ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VII , ISSUE- V June  - 2022
Innovation The Research Concept
बी प्रभा की चित्रांकन यात्रा
Portrait Journey of B Prabha
Paper Id :  16202   Submission Date :  18/06/2022   Acceptance Date :  20/06/2022   Publication Date :  25/06/2022
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रचना निगम
असिस्टेंट प्रोफेसर
चित्रकला विभाग
एस.एन. सेन बी.वी. पी.जी. कॉलेज
कानपुर ,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश भारतीय कला जगत में अपना सशक्त स्थान बनाने वाली वरिष्ठ महिला चित्रकार बीप्रभा का जीवन अत्यंत रोचक है। लेखिका का शोध विषय महिला कलाकारों पर केंद्रित था। उसमें विशेष रूप से बीप्रभा जी के व्यक्तित्व से लेखिका अत्यंत प्रभावित थी। उनकी कला शैली व नारी चित्रण की सरल व सुंदर प्रस्तुति ने लेखिका के दिलो-दिमाग में जगह बना ली। उन्होंने भारत के सामान्य दैन्वदिनी जीवन की अपूर्ण छवियां खड़ी की है। उनकी कलाशक्ति की भी कथा कहते हैं। उनके जीवन परिचय के माध्यम से हम उनसे और परिचित हो सकेंगे। उनका जन्म 1935 बेला गांव नागपुर के पास मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था उनके पिताजी रेलवे में कार्य करते थे इस कारण बी प्रभा की एक स्थान पर रहकर शिक्षा पूर्ण नहीं हो पा रही थी। और जहां जाती थी वहीं शिक्षा होती जाती थी, मैट्रिक होने के बाद आपके बड़े भाई ने बीप्रभा की कला में रुचि देखकर महसूस किया कि यह जेजे स्कूल आफ आर्ट में पड़ सकती है, बड़े भाई ने उस दुख के क्षणों में बी प्रभा को एक स्केच बुक लाकर दी और इन्होंने उसमें चित्रों को करना प्रारंभ किया । बी प्रभा की शिक्षा सर जेजे स्कूल आफ आर्ट में पूर्ण हुईअपने छात्र जीवन में प्रभा जी ने कला के क्षेत्र में विश्व स्तर पर हो रहे कामों की जानकारी प्राप्त की और स्वयं म्यूरल बनाने की विशेषता प्राप्त की। 1950 में बी प्रभा ने जब कला जगत में प्रवेश लिया तब अमृता शेरगिल का सितारा बुलंदी पर था।छात्र जीवन में ही उनकी रूचि जिन कलाकारों के प्रति थी उसमे पल्सीकर, बेंद्रे, और अमृताशेरगिल, पिकासो, गोगा आदि उल्लेखनीय हैं। बी प्रभा जी अपने पति प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री विट्ठल जी के साथ जहांगीर आर्ट गैलरी में हर 3 महीने में जल रंग से निर्मित चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित किया करती थी आपने प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री विट्ठल जी के साथ विवाह संपन्न किया। प्रारंभिक दिनों में जल रंगों में काम करने के बाद उन्होंने प्रथम तैल रंगों की पहली प्रदर्शनी बी प्रभा ने दिल्ली में की जो काफी सफल रही। इनका काम सबको पसंद आया और कला प्रतिभा की प्रशंसा होने लगी इसी के साथ इनकी कृतियां बिकने लगी। बीप्रभा द्वारा चित्रों में जीवन का संघर्ष, झोपड़पट्टी की गरीबी की प्रधानता थी। उनके चित्रों की समीक्षाएं सम आलोचनाएं चित्रकला के आलोचकों का विषय तब से लगातार बनी हुई है। बी प्रभा ने 1987 तक लगभग 2000 चित्रों का सृजन किया और यही सब चित्र बिक गए इनकी 58 सदस्यों का आयोजन हो चुका है और सभी सफल रहे हैं। बी प्रभा के विषय में नारी का सर्वोच्च स्थान रहा है जो विभिन्न रूपों व संघर्षरत चित्र प्रस्तुत करती है। नारी सौंदर्य की जो परिभाषा भी बी प्रभा की कलाकृतियों में प्रगट हुई है वह अद्वितीय है बी प्रभा के विषय में नारी का सर्वोच्च स्थान रहा है जो विभिन्न रूपों व संघर्षरत चित्र प्रस्तुत करती है। चित्रकला जगत में नारी पात्र एक ऐसा विषय रहा है जिसमें चित्रकारों की तूलिका ने सर्वाधिक समय दिया है बी प्रभा ने अपने पूर्ववर्ती और समकालीन चित्रकारों की धारा में नारी को अपना विषय तो बनाया है बी प्रभा अपनी सामाजिक जागरूकता अपने रंगों की पहचान की प्रतिभा के माध्यम से उनकी पहचान बनाने में सफल रही। बीप्रभा की मछुआरिन इतनी अधिक पसंद की गई कि उस पृष्ठभूमि के उन्होंने लगभग पंद्रह सौ चित्र बनाएं। अभी भी इस पृष्ठभूमि के चित्रों की मांग है। मुंबई में कादंबिनी के कवर पेज पर मार्च-अप्रैल 1998 में यह कृति छपी थी। इसमें मछुआरे की लंबी गर्दन और शारीरिक रूप रेखा पाताल में अत्यंत संतुलित था। प्रभा के चित्रों में कई तत्व हैं और उन तत्वों को रोचक ढंग से एकत्रित करना एक ऐसा जादू है जो भी प्रभावी कर सकती हैं प्रभा जी के विचार से चित्रकार के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी होती है पहली यह जो वास्तविक है उसका चित्र और दूसरी अपनी शैली को बनाए रखना। बीप्रभा की प्रदर्शनी फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, और अमेरिका में आयोजित हो चुकी है। बी प्रभा के चित्र बिना हस्ताक्षरित होते हुए भी अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं। इसी विषय में भी प्रभा जी के हस्ताक्षर स्वयं में एक सफल संयोजन से कम नहीं है हस्ताक्षर की रेखाएं स्वयं एक चित्र समान है भेट वार्ता में मैंने उनसे प्रश्न पूछा कि आप के चित्रों में गर्दन लंबी ही क्यों होती है उनके उत्तर में वह बोली, मुझे लंबी गर्दन पसंद है और मेरी लंबी गर्दन नहीं है तो मैंने चित्रों के माध्यम से अपनी यह इच्छा पूर्ण की। प्रभा अमृता शेरगिल से प्रेरित है। बी प्रभा की चित्र साधना एक ऐसी तपस्चर्या है जिसमें अकादमी दृश्य से पूर्णता है साथ ही एक पेशेवर चित्रकार का भी उनके चित्र केवल चित्र प्रदर्शनी या गैलरी या धनाढ्य के स्वागत कक्ष की शोभा नहीं बढ़ाता, बल्कि संग्रहालयो तथा प्रसिद्ध स्थानों में भी उनके चित्र का संघर्ष स्वीकार किया जाता है। बी प्रभा के चित्रों की संपूर्णता और नारी को महत्वपूर्ण स्थान देने के साथ-साथ सामाजिक विषयों और मूल्यों को साथ में लेते हुए चित्रों का निर्माण करती हुई है आज वह हमारे बीच उपस्थित नहीं है परंतु उनकी चित्र और उनकी प्रेरणा हमेशा हमारे बीच हमेशा उपस्थित रहेगी।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The life of senior female painter Biprabha, who has made her strong place in the Indian art world, is very interesting. The research topic of the author was focused on women artists. In that the writer was very much impressed, especially by the personality of Biprabha ji. The simple and beautiful presentation of her art style and female portrayal made a place in the heart and mind of the writer. They have created incomplete images of the ordinary everyday life of India. The story of his artistic power is also told.
Through his biography, we will be able to get acquainted with him more. He was born in 1935 in a middle class family near Bela village Nagpur, his father worked in the railways, due to which B Prabha's education could not be completed by staying at one place. And education used to go wherever he went, after matriculation your elder brother took interest in Biprabha's art and realized that it could be in JJ School of Art, elder brother gave a sketch to B Prabha in those sad moments He brought the book and he started doing pictures in it. B Prabha's education was completed at Sir JJ School of Art. In his student life, Prabha ji got information about the work being done at the world level in the field of art and got the specialty of making mural himself. When B Prabha entered the art world in 1950, Amrita Shergill's star was on the rise. Pulsikar, Bendre, and Amrita Shergill, Picasso, Goga etc. are notable among the artists who were interested in her student life itself. B. Prabha ji with her husband famous sculptor Shri Vitthal ji used to organize exhibition of watercolor paintings in Jehangir Art Gallery every 3 months. You got married with famous sculptor Shri Vitthal ji. After working in watercolors in the initial days, he did the first oil color exhibition in Delhi by B Prabha which was very successful. His work was liked by everyone and art talent started being praised, with this his works started selling. The struggle of life, the predominance of slum poverty in the paintings by Biprabha. Reviews of his paintings have been a frequent subject of critics of painting ever since.
B Prabha created about 2000 paintings till 1987 and all these pictures were sold, his 58 members have been organized and all have been successful. In the context of B Prabha, woman has the highest position, which presents different forms and struggling pictures. The definition of female beauty which has also appeared in B Prabha's artworks is unique, about B Prabha, woman has been in the highest position, which presents various forms and struggling pictures. In the painting world, female characters have been a subject in which painters have devoted most of their time. He was successful in making his mark. Biprabha's fisherman was so much liked that he made about fifteen hundred pictures of that background. There is still a demand for this background pictures. The work was published on the cover of Kadambini in Mumbai in March-April 1998. In this, the long neck and physical appearance of the fisherman was extremely balanced in the Hades.
There are many elements in Prabha's paintings and to collect those elements in an interesting way is such a magic that can be effective. In Prabha ji's view, the painter has a dual responsibility, first the picture of what is real and secondly his style. maintain. Biprabha's exhibition has been organized in France, Germany, England, and America. B Prabha's pictures make their own identity even without being signed. In this subject also, Prabha ji's signature is not less than a successful combination in itself, the lines of the signature itself are like a picture, in the meeting, I asked him the question that why the neck is long in your pictures, in his answer he said, I I like long neck and I don't have long neck so I fulfilled my wish through pictures.
Prabha is inspired by Amrita Shergill. B Prabha's Chitra Sadhana is such an asceticism in which there is perfection from the academy scene as well as that of a professional painter, his portrait not only adorns the picture exhibition or gallery or reception hall of the rich, but also the struggle of his painting in museums and famous places. is accepted. B Prabha's paintings have been created taking together social themes and values ​​along with giving an important place to women and today she is not present among us but her pictures and her inspiration will always be present among us.
मुख्य शब्द बी प्रभा, भारतीय कला जगत, चित्रकला।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद B. Prabha, Indian Art World, Drawing and Painting.
प्रस्तावना
बी प्रभा जी के संघर्षशील जीवन और चुनौतीपूर्ण कला वातावरण में आपने सदैव अपनी सहजता और अपने शालीन व्यक्तित्व तथा अपने तूलिका के माध्यम से चित्रांकन यात्रा को पूर्ण किया जो आज सभी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है आपके चित्र अभी भी जीवंत हैं उसकी नारी आज भी संघर्ष करती हुई दिखाई देती है।
अध्ययन का उद्देश्य जब अपना शोध प्रारंभ किया तो प्रारंभिक समय में हमें आप के विषय में कोई भी जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई क्योंकि आपके बारे में इतना लिखा नहीं गया परंतु आज इंटरनेट के माध्यम से सब लोग आपके बारे में जान सकते हैं परंतु किताबों में आप के विषय में जो कमी है उस को ध्यान में रखते हुए इसलिए यह शोध पत्र समस्त जनमानस के सामने प्रस्तुत करने का लेखिका के उद्देश्य है।
साहित्यावलोकन

इस शोध पत्र का विषय महिला कलाकारों के ऊपर आधारित था जिसमें विशेषकर प्रभा जी से मैं अत्यंत प्रभावित हुई और उनके ऊपर शोध करने की इच्छा जागृत हुई जब लेखिका ने उनकी विषय में पढ़ा और लेखिका उनसे मिली तो वह इच्छा और दृढ़ इच्छा के रूप में परिवर्तित हो गई आपका अपने स्टूडियो में बैठकर एक तपस्वी के रूप में कला का निर्माण करना लेखिका को अत्यंत प्रभावित कर गया और इसी कारण लेखिका ने यह शोध पत्र आप के प्रति समर्पण की भावना से प्रस्तुत किया है।

मुख्य पाठ

जब समकालीन भारतीय कलाकार अपनी विपुल धरोहर की ओर पलटते हैं। तो उससे भी एक नया संबंध बनाने के लिए सिर्फ उसे दोहराने के लिए नहीं भारतीय कला जगत में अपना सशक्त स्थान बनाने वाली वरिष्ठ महिला चित्रकार बी प्रभा का जीवन अत्यंत रोचक है। लेखिका का शोध विषय महिला कलाकारों पर केंद्रित था। उसमें विशेष रूप से  बीप्रभा जी के व्यक्तित्व से लेखिका अत्यंत प्रभावित थी। उनकी कला शैली व नारी चित्रण की सरल व सुंदर प्रस्तुति ने लेखिका के दिलो-दिमाग में जगह बना ली। उन्होंने भारत के सामान्य दैन्वदिनी जीवन की अपूर्ण छवियां खड़ी की है।  उनकी कलाशक्ति की भी कथा कहते हैं।

उनके जीवन परिचय के माध्यम से हम उनसे और परिचित हो सकेंगे। उनका जन्म 1935 बेला गांव नागपुर के पास मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ था उनके पिताजी रेलवे में कार्य करते थे इस कारण बी प्रभा की एक स्थान पर रहकर शिक्षा पूर्ण नहीं हो पा रही थी। और जहां जाती थी वहीं शिक्षा होती जाती थी, मैट्रिक होने के बाद आपके बड़े भाई ने बीप्रभा की कला में रुचि देखकर महसूस किया कि यह जेजे स्कूल आफ आर्ट में पड़ सकती है, परंतु ईश्वर की इच्छा अनुसार उन्हीं दिनों प्रभा की मां का देहांत हो गया और उनका मन किसी काम में नहीं लगता था।

बड़े भाई ने उस दुख के क्षणों में बी प्रभा को एक स्केच बुक लाकर दी और इन्होंने उसमें चित्रों को करना प्रारंभ किया और 1949 में नागपुरी स्कूल ऑफ आर्ट्स में उनका दाखिला करा दिया गया जहां से उन्होंने 1953 में 4 वर्षीय डिप्लोमा पूरा किया।

इसके पश्चात भी बीप्रभा जेजे स्कूल ऑफ आर्ट में प्रवेश लेने के लिए मुंबई पहुंची और दाखिला ले लिया यहीं से बीप्रभा ने कला के क्षेत्र में अपनी कला यात्रा प्रारंभ की।

बीप्रभा जेजे स्कूल आफ आर्ट में पहले दिन वही वही का्फृटी बाजार के पास उन्होंने एक मछुआरो को देखा और उसकी छवि उनके मन मस्तिष्क पर इस प्रकार पड़ी कि वह उनके चित्रों की एक जानी पहचानी शैली बन गई।

बीप्रभा की कला यात्रा अत्यंत संघर्षशील थी, जो संघर्ष है उसी के सामान पर चलते हुए उन्होंने चित्रकला के क्षेत्र में अपनी पहचान बहुत पहले ही निश्चित कर ली थी इस कारण प्रतिभा और संघर्ष उनकी चित्रकला साधना में स्पष्ट रूप से झलकता है।

1950 में बी प्रभा ने जब कला जगत में प्रवेश लिया तब अमृता शेरगिल का सितारा बुलंदी पर था।

आपने अपना पहला शो 1956 में किया इस चित्र प्रदर्शनी में उनके चित्रों का कोई ग्राहक नहीं था वह बहुत भावुक होकर बताती थी कि प्रदर्शनी के अंतिम दिन डॉक्टर भावा ने न केवल उनके 4 चित्रों को खरीद कर प्रोत्साहित किया बल्कि आजीवन मेरे संरक्षक बनी रहे।

अपने छात्र जीवन में प्रभा जी ने कला के क्षेत्र में विश्व स्तर पर हो रहे कामों की जानकारी प्राप्त की और स्वयं म्यूरल बनाने की विशेषता प्राप्त की और कुछ दिन कार्य किया इस दौरान पश्चिमी कला आंदोलन की कुछ पहेलियों का प्रभाव भी प्रभाव पड़ा और वह पालक्ली से प्रभावित होकर अपनी कला में उसी तरीके के प्रयोग  करने का निश्चय किया। छात्र जीवन में ही उनकी रूचि जिन कलाकारों के प्रति थी उसमे पल्सीकर, बेंद्रे, और अमृताशेरगिल, पिकासो, गोगा आदि उल्लेखनीय हैं।

बी प्रभा जी अपने पति प्रसिद्ध मूर्तिकार श्री विट्ठल जी के साथ जहांगीर आर्ट गैलरी में हर 3 महीने में जल रंग से निर्मित चित्रों की प्रदर्शनी आयोजित किया करती थी उनका कहना है कि तब हमारे पास तैल रंग खरीदने के लिए पैसे नहीं थे।

1958 में भी प्रभाव को महाराष्ट्र की तरफ से स्टेट गवर्नमेंट का पुरस्कार मिला फिर उन्होंने तैल रंगों को खरीद कर उसमें कार्य प्रारंभ किया तैल रंगों की पहली प्रदर्शनी बी प्रभा ने दिल्ली में की जो काफी सफल रही। इनका काम सबको पसंद आया और कला प्रतिभा की प्रशंसा होने लगी इसी के साथ इनकी कृतियां बिकने लगी।

इसी बीच 1958 में एयर इंडिया में भी बीप्रभा को अपने जेट वायुयान एंपरर अकबर की आंतरिक साज-सज्जा हेतु चित्रकारी करने का आमंत्रण दिया इस चुनौतीपूर्ण आमंत्रण का  जिस तरह से निर्वाह किया वह बहुत विरोधाभासी था क्योंकि अब तक बीप्रभा द्वारा  चित्रों में जीवन का संघर्ष,झोपड़पट्टी की गरीबी की प्रधानता थी ।और एयर इंडिया की सजावट में उन्हें अनेक प्रकार के अलंकरण जो अति संपन्नता के प्रतीक थे का चित्रण करना था।

इसी क्रम में बी प्रभा ने एयर इंडिया के जम्मू हवाई जहाज तथा पांच सितारा होटलों की आंतरिक साज-सज्जा हेतु चित्रकारी की वह ना केवल राष्ट्रीय स्तर पर थी बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराही गई है।

इस प्रकार फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा उनके चित्रों की समीक्षाएं सम आलोचनाएं चित्रकला के आलोचकों का विषय तब से लगातार बनी हुई है।

बी प्रभा ने 1987 तक लगभग 2000 चित्रों का सृजन किया और यही सब चित्र बिक गए इनकी 58 सदस्यों का आयोजन हो चुका है और सभी सफल रहे हैं।

प्रभा के चित्र बर्लिन के संग्रहालय से नेशनल आर्ट गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल, भावा एटॉमिक एनर्जी सेंट्रल तथा भावा के व्यक्तिगत संग्रह में सम्मिलित हो चुके हैं।

लेखिका ने जब उनसे भेंट की तो वह बहुत प्यार से बोली थी आपकी फोन पर आवाज सुनकर मुझे बहुत अच्छा लगा मैंने सोचा कि मुझे इन से मिलना चाहिए।

बी प्रभा अपने चित्रों के विषय को 3 वर्गों में विभाजित करती है नं-1 विभिन्न प्रकार के मूड और उनके प्रभावनं-2 -गुड़ियों का संसार नं-3 उनकी श्रंखलाबदृ चित्रकारी, परंतु बी प्रभा के विषय में नारी का सर्वोच्च स्थान रहा है जो विभिन्न रूपों व संघर्षरत चित्र प्रस्तुत करती है।

नारी सौंदर्य की जो परिभाषा भी बी प्रभा की कलाकृतियों में प्रगट हुई है वह यथार्थता के बहुत समीप है बी प्रभा के चित्रों की नारी ना तो कमसिन है ना गज गामिनी और ना ही कामसूत्र की देवी उनके द्वारा चित्रित नारी अपने श्रम कर जीने वाली उत्पीड़न सहने वाली और जीवन के संघर्ष में आशावादी दृष्टिकोण वाली है।

चित्रकला जगत में नारी पात्र एक ऐसा विषय रहा है जिसमें चित्रकारों की तूलिका ने सर्वाधिक समय दिया है बी प्रभा ने अपने पूर्ववर्ती और समकालीन चित्रकारों की धारा में नारी को अपना विषय तो बनाया है लेकिन एक नई परिभाषा के साथ उनके द्वारा चित्र नारी समाज के यथार्थ को भोंगती भविष्य के प्रति आशान्वित होकर प्रतिज्ञा रत है।

इसी श्रंखला में उनके वरुणा 9891 में उन चित्रों का सृजन हुआ जब मुंबई और उसके समीप के क्षेत्र समुद्री तूफान में प्रभावित हुए थे, बी प्रभा का यह चित्र उनके सामाजिक बोध को स्पष्ट रूप से उजागर करता है। ताज आर्ट गैलरी में प्रदर्शनी के समय वार्ता में बोली कि प्रत्येक वर्ष में कुछ नया प्रस्तुत करने का प्रयास करती हूं इस वर्ष मैंने कैनवास पर बिना कुछ सोचे जो कुछ भी मन में आया और मेरे अंतर्मन को छुआ मैंने उसे चित्रित किया। बी प्रभा अपनी इसी टिप्पणी का कारण बताते हुए कहती हैं कि कुछ महीने पहले अहमदाबाद से वापस आते हुए हवाई जहाज में हमारा  सामना एक तूफान से हुआ। हमारा जहाज जमीन पर नहीं उतर सका और हमें बड़ौदा जाना पड़ा पर मैं उस दृश्य के भौतिक स्वरूप को देखकर और उसकी अनुभूति करके बहुत प्रभावित हूं मुंबई आकर हमने उस तूफान के द्वारा किया गया विध्वंस देखा जिसमें अनेक लोग मरे और इमारतें ध्वस्त हुए तभी मैंने अनुभव किया कि जीवन के पांच तत्वों के सामने हम कितने असहाय और शक्तिहीन है इस कारण वरुणा 19 के चित्रों में तूफान से प्रभावित परिवार अकेले गृह विहीन महिलाएं व बच्चों को प्रस्तुत किया।

बी प्रभा ने ऑस्ट्रेलिया की यात्रा की और वहां के मानव जीवन का तथा अपने देश के मानव जीवन से तुलनात्मक जो अनुभव किया वह उनके चित्रकला में चित्रित हुआ। सामाजिक जीवन के प्रति बी प्रभा जी की जागरूकता व संवेदना ने उनके चित्रों को विशिष्ट बना दिया। बी प्रभा में 1971 में बांग्लादेश के शरणार्थियों के जीवन को अपना विषय बनाया और जो चित्र चित्रित किए, वह भारत में भूख श्रंखला के नाम से जाने जाते हैं। चित्र प्रस्तुति एक चरमोत्कर्ष थी। और इसमें बी प्रभा अपना प्रिय विषय गांव की नारी से दूर हटती प्रतीत होती हैं, लेकिन अपनी सामाजिक जागरूकता अपने रंगों की पहचान की प्रतिभा के माध्यम से उनकी पहचान बनाने में सफल रही।

डॉक्टर होमी भाभा के घटना अनुसार "भूख संख्या के चित्र इतने वास्तविक है कि इन चित्रों को देखकर भोजन कक्ष में खाना नहीं खाया जा सकता है।"

नसीम के अनुसार "एक व्यक्ति की तरह भी प्रभावित ऐसी चित्रकार है जो पूरी तरीके से भारतीय नारी हैं परंपरावादी हैं जो पुराने विचारों वाली हैं जो रूढ़िवादी हैं लेकिन उनका मन मस्तिष्क सूलेपन की तरह है और वह समकालीन सामाजिक जीवन से जुड़ा है वह बहुत शीघ्रता के साथ घुलमिल जाती हैं और बिना किसी प्रयत्न के बिन विचार रखने वालों से मिल लेती है अपनी पहचान बना लेती हैं। यह पहचान बनाने की यह कला उनका बल है और उनकी कमजोरी है और उनकी लोकप्रियता का रहस्य है।"

चित्रों में पीला व सफेद रंगों का विशेष स्थान है उनके साथ लाल व नारंगी तथा हरे रंगों का सामंजस्य चित्रों में विशेष प्रभाव डालता है। जामिनी राय से प्रभावित बॉर्डर दार साड़ी का ही प्रयोग अधिक किया गया है।

बी प्रभा के कथनानुसार मेरे विषय मुझे खुद नजर आने लगते हैं जिस पेंटिंग के बारे में सोचती हूं मुझे उसमें सब कुछ देखने लगता है, गांव में जन्म होने के कारण मिट्टी की खुशबू चित्रों में भी आ जाती है, नारी सृजन करती है नारी ने प्रत्येक क्षेत्र में अपने को ऊपर उठाने की कोशिश की है परंतु उनको समाज में वह स्थान नहीं मिला जो मिलना चाहिए था, इसलिए मैंने सोचा क्यों ना मैं अपने चित्रों में उनको प्रथम स्थान दू यह कार्य मेरे हाथों में था इसलिए संसार की हर प्रकार की नारी को मैंने हर रूप में प्रदर्शित किया।

बी प्रभा नारी चित्रण में मूल रूप से जिस नारी का चेहरा चित्रित हुआ है वह या तो कश्मीर की थी या केरल की थी या एक मछुआरे थी इस कारण की बीप्रभा की मछुआरिन इतनी अधिक पसंद की गई कि उस पृष्ठभूमि  के उन्होंने लगभग पंद्रह सौ चित्र बनाएं। अभी भी इस पृष्ठभूमि के चित्रों की मांग है।

मुंबई में कादंबिनी के कवर पेज पर मार्च-अप्रैल 1998 में यह कृति छपी थी। इसमें मछुआरे की लंबी गर्दन और शारीरिक रूप रेखा पाताल में अत्यंत संतुलित था।

प्रभा के चित्रों में कई तत्व हैं और उन तत्वों को रोचक ढंग से एकत्रित करना एक ऐसा जादू है जो भी प्रभावी कर सकती हैं प्रभा जी के विचार से चित्रकार के ऊपर दोहरी जिम्मेदारी होती है पहली यह जो वास्तविक है उसका चित्र और दूसरी अपनी शैली को बनाए रखना।

बीप्रभा की प्रदर्शनी फ्रांस, जर्मनी, इंग्लैंड, और अमेरिका में आयोजित हो चुकी है। बी प्रभा के चित्र बिना हस्ताक्षरित होते हुए भी अपनी एक अलग पहचान बनाते हैं।

इसी विषय में भी प्रभा जी के हस्ताक्षर स्वयं में एक सफल संयोजन से कम नहीं है हस्ताक्षर की रेखाएं स्वयं एक चित्र समान है भेट वार्ता में मैंने उनसे प्रश्न पूछा कि आप के चित्रों में गर्दन लंबी ही क्यों होती है उनके उत्तर में वह बोली, मुझे लंबी गर्दन पसंद है और मेरी लंबी गर्दन नहीं है तो मैंने चित्रों के माध्यम से अपनी यह इच्छा पूर्ण की।

प्रभा अमृता शेरगिल से प्रेरित है। बी प्रभा की चित्र साधना एक ऐसी तपस्चर्या है जिसमें अकादमी दृश्य से पूर्णता है साथ ही एक पेशेवर चित्रकार का भी उनके चित्र केवल चित्र प्रदर्शनी या गैलरी या धनाढ्य के स्वागत कक्ष की शोभा नहीं बढ़ाता, बल्कि संग्रहालयो तथा प्रसिद्ध स्थानों में भी उनके चित्र का संघर्ष स्वीकार किया जाता है।

आज यह साधिका हमारे बीच नहीं हैं परंतु इस स्मृति पटल पर यह गहरी छाप अवश्य छोड़ गई है तथा आप कला जगत में महिला कलाकारों में शीर्ष स्थान में हमेशा आसीन रहेगी।

निष्कर्ष आपकी तूलिका में एक नारी की वेदना उसका संघर्ष उसकी लंबी गर्दन आज भी आपकी कृतियों को समाज में एक वरिष्ठ स्थान देती है आप के प्रारंभिक समय में अमृता शेरगिल चरम उत्कर्ष पर थी आपने उन्हीं से प्रेरणा लेकर के अपने जीवन यात्रा में कला को महत्व देते हुए अपने कला यात्रा पूर्ण की जो हम सबके लिए एक प्रेरणा स्रोत है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. रूपांकन समकालीन भारतीय कला का एक संचयन 2. इंडियन एक्सप्रेस नई दिल्ली 3. द हिन्टावाडा….. अक्टूबर 06 4. काम आफ्टर द स्टामं—अनूप मेहता 5. रूपांकन— प्रयाग शुक्ल 1996 6. द इंडियन पोस्ट –मुंबई 1988 7. मेरी शोध पुस्तक–भारतीय कला में महिला कलाकारों का योगदान बी प्रभा , अमृता सिंह दीपाली भट्टाचार्य के संदर्भ में 8. बी प्रभा के साथ व्यक्तिगत साक्षात्कार द्वारा