ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VII , ISSUE- VII August  - 2022
Innovation The Research Concept
मध्यप्रदेश राज्य के धार जिले में ऐतिहासिक व पर्यटन स्थल
Historical and Tourist Places in Dhar District of Madhya Pradesh State
Paper Id :  16419   Submission Date :  13/08/2022   Acceptance Date :  21/08/2022   Publication Date :  25/08/2022
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सीताराम सोलंकी
सहायक प्राध्यापक
वाणिज्य विभाग
एस. बी. एन. शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय,
बड़वानी , मध्य प्रदेश, भारत
सारांश धार जिला मध्यप्रदेश राज्य के पश्चिमी क्षेत्र में स्थित हैं। यह इंदौर शहर से पश्चिम की ओर 61 किमी. दूर हैं। इस जिले का कुल क्षेत्रफल 8185 वर्ग कि.मी. हैं। धार जिले में धार, बदनावर, सरदारपुर, धरमपुरी, गंधवानी, मनावर, कुक्षी व डही तहसील सम्मिलित हैं, जो 13 विकासखण्डो में विभक्त हैं। इस जिले में 1566 गॉव हैं। परिवहन होटल व व्यवसाय के क्षेत्र में रोजगार व आय प्राप्त करने में ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलो का महत्वपूर्ण स्थान होता हैं। धार जिले में माण्डू, पीथमपुर, धारनाथ छबीना, कालिका मंदिर (धार), मोहनखेड़ा, भोपावर तीर्थ, अमझेरा, शक्तिपीठ, बाग, बड़केश्वर, बागप्रिंट, बाग गुफाएॅ, कोटेश्वर, चिखल्दा इत्यादि महत्वपूर्ण ऐतिहासिक व पर्यटन स्थल हैं।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Dhar district is located in the western region of the state of Madhya Pradesh. It is 61 KM towards west from Indore city. are far. The total area of ​​this district is 8185 sq. km. Huh. Dhar district includes Dhar, Badnawar, Sardarpur, Dharampuri, Gandhwani, Manawar, Kukshi and Dahi tehsils. Which are divided into 13 development blocks. There are 1566 villages in this district. Historical and tourist places in getting employment and income in the field of transport, hotel and business has an important place. Mandu, Pithampur, Dharnath Chhabina, Kalika Mandir (Dhar), Mohankheda, Bhopwar Tirth in Dhar district, Amjhera, Shaktipeeth, Bagh, Badkeshwar, Bagprint, Bagh Caves, Koteshwar, Chikhalda etc. are important historical and tourist places.
मुख्य शब्द मांडू, बाघप्रिंट, पर्यटन , धार जिला
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Mandu, Bagh Print, Tourism, Dhar District
प्रस्तावना
धार जिला मध्यप्रदेश के दक्षिण पश्चिम में 22’’-00 से 23-10 उत्तर अक्षांस पर एवं 74-28 से 75-42 पूर्व देशांश पर स्थित है। प्राकृतिक रूप से यह जिला तीन भागों में विभक्त है :- 1. मालवा का पठारी क्षैत्र। 2. निमाड़ की घाटी। 3. झाबुआ की पहाड़ियॉ।
अध्ययन का उद्देश्य इस शोध अध्ययन के प्रमुख उद्देश्य निम्नानुसार है - 1.धार जिले के ऐतिहासिक व धार्मिक पर्यटन स्थलों का अध्ययन करना। 2. इस जिले के पर्यटन स्थलों का प्रचार-प्रसार करना। 3. इस जिले में पर्यटन को बढ़ावा देना। 4. इस जिले में पर्यटन के माध्यम से रोजगार में वृद्धि करना। 5. पर्यटन के द्वारा इस जिले की ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत को बनाये रखना। 6. इस जिले के पर्यटन स्थलों को शासन द्वारा संरक्षण प्रदान करना।
साहित्यावलोकन
पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग-धार द्वारा जिले के पर्यटन स्थलों को रेखांकित किया गया है, किंतु इस संबंध में किसी साहित्य का प्रकाशन नहीं हुआ है। स्थानीय समाचार पत्रों में समय-समय पर धार जिले के पर्यटन स्थलों के संबंध में आलेख प्रकाशित हुए हैं, किंतु धार जिले के समग्र पर्यटन स्थलों के संबंध में कोई शोध अध्ययन अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है। इस दिशा में यह प्रथम प्रयास है।
सामग्री और क्रियाविधि
प्रस्तुत शोध अध्ययन में अनुसंधान की दैव निदर्शन पद्धति, सविचार व अवलोकन एवं सर्वेक्षण पद्धति के आधार पर संकलित प्राथमिक एवं द्वितीयक संमको का उपयोग किया गया। प्राथमिक समंको को प्राप्त करने के लिए धार पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग-धार द्वारा जिले के पर्यटन स्थलों को रेखांकित किया गया है, किंतु इस संबंध में किसी साहित्य का प्रकाशन नहीं हुआ है। स्थानीय समाचार पत्रों में समय-समय पर धार जिले के पर्यटन स्थलों के संबंध में आलेख प्रकाशित हुए हैं, किंतु धार जिले के समग्र पर्यटन स्थलों के संबंध में कोई शोध अध्ययन अभी तक प्रकाशित नहीं हुआ है। इस दिशा में यह प्रथम प्रयास है।
विश्लेषण

धार जिले के उन महत्वपूर्ण नगरों में से एक हैं, जिसका ऐतिहासिक वैभव शताब्दियों तक स्पर्धा का विषय रहा है। लगभग तीन सौ वर्षों तक यह नगर मालवा के परमारों की राजधानी रहा। उस काल के इतिहास में धार का अस्तित्व धाराप्रदक नामक गांव के रूप में ही ज्ञात है। राजा मुंज ने धाराप्रदक को धार नगरी बनाया।धार जिले में ऐतिहासिक व पर्यटन स्थल जिले में प्रमुख ऐतिहासिक व पर्यटन स्थल निम्नानुसार हैं -
1. माण्डु -
यहॉ एक से बढ़कर एक नजारे हैं, जिन्हैं एक बार देखने के बाद बार-बार यहॉ आने को जी चाहता हैं। किसे भूलें और किसे याद करे। माण्डू की भव्यता और वहां की समृद्धता दर्शक को इस तरह अपने
मोहपाश में कैद करती हैं कि वह इस स्थान को कभी नहीं भूल पाता, फिर चाहैं वह बाजबहादूर महल हो, रेवाकुंड हो, रूपमती महल हो या फिर प्रतिध्वनि बिंदु दाई का महल।
2. पीथमपुर -
आदिवासी बहुल धार जिले में स्थित पीथमपुर न केवल राष्ट्र के नक्शे पर छपा हुआ हैं, बल्कि अन्तराष्ट्रीय फलक पर इसने अपनी पहचान बनाई हैं। लार्ड स्वराज पाल के कपारो ग्रुप से लेकर आयशर, हिन्दुस्तान मोटर्स, बजाज से लेकर देश-विदेश के कई नामी गिरामी औद्योगिक प्रतिष्ठान पीथमपुर में हैं। स्पेशल इकोनॉमिक जोन और प्रस्तावित ऑटो हैंस्टिंग ट्रेक के बनने से पीथमपुर का महत्व ओर बढ़ गया हैं। एशिया का डेट्राईट पीथमपुरअपने नाम के अनुरूप ही विकास के पथ पर सरपट दौड़ रहा हैं।
3. धारनाथ छबीना -
धार में धर्म तथा संस्कृति की समृद्धि को यहां स्थित प्राचीन मंदिरो ने बढ़ाया हैं। रियासतकाल में धारनाथ को अधिपति मानते हुए साल में एक बार प्रजा का हाल जानने के लिए पालकी में बैठाकर शहर में भ्रमण कराने का सिलसिला प्रारम्भ हुआ। इसे छबीना कहा गया। साल दर साल यह इतना वैभवशाली हो गया कि शहर के अलावा अंचलभर के श्रद्धालु पलक-पावड़े बिछाकर अधिपति का स्वागत करने उमड़ने लगे। धारनाथ का प्रतीक मुखौटा अष्टधातु का बना हैं, जो हमेशा मंदिर में ही रहता हैं।
4. कालिका मंदिर (धार) -
इस मंदिर का पूजा गृह अत्यंत प्राचीन हैं। जनश्रुति के अनुसार यह परमार राजवंश के राजा मुंज के काल का हैं। कालिका परमारों की अधिष्टात्री देवी थी। यह एक पहाड़ी पर स्थित हैं जिसका मुख धार से उत्तर-पश्चिम में स्थित प्राचीन झील की ओर हैं।
5. मोहनखेड़ा -
जिला मुख्यालय से 45 कि.मी. दूरी पर राजगढ़ के समीप खेड़ा गॉव में मोहनखेड़ा तीर्थ की नींव रखी गई। दादा गुरूदेव श्रीमद्विजय राजेन्द्र सुरीश्वरजी म.सा. की दिव्य दृष्टि का परिणाम हैं कि इस तीर्थ का उदय हुआ। तीर्थ की स्थापना के लिए संवत् 1940 में ऋषभदेव भगवान सहित 41 जिनबिंबो की अंजनशलाका की गई।
धार में जैन तीर्थो का प्राचीन इतिहास तथा महत्व अक्षुण्ण हैं। इन्ही तीर्थो में प्रदेशभर में प्रसिद्ध मोहनखेड़ा तीर्थ भी हैं। इसकी कीर्ति देशभर में हैं।
6. भोपावर तीर्थ -
जिला मुख्यालय से 46 कि.मी. दूर तथा सरदारपुर तहसील से 8 कि.मी. दूरी पर भोपावर तीर्थ स्थित हैं। यह प्राचीन ही नहीं बल्कि मध्यकाल तथा आधुनिककाल में भी भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर रहा हैं। भोपावर तीर्थ 87 हजार वर्ष पुराना माना जाता हैं, किंतु इस तीर्थ की विकास यात्रा निरंतर जारी रही। भोपावर स्थित जैन तीर्थस्थल में जैन धर्म के सोलहवें गुरू भगवान शांतिनाथ की भव्य प्रतिमा स्थापित हैं।
7. अमझेरा -
अमझेरा गांव सरदारपुर तहसील के दक्षिण-पश्चिम में 23 कि.मी. दूरी पर स्थित हैं। इस गांव में शैव तथा वैष्णव सम्प्रदायों के अनेक मंदिर, तालाब, छतरियां, सती स्मारक, कुएं सहित एक मस्जिद तथा एक किला हैं, जिसके भीतर महल हैं। गांव में महादेव, चामुंडा तथा अंबिका के पांच शैव मंदिर तथा लक्ष्मीनारायण और चतुर्भुजनाथ के दो वैष्णव मंदिर हैं। गांव के एक समीपवर्ती स्थान में ब्रम्ह कुण्ड तथा सूर्य नामक दो तालाब हैं। देश को आजादी दिलाने में अमर शहीद हुए राजा राणा बख्तावरसिंह भी यहीं के थे।
8.शक्तिपीठ बाग -
भारत के 52 शक्तिपीठ में से बाग का बाघेश्वरी देवी मंदिर भी हैं।। इनका इतिहास करीब 2500 वर्ष पुराना हैं। यहां विराजित अंबे माता 184 गांवो की कुलदेवी हैं।
9. बड़केश्वर -
बाग से दक्षिण-पश्चिम की ओर 10 कि.मी. दूर स्थित बड़केश्वर मंदिर भी प्रसिद्ध हैं। नर्मदा पुराण के मुताबिक इस मंदिर की स्थापना अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने अपनी माता कुंती के लिए शिवरात्री के दिनकी थी। मुक्तिधाम मार्ग पर स्थित महाकालेश्वर मंदिर 11 वीं सदी का हैं। इस मंदिर को उज्जैन के महाकाल मंदिर के समकक्ष माना जाता हैं।
10. बागप्रिंट -
यहॉ की प्राकृतिक रंगो से की जाने वाली कपड़ो की छपाई दुनिया में मशहूर हैं। बाग पिं्रट के शिल्पकार लकड़ी के नक्काशीदार ब्लॉक को 100 प्रतिशत प्राकृतिक रंगो में डुबोकर कपड़ो पर छपाई करते हैं। बागप्रिंट कलाकारो के पास 1300 से अधिक डिजाइनें उपलब्ध हैं। यहॉ के कलाकार इस कला के बलबुते पर कई राष्ट्रीय-अंतराष्ट्रीय पुरूस्कार प्राप्त कर चुके हैं।
11. बाग गुफाएं -
बाग से 9 कि.मी. दूर दक्षिण-पूर्व में 9 गुफाएं उत्खनित की गई हैं। ये गुफाएं बलुआ पत्थर से निर्मित विंध्य पर्वत श्रंखला का एक भाग हैं। गुफाएं बाधिनी नदी के तट से 150 फीट ऊॅची हैं। यहॉ की गुफाओं में की गई चित्रकारी अजंता की गुफाओं के समकक्ष मानी जाती हैं। गुफाएं उस समय की हैं जब बोद्ध धर्म की मान्यता चरम पर थी।
12. कोटेश्वर -
नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर स्थित कुक्षी तहसील का यह ग्राम कुक्षी के दक्षिण-पूर्व में लगभग 16 कि.मी. दूरी पर स्थित हैं। यह ग्राम प्राचीन कोटेश्वर महादेव के मंदिर के लिए प्रसिद्ध माना जाता हैं। यहॉ देवी नर्मदा का भव्य मंदिर भी प्रसिद्ध हैं।
13. चिखल्दा -
निसरपुर से 9 कि.मी. दूरी पर यह ग्राम पुण्य सलिला पतित पावनी नर्मदा नदी के उत्तरी किनारे पर स्थित हैं। यहॉ नदी के निकट एक परकोटा के आकार में तपस्या स्थल हैं। जनश्रुति हैं कि यहॉ स्वयं अग्निदेव ने तपस्या की थी। नर्मदा परिक्रमावासी दुर्लभ भगवान शूलपाणीश्वर की यात्रा राजघाट, (बड़वानी) से प्रारम्भ करते हैं, जो गौरा गांव (सरदार सरोवर बॉध के निकट) तक जाने के पश्चात्, उत्तरी किनारे से पूर्व की ओर परिक्रमा का समापन चिखल्दा स्थित तपस्या स्थल पर किया जाता हैं।
यहॉ देवी नर्मदा, श्रीरामजी व निलकंठेश्वर महादेव का मंदिर हैं। निकट ही एक मकबरा व लक्ष्मीदेवी व विष्णुजी का मंदिर हैं।यदि कोई मानव समस्याओं से चारो ओर घिर जाये तथा उनका समाधान नहीं निकल पाये और उसकी मानसिकता मृत्यु के निकट आ जाये तो ऐसी विषम परिस्थिति में इस तपस्या स्थल के दर्शन से वह मानव समस्याओं का आसानी से समाधान करते हुए, अपनी आयु बढ़ाते हुए सुखी जीवनयापन करने में सक्षम हो जाता हैं।

निष्कर्ष देश के किसी भी क्षेत्र के पर्यटन स्थलों का देश को सांस्कृतिक विरासत बनाए रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहता है । पर्यटकों के पर्यटन स्थलों पर आने से वहां के आस - पास के स्थानीय लोगों को रोजगार प्राप्त होता है। म. प्र. राज्य के धार जिले में मुख्य पर्यटन स्थल है - माण्डू, पीथमपुर, धारनाथ छबीना, कालिका मंदिर (धार), मोहनखेड़ा, भोपावर तीर्थ, अमझेरा, शक्तिपीठ, बाग, बड़केश्वर, बागप्रिंट, बाग गुफाएॅ, कोटेश्वर, चिखल्दा इत्यादि। देश के कोने-कोने सेंजिले के इन पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को आना चाहिए तथा यहां को प्राकृतिक सौंदर्यता व आध्यात्मिक शांति का लाभ लिया जाना चाहिए । जिले के इन ऐतिहासिक व पर्यटन स्थलों का प्रचार - प्रसार निरंतर किया जाना चाहिए
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1.जिला सांख्यिकी पुस्तिका - कलेक्टर कार्यालय, धार 2. साक्षात्कार प्रश्नावली सूची 3. कृषि जगत - भोपाल, पत्रिका 4. स्थानीय समाचार पत्र 5.उपसंचालक कृषि कार्यालय, धार (म0प्र0) 6. साख पुस्तिका - जिला अग्रणी बैंक ऑफ इंडिया - धार 7.पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग - धार 8.पर्यटन एवं संस्कृति मन्त्रालय - भोपाल