकता को बनायें रखने के लिए सामाजिक एवं राष्ट्रीय त्यौहारों को एक साथ मनाया जाना चाहिए। 11. छात्राओ को इस प्रकार की शिक्षा दी जानी चाहिए, जिससे की वह संयुक्त परिवार के महत्व को समझ सकें और वे अपने संयुक्त परिवार को टूटने से बचा सकें। 12. शिक्षा इस प्रकार की होनी चाहिए, जो कि छात्राओं को विदेशी संस्कृति से प्रभावित हुये बगैर अपने देश के मूल्यों को ध्यान में रखते हुए उन्नति के शिखर की ओर बढ़ा सकें। 13. आधुनिकता यदि छात्राओं के द्वारा अपनायी भी जाये तो वह सृजनात्मक होनी चाहिए न कि विध्वंसक। 14. संस्कृति, परम्परा तथा सभ्यता के ज्ञान के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाना चाहिए। 15. आर्थिक रूप से पिछडे़ वर्ग की शिक्षा के लिए विशेष प्रावधान किये जाने चाहिए। 16. विद्यालय में खेलकूद प्रतियोगिताओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा वाद-विवाद प्रतियोतिगताओं का आयोजन किया जाना चाहिए। छात्राओं को इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, जिससे उनमें सहयोग, सहायता, सहनशीलता, त्याग आदि जैसे सामाजिक गुणों को विकास हो सकें।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव इसके लिये निम्नखित सुझाव है-
1. स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों पर आधुनिकता का प्रभाव एवं मूल्यों में परिवर्तन का अध्ययन किया जा सकता है।
2. प्रस्तुत अध्ययन छात्राओं पर किया गया है। इसे लड़के तथा लड़कियों पर भी किया जा सकता है।
3. प्रस्तुत अध्ययन एक महाविद्यालय से न्यादर्श लेकर किया गया है, जबकि इसे विभिन्न महाविद्यालयों से न्यादर्श लेकर भी किया जा सकता है।
4. अध्यापकों की आधुनिकता के प्रति अभिवृत्ति का अध्ययन भी किया जा सकता है।
5. आधुनिकता के साथ.साथ मूल्यों को जोड़कर भी अध्ययन किया जा सकता है।
6. प्रस्तुत अध्ययन आर्थिक स्थिति, परिवार के प्रकार आदि पर किया गया है। इस अध्ययन को विवाहित तथा अविवाहित छात्र-छात्राओं तथा जाति एवं धर्म पर भी किया जा सकता है।
7. आधुनिकता के प्रभाव का अध्ययन अभिभावकों पर भी किया जा सकता है।
8. संयुक्त परिवार के विघटन में आधुनिकता के प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है।
9. स्त्रियों की आधुनिकता के प्रति सोच पर घरेलू महिलाओं के प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है।
10. सरकारी तथा प्राइवेट संस्थाओं में कार्यरत महिलाओं पर आधुनिकता के प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है।
11. इस अध्ययन को उच्च स्तर पर लड़के तथा लड़कियों का तुलनात्मक अध्ययन भी किया जा सकता है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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