ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VIII , ISSUE- I February  - 2023
Innovation The Research Concept
माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि व व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य संबंधों का अध्ययन
A Study of The Relationship between Emotional Intelligence and Professional Ethics of Secondary School Teachers
Paper Id :  17159   Submission Date :  09/02/2023   Acceptance Date :  21/02/2023   Publication Date :  25/02/2023
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प्रवीण कुमार
असिस्टेंट प्रोफेसर
बी एड विभाग
फीरोज गांधी कॉलेज
रायबरेली,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश प्रस्तुत शोध कार्य माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि व व्यावसायिक नीति बोध के मध्य संबंधों का अध्ययन किया गया है। शोधकर्ता द्वारा मानकीय सर्वेक्षण विधि का उपयोग किया गया । शोध की जनसंख्या में सहारनपुर जनपद में अवस्थित माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत समस्त अध्यापक हैं, जिनमें से न्यादर्श हेतु 400 शिक्षकों का चयन बहु स्तरीय दैव निदर्श विधि से किया गया । शोध कार्य में सांवेगिक बुद्धि को स्वतंत्र चर मानते हुए व्यावसायिक नीतिबोध को आश्रित चर माना गया । चयनित न्यादर्श पर उपयुक्त उपकरणों के प्रशासन से प्राप्त आंकड़ों को सारणीबद्घ किया गया, उनको वर्गवार विभाजित करके माध्य व मानक विचलन को ज्ञात किया गया। प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण द्वारा शोध परिकल्पना का परीक्षण किया गया । परिणामस्वरूप परिलक्षित हुआ कि सांवेगिक बुद्धि का स्तर अपेक्षाकृत अधिक होने से माध्यमिक शिक्षक विद्यालय में नकारात्मक वातावरण एवं विपरीत परिस्थितियों से उत्पन्न वृत्तिक दबाव का प्रबंधन करने में सफल होते हैं जबकि सांवेगिक बुद्धि के निम्न स्तर पर कार्य स्थल पर उत्पन्न मृतक दबाव का सामना करने में माध्यमिक शिक्षकों को कठिनाई का सामना करना पड़ता है। शोध कार्य के निष्कर्षों के आधार पर सांवेगिक बुद्धि के विकास एवं परिमार्जन हेतु वैयक्तिक एवं सामूहिक स्तर पर प्रयोग किए जाने वाले सुझाव प्रस्तुत किए गए हैं।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In the present research work, the relationship between emotional intelligence and professional ethics of teachers working in secondary schools has been studied. Standard survey method was used by the researcher. The research population consists of all the teachers working in secondary schools located in Saharanpur district, out of which 400 teachers were selected for the sample by multi-level random sampling method. In the research work, considering emotional intelligence as an independent variable, vocational ethics was considered as dependent variable. The data obtained from the administration of the appropriate instruments on the selected sample were tabulated, dividing them class-wise, the mean and standard deviation were determined. The research hypothesis was tested by analyzing the obtained data. The result reflected that secondary teachers with relatively high level of emotional intelligence are able to manage professional pressure arising out of negative environment and adverse situations in the school while secondary teachers with low level of emotional intelligence are unable to cope with dead pressure generated at work place. Teachers have to face difficulty. Based on the findings of the research work, suggestions have been presented for the development and refinement of emotional intelligence to be used at the individual and group level.
मुख्य शब्द माध्यमिक विद्यालय, सांवेगिक बुद्धि, व्यावसायिक नीतिबोध।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Secondary School, Emotional Intelligence, Business Ethics.
प्रस्तावना
शिक्षा प्रक्रिया में कितने लोग सक्रिय रहते हैं ? या उनमें से कौन सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है ? जैसे प्रश्नों के उत्तर तो अलग-अलग आ सकते हैं लेकिन यदि यह पूछा जाये कि शिक्षा प्रक्रिया का आयोजन किसके लिए किया जाता है ? तो निःसंदेह प्रत्येक उत्तर एक ही बात कहेगा- बालक के लिए। शिक्षा प्रक्रिया निःसंदेह बालक के सर्वांगीण विकास हेतु वातावरण उपलब्ध कराने तथा उसे अपनी योग्यताओं, क्षमताओं आदि को सर्वोत्कृष्ट रूप में विकसित करने के लिए अवसर प्रदान करती है। शिक्षा प्रक्रिया में प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह शिक्षा मंत्री हो, प्रशासनिक अधिकारी हो, संस्था प्रधान हो, शैक्षिक परामर्शदाता हो, शिक्षक हो, अभिभावक हो सभी का लक्ष्य बालक के व्यक्तित्व का सर्वांगीण विकास ही होता है। व्यक्ति जन्म से ही दूसरे व्यक्ति से भिन्न योग्यताएं, क्षमताएं आदि लेकर पैदा होता है और वह आजीवन दूसरे से भिन्न ही बना रहता है। मनोविज्ञान वैयक्तिक भिन्नता के सिद्धांत पर बल देता है। शिक्षा के सभी स्तरों में माध्यमिक शिक्षा का विशेष महत्व होता है। क्योंकि यह उन विद्यार्थियों की शिक्षा से संबंधित है जो किशोरावस्था में होते हैं। इस अवस्था की अपनी अलग ही विशेषताएं होती हैं। इन विशेषताओं के कारण ही इन्हें शिक्षा भी विशेष सावधानी रखकर दी जाती है। इसलिए इस शिक्षा में अपनी भूमिका अदा कर रहे शिक्षकों, शिक्षिकाओं तथा संस्था प्रधानों को कुछ अधिक ही सचेत रहना पड़ता है। यदि वृत्तिक परिस्थितियों, सांवेगिक बुद्धि की प्रभावशीलता या पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण शिक्षकों के व्यवसायिक नीतिबोध में कमी आती है तो इसका स्पष्ट प्रभाव बालकों के अधिगम तथा शिक्षकों की कार्यकुशलता पर पड़ता है। अधिक वृत्तिक दबाव में शिक्षक शिक्षण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा जिससे अधिगम उपयुक्त ढंग व परिस्थितियों में नहीं हो सकेगा। शिक्षक की सांवेगिक बुद्धि एवं उसके व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य संबंधों के स्वरूप का स्पष्ट अवबोध शिक्षण प्रभावशीलता में वृद्धि की दृष्टि से आवश्यक है। शोध में अध्ययन हेतु चयनित कारक विद्यालय संगठनात्मक परिवेश के संदर्भ में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। अतः इनसे संबंधित किसी भी व्यवस्थित एवं विज्ञान सम्मत शोध अध्ययन के निष्कर्ष संगठनात्मक उपलब्धियों की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए शोधकर्ता को विश्वास है कि प्रस्तावित शोध अध्ययन की प्राप्तियां शैक्षिक क्षेत्र को अनेक प्रकार से सहायक होंगी।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोध का उद्देश्य “माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि व व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य संबंध का अध्ययन करना” है।
साहित्यावलोकन

यिन, हांगबायो,(2015) ने ’’द इफेक्ट ऑफ टीचर्स इमोशनल लेबर ऑन टीचिंग सेटिसफेक्शन: मार्डनेशन ऑफ इमोशनल इंटेलिजेंस’’ में सांवेगिक बुद्धि की मध्यस्थ भूमिका को केन्द्र में रखते हुए संवेगात्मक कार्य मांग, सांवेगिक बुद्धि, संवेगात्मक श्रम युक्तियों और शिक्षण संतुष्टि के मध्य सम्बन्धों के बारे में शिक्षकों के प्रत्यक्षण का अध्ययन किया। 1281 चीनी शिक्षकों पर किये गये सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ कि संवेगात्मक कार्य मांग और सांवेगिक बुद्धि का प्रत्यक्षण सार्थक रूप से तीन संवेगात्मक श्रम युक्तियों के बारे में भविष्य कथन करता है। स्वाभाविक रूप से अनुभव किये गये परन्तु जिन पर कोई क्रिया न की गई हो, संवेगों की अभिव्यक्ति पर संवेगात्मक कार्य मांग के प्रभाव में सांवेगिक बुद्धि सार्थक रूप से मध्यस्थ भूमिका निभाती है। यहाँ तक कि संवेगात्मक कार्य मांग और सांवेगिक बुद्धि को नियंत्रित करने के बाद भी स्वाभाविक रूप से अनुभव किये गये संवेगों की अभिव्यक्ति का शिक्षकों की शिक्षण संतुष्टि पर सकारात्मक प्रभाव देखा गया। स्वाभाविक रूप से अनुभव किये गये संवेगों का गहन अभिनय और अभिव्यक्ति अधिक प्रभावी संवेगात्मक श्रम युक्तियाँ है। अध्ययन में सुझाया गया कि शिक्षक विकास कार्यक्रम को शिक्षकों में इन सांवेगिक मांगों और संवेगात्मक श्रम युक्तियों को विकसित करना चाहिए और इसके साथ-साथ इन कार्यक्रमों को शिक्षकों में सांवेगिक बुद्धि के स्तर को ऊपर उठाने वाला होना चाहिए।

एडिलोगुल्लारी, इल्हन, (2014) ने ’’एनालिसिस ऑफ द रिलेशनशिप बिटवीन द इमोशनल इंटेलिजेंस एण्ड प्रोफेशनल बर्नआउट लेवल्स ऑॅफ टीचर्स’’ पर अध्ययन किया। यह अध्ययन तुर्की के किर्सेहिर प्रांत के 563 स्वयंसेवी शिक्षकों के न्यादर्श पर किया गया। अध्ययन के सांख्यिकीय विश्लेषण में एस0पी0एस0एस0 डॉट 16 डॉट शून्य साफ्टवेयर का प्रयोग किया गया। दो माध्यों में अन्तर की सार्थकता की जाँच के लिए टी-परीक्षण का प्रयोग किया गया और दो से अधिक माध्यों में अन्तर की सार्थकता की जाँच के लिए एकदिश एनोवा व पीयरसन सह सम्बन्ध गुणांक का प्रयोग किया गया। परिणामों में शिक्षकों के स्तर एवं संवेगात्मक बुद्धि में नकारात्मक सम्बन्ध पाया गया।

रीमर्स, जैकसन ई0 एवं अन्य (2015) ने ’’एन इंटरोडक्शन टू द स्टैण्डर्स फॉर परीपरेशन एण्ड प्रोफेशनल डवलेपमेण्ट फॉर टीचर्स ऑफ इंजीनियरिंग’’ पर अध्ययन किया। अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि गत तीस वर्षों में गणित एवं विज्ञान के अध्यापकों के व्यावसायिक विकास हेतु उपयुक्त व्यावसायिक विकास कार्यक्रम के निर्माण एवं चयन हेतु पर्याप्त शोध कार्य हुआ है। इस अध्ययन में इंजीनियरिंग शिक्षकों के व्यावसायिक विकास हेतु भी इसी प्रकार के शोधकार्यों की आवश्यकता जानने हेतु गणित, विज्ञान, तकनीकी एवं इंजीनियरिंग के सम्बन्धों पर जोर दिया गया है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए इंजीनियरिंग शिक्षकों के प्रभावी व्यवसायिक विकास हेतु सन्दर्भित साहित्य का पुनरावलोकन किया गया। इस पुनरावलोकन के परिणामों में इंजीनियरिंग शिक्षा के क्षेत्र में व्यवसायिक विकास हेतु मार्गदर्शक के रूप में शोध आधारित 5 प्रारूप मानदण्डों को प्रस्तुत किया गया। इन प्रारूप मानदण्डों एक मैट्रिक्स के साथ जिसमें इंजीनियरिंग व्यवसायिक विकास के प्रदाताओं एवं ग्रहण करने वालों को यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि किसी दिये गये इंजीनियरिंग कार्यक्रम में किस प्रारूप मानदण्ड पर ध्यान केन्द्रित करना है, अमेरिकन सोसायटी फॉर इंजीनियरिंग एजूकेशन (ASEE) में प्रकाशन हुआ।

बाँज़लेक (2014) ने ’’एनालाइजिंग द प्रोफेशनल डवलेपमेण्ट ऑफ टीचिंग एण्ड लर्निंग फ्रॉम ए पॉलिटिकल इथिक्स ऑफ केयर पर्सपेक्टिव’’ पर अध्ययन किया। इस शोध पत्र में शिक्षण-अधिगम के व्यावसायिक विकास के मॉडल के मूल्यांकन हेतु देखभाल के टोरंटों राजनीतिक नीतिबोध को नियामक तंत्र के रूप में प्रयोग किया गया। इस तंत्र के द्वारा देखभाल के पांच संयुक्त तत्वों की पहचान की गई। अवधान, जवाबदेही, कार्य-निर्वहन क्षमता, उत्तरदायित्व और निष्ठा। इस शोध पत्र में दक्षिण अफ्रीका के उच्च शिक्षा संस्थानों में शिक्षण-अधिगम के व्यावसायिक माॅडल के क्रियान्वयन एवं मार्गदर्शन के मूल्यांकन हेतु उपरोक्त पांचों तत्वों की व्याख्या की गई। शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया में संलग्न व्यक्तियों के लिए यह राजनीतिक नीतिबोध उपयोगी नियामक तंत्र के रूप में पाया गया। भेदकारी शक्ति सम्बन्धों, मिल-जुलकर कार्य करना और देखभाल करने वाले एवं देखभाल प्राप्त करने वाले का सतर्क होना जैसे महत्वपूर्ण बिन्दुओं का महत्व स्पष्ट हुआ।

मुख्य पाठ

सामग्री और क्रिया विधि

शोध की प्रकृति व उद्देश्यों को ध्यान में रखते हुए शोधकर्ता द्वारा मानकीय सर्वेक्षण विधि का प्रयोग किया गया है। प्रस्तुत शोध में चयनित न्यादर्श, उपयोग में लाए गए शोध उपकरणों, शोध संग्रह की प्रक्रिया तथा सांख्यिकीय तकनीकी का निम्नवत् प्रयोग किया गया-

जनसंख्या 

प्रस्तुत अध्ययन में अध्ययन का वास्तविक स्थान उत्तर प्रदेश का सहारनपुर जनपद है। सहारनपुर जनपद में अवस्थित माध्यमिक विद्यालयों के समस्त शिक्षक अध्ययन की जनसंख्या में शामिल हैं।

न्यादर्श

प्रस्तुत शोध सहारनपुर जनपद के माध्यमिक स्तरीय शिक्षकों का चयन बहु स्तरीय दैव निदर्श प्रविधि का उपयोग करते हुएनिम्नवत् किया गया-

समंक संग्रहण हेतु प्रयुक्त उपकरण 
प्रस्तुत शोध में प्रयुक्त चरों के मापन हेतु निम्न उपकरणों का उपयोग कर आंकड़ें एकत्रित किए गए-
1. सांवेगिक बुद्धि मापनी - अनुकूल हायडी, सजोत हायडी एवं उपेन्द्र धर।
2. अध्यापक व्यावसायिक नीतिबोध मापनी- प्रवीण कुमार, डी के शर्मा ।
सांख्यिकीय तकनीक
परीक्षणों के प्रशासन से प्राप्त समंकों की प्रोसेसिंग हेतु निम्नलिखित सांख्यिकीय तकनीकी प्रयुक्तकी गई-
1. मध्यमान व मानक विचलन।
2. मध्यमानों में अंतर की सार्थकता के परीक्षण हेतु एफ एवं टी- परीक्षण।

समंकों का संगठन

सारणी-1

माध्यमिक शिक्षकों के सांवेगिक बुद्धि के प्राप्तांकों के मध्यमान



सारणी-2

माध्यमिक शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध के प्राप्तांकों के मध्यमान


सारणी 3

माध्यमिक शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि के विभिन्न स्तरों पर व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य अन्तर की सार्थकता की एफ-परीक्षण द्वारा जाँच




एफ परीक्षण पर विभिन्न समूहों के मध्यमानों में सार्थक अंतर प्राप्त होने पर विभिन्न समूहों के मध्यमानों में वास्तविक अन्तर की जांच हेतु टी - मूल्यों की गणना की गई-

सारणी 3 (i)

माध्यमिक शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि के उच्च व मध्यम स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य अन्तर की सार्थकता की टी-परीक्षण द्वारा जाँच।


सारणी 3 (ii)

माध्यमिक शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि के मध्यम व निम्न स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य अन्तर की सार्थकता की टी-परीक्षण द्वारा जाँच।


सारणी 3 (iii)

माध्यमिक शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि के निम्न व उच्च स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य अन्तर की सार्थकता की टी-परीक्षण द्वारा जाँच।


समंकों की व्याख्या

सारणी 3 के अवलोकन से परिलक्षित है कि उच्च, मध्यम एवं निम्न तीनों समूहों के सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध मापनी पर प्राप्तांकों के मध्यमानों में सार्थक अन्तर है (एफ = 4.46’)। सांवेगिक बुद्धि के विभिन्न स्तरों वाले शिक्षक समूहों के व्यावसायिक नीतिबोध मापनी पर प्राप्तांकों के मध्यमानों में वास्तविक अन्तर की सार्थकता की जांच हेतु टी-परीक्षण की गणना की गई। सारणी 3 (i), सारणी 3 (ii) एवं सारणी 3 (iii) के क्रमशः अवलोकन से स्पष्ट होता है कि उच्च एवं मध्यम सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध मापनी पर प्राप्तांकों के मध्यमानों में सार्थक अन्तर नहीं है (टी=.026), जबकि मध्यम एवं निम्न सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध मापनी पर प्राप्तांकों के मध्यमानों में सार्थक अन्तर है (टी = 2.64’’)। निम्न एवं उच्च सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों के व्यावसायिक नीतिबोध मापनी पर प्राप्तांकों के मध्यमानों में सार्थक अन्तर नही है (टी = 1.85)। अतः इस सन्दर्भ में निर्मित शून्य परिकल्पना ’’माध्यमिक शिक्षकों की सांवेगिक बुद्धि के विभिन्न स्तरों पर व्यावसायिक नीतिबोध के मध्य सार्थक अन्तर नही है।’’ निरस्त की जाती है। सारणी 3 (ii) के पुनः निरीक्षण से स्पष्ट है कि मध्यम सांवेगिक बुद्धि स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध (M= 257.15) 'निम्न सांवेगिक बुद्धि स्तर पर व्यावसायिक नीतिबोध (M= 47.66) की तुलना में अधिक है।

निष्कर्ष शोधपरिणामों से प्रदर्शित होता है कि माध्यमिक शिक्षकों का व्यावायिक नीतिबोध उनकी सांवेगिक बुद्धि से प्रभावित है।मध्यम सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों में इस मूल्य का निम्न सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों अधिक तुलना में अधिक होना यह इंगित करता है कि मध्यम सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षक अपेक्षाकृत कम सांवेगिक बुद्धि वाले शिक्षकों की अपेक्षा अपने व्यावसायिक नीतिबोध के प्रति अधिक सजग एवं निष्ठावान होते हैं।
भविष्य के अध्ययन के लिए सुझाव माध्यमिक शिक्षक अपने व्यावसायिक उत्तरदायित्वों का भली प्रकार निर्वहन कर सके इसके लिए आवश्यक है कि शिक्षकों के लिए एक स्पष्ट एवं आदर्श आचार संहिता का विकास किया जाये। शिक्षकों के लिए व्यावसायिक नीतिबोध को विकसित करने हेतु उनकी नैतिक संस्कृति को सुधारा जाये। इसके अतिरिक्तसकारात्मक कहानियों को पढ़ना, आदर्श व्यक्तियों का अनुसरण करना, अभिव्यक्ति के अवसर देकर, सुनने वग्रहण करने की आदतों को प्रोत्साहित करके, सामुदायिक सेवा में भाग लेकर, सामूहिक अधिगम समूहों में प्रतिभाग करके तथा संगीत, ध्यान व योग जैसी क्रियाओं के माध्यम से उनकी सांविधिक बुद्धि को विकसित एवं परिमार्जित किया जाना चाहिए।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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