ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VIII , ISSUE- I February  - 2023
Innovation The Research Concept
संवेगात्मक बुद्धि का शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव का अध्ययन
Study of the Effect of Emotional Intelligence on Academic Achievement
Paper Id :  17391   Submission Date :  05/02/2023   Acceptance Date :  22/02/2023   Publication Date :  25/02/2023
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विनिता नामा
शोधार्थी
शिक्षा विभाग
राजस्थान विश्वविघालय
जयपुर,राजस्थान, भारत
रविबाला सोलंकी
निर्देशिका, प्राचार्या
फॉर वुमन
तिलक टी. टी. कॉलेज
जयपुर, राजस्थान, भारत
सारांश किसी भी राष्ट्र की उन्नति वहां के विद्यार्थियों की योग्यता पर ही निर्भर करती है। किसी भी विद्यार्थी में सभी योग्यताएँ अन्तर्निहित होती है, जिन्हे शिक्षा के माध्यम से उजागर किया जाता है व जिन्हें समाजोपयोगी व राष्ट्रोपयोगी बनाया जाता है। बालक की अन्तर्निहित योग्यताओं का शिक्षा में समागम होकर प्राप्त होने वाले निष्कर्षों में उसके आन्तरिक संवेग महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। जो बालक संवेगात्मक रूप से परिपक्व होते है, उनकी बुद्धिलब्धि भी उच्च होती है। वहीं संवेगात्मक रूप से कमजोर बालक बुद्धिमान होते हुए भी अपनी क्षमताओं का उपयोग नहीं कर पाता। इस सम्बन्ध में शोधकर्ताओं ने अनेक प्रयोग किये। प्रस्तुत शोध में बूंदी जिले के 600 विद्यार्थियों पर डॉ. एस.के. मंगल व शुभ्रा मंगल द्वारा निर्मित संवेगात्मक बुद्धि परिसूची द्वारा प्रदत्त संकलन करके सांख्यिकी से निष्कर्ष प्राप्त किया कि शैक्षिक उपलब्धि व संवेगात्मक बुद्धि के मध्य सार्थक सहसम्बन्ध है अर्थात् संवेगात्मक बुद्धि शैक्षिक उपलब्धि को प्रभावित करती है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The progress of any nation depends on the ability of its students. All abilities are inherent in any student, which are exposed through education and which are made socially useful and nationally useful.
The internal emotions of the child play an important role in the conclusions obtained by combining the inherent abilities of the child in education. Children who are emotionally mature, their intelligence is also high. On the other hand, an emotionally weak child, despite being intelligent, is unable to use his abilities. Researchers have done many experiments in this regard.
In the presented research, Dr. S.K. Compiling the data provided by the Emotional Intelligence Inventory prepared by Mangal and Shubhra Mangal, it was concluded from the statistics that there is a significant correlation between academic achievement and emotional intelligence, that is, emotional intelligence affects academic achievement.
मुख्य शब्द संवेगात्मक बुद्धि, शैक्षिक उपलब्धि, योग्यता।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Emotional Intelligence, Academic Achievement, Aptitude.
प्रस्तावना
संवेगात्मक बुद्धि मनुष्य का एक बौद्धिक गुण है। परन्तु उसका अधिकतर व्यवहार बुद्धि से नहीं बल्कि संवेगों से परिचालित होता है। संवेग मानव जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है व व्यक्ति के बाह्य व्यवहार को अत्यधिक प्रभावित करते है। उसकी मानसिक स्थिति व कार्यक्षमता को प्रभावित करते है। संवेगों के उदय होने पर व्यक्ति में अतिरिक्त शक्ति का संचार होता है। जिससे व्यक्ति को विभिन्न कार्य करने की प्ररेणा मिलती है। इस प्रकार संवेग वे भावनाएँ है जिसमें मनोवैज्ञानिेक व संज्ञानात्मक दोनों तत्व होते है। संवेगात्मक बुद्धि दो प्रत्ययों से मिलकर बना है, संवेग और बुद्वि। संवेग का अर्थ है उद्वेलन की अवस्था एवं बुद्धि का अर्थ है विवेक पूर्ण चिन्तन की योग्यता। इस प्रकार संवेगात्मक बुद्धि एक आन्तरिक योग्यता होती है जिसके द्वारा व्यक्ति में संवेगों को महसूस करने, समझने व उनका प्रभावपूर्ण नियंत्रण करने की क्षमता का विकास होता है। गोलमैन के अनुसार, “संवेगात्मक बुद्धि व्यक्ति के स्वयं के एवं दुसरों के संवेगों को पहचाननें की वह क्षमता है जों हमें प्रेरित कर सकने और हमारे संवेगों को स्वयं में व अपने सम्बन्धों के दौरान भली प्रकार से समझने में सहायक होती है। एस. हेन के अनुसार, संवेगात्मक बुद्धि एक मानसिक क्षमता है जिसके साथ हम जन्म लेते है, जो हमें संवेगात्मक रूप में संवेदनशीलता तथा हमारी क्षमताओं की संवेगात्मक समझ प्रदान करती है। प्रस्तुत शोध में शैक्षिक उपलब्धि प्रत्यय का उपयोग किया है। यह दो शब्दों से मिलकर बना है शैक्षिक व उपलब्धि। यहां शैक्षिक अर्थात् निश्चित सत्र में प्राप्त किया गया पुस्तकीय ज्ञान व उपलब्धि का अर्थ सकारात्मक परिवर्तनों से है। अर्थात् एक निश्चित समय में निश्चित पाठ्यवस्तु में प्राप्त उपलब्धि ही शैक्षिक उपलब्धि है। सुपर डी.ई. के अनुसार ”शैक्षिक उपलब्धि का तात्पर्य व्यक्ति ने क्या और कितना सीखा है तथा उपलब्धि क्या है से है।“ बेले के अनुसार, ”शैक्षिक निष्पति ग्रहण किया गया ज्ञान है।“ यदि एक निश्चित समय में हम एक विषय या समूह को किसी प्रकार का प्रशिक्षण दे तो उस प्रशिक्षण से उन्हे कुछ ज्ञान या कौशल की वृद्धि होती है उसे उपलब्धि कहते है। शिक्षा के क्षेत्र में यह शैक्षिक उपलब्धि कहलाती है।
अध्ययन का उद्देश्य प्रस्तुत शोध का उद्देश्य संवेगात्मक बुद्धि का शैक्षिक उपलब्धि से सम्बन्ध ज्ञात करना है।
साहित्यावलोकन

1. अग्निहोत्री रविन्द्र (2009) ने आधुनिक भारतीय  शिक्षा की समस्याओं का अध्यययन किया व निष्कर्ष निकाला कि उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों मे समयोजन एक प्रमुख समस्या है। 

2. दुबे, भावेश चंद्र (2011) ने विद्यर्थियोकि शेक्षिक उप्लब्धि पर शैक्षिक अभीप्रेरणा तथा समायोजन पर प्रभाव का अध्ययन किया। व निष्कर्ष निकाला कि सही तरीके से अभिप्रेरित बालक उच्च शैक्षिक उपलब्धि प्राप्त करते है।

3. पारीक, अलका व गोस्वामी (2017) ने माध्यमिक स्तर पर अध्ययनरत विद्यार्थीयो के समायोजन का शैक्षिक उपलब्धि पर प्रभाव का अध्ययन किया।व निष्कर्ष प्राप्त किया कि समायोजित बालक की शैक्षिक उपलब्धि उच्च स्तर की होती है।

मुख्य पाठ

परिकल्पना

उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों की संवेगात्मक बुद्धि व शैक्षिक उपलब्धि के मध्य सार्थक अन्तर नही है।

शोध उपकरण

डॉ. एस.के. मंगल और शुभा मंगल द्वारा निर्मित संवेगात्मक बुद्धि परिसूची।

क्र.स.

समूह

संख्या

सहसम्बन्ध

1

उच्च माध्यमिक स्तर अध्ययनरत विद्यार्थियो की संवेगात्मक बुद्धि

600

 

0-209

2

शैक्षिक उपलब्धि

600

0.05 विश्वास स्तर पर सार्थकता के लिए आवश्यक मान - 0.062

0.01 विश्वास स्तर पर सार्थकता के लिए आवश्यक मान - 0.008

उपयुक्त तालिका में प्रदर्शित सहसम्बन्ध गुणांक 0.209 की विवेचना करने पर ज्ञान होता है कि प्राप्त सहसम्बन्ध गुणांक 0.209 की धनात्मक सहसम्बन्ध प्रदर्शित करती है। अतः दोनो चरों के मध्य धनात्मक सहसम्बन्ध प्राप्त हुआ है। अतः उच्च माध्यमिक स्तर अध्ययनरत विद्यार्थियो की संवेगात्मक बुद्वि का शैक्षिक उपलब्धि पर कोई सार्थक प्रभाव नही पडता अस्वीकृत की जाती है।

निष्कर्ष प्रस्तुत शोध में निष्कर्षो की विवेचना की जाये तो शैक्षिक उपलब्धि व संवेगात्मक बुद्धि आदि चरों के मध्य सहसम्बन्ध व तुलना की जाये तो अधिकांश प्रश्नों पर सार्थक प्रभाव व अन्तर दिखाई देता है। प्रस्तुत शोध के समाज के लिए भी महत्वपूर्ण निहितार्थ है। विद्यालय ही समाज के लिए भावी नागरिक तैयार करता है। यदि विद्यालय अपने कर्तव्यों के लिए जवाबदेह नही होगा तो वह अच्छें नागरिक विकसित नही कर सकता। यदि शिक्षक वर्ग अपने व्यवसाय के प्रति समर्पित होंगे तथा आध्यात्मिक गुणों से परिपूर्ण होंगे तभी वे अपने छात्रो के बौद्धिक विकास के साथ साथ सामाजिक एवं आध्यात्मिक विकास करने में अपना योगदान प्रदान कर सकेंगे। विद्यालय में होने वाली सहशैक्षिक गतिविधियों के द्वारा उनमें समायोजन, संवेगात्मक विेकास व संस्कार निर्माण किया जा सकता है। जो समाज के हित मे भी होगा। विद्यालय में ही विधार्थी रूपी भावी नागरिकों के संवगों का प्रबन्धन कर उन्हे नैतिक व सामाजिक, व्यवसायिक व राष्ट्र के प्रति समर्पित नागरिक बनाने का प्रयास किया जा सकता है। जिससे समाज अपराधमुक्त हो प्रगति कर सके।
अध्ययन की सीमा प्रस्तुत शोध बूंदी जिले के मात्र 600 उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों तक सीमित है।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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