ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VIII , ISSUE- I February  - 2023
Innovation The Research Concept
पर्यावरण पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
Impact of Climate Change on Environment
Paper Id :  17689   Submission Date :  15/02/2023   Acceptance Date :  21/02/2023   Publication Date :  25/02/2023
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नीतू त्रिपाठी
असिस्टेंट प्रोफेसर
रसायन विज्ञान विभाग
एम. के. पी. पी. जी. कॉलेज
देहरादून,उत्तराखंड, भारत
सारांश प्राचीन काल में हम अपनी प्रकृति के अधिक निकट थे और हम अपने प्राकृतिक संसाधनों जैसे पेड़, नदी आदि की पूजा करते थे । हमारे साहित्य (वेद, पुराण आदि) में यह भी बताया गया है कि प्राचीन काल में मनुष्य मंदिर, पृथ्वी, प्रकृति और पर्यावरण की पूजा करते थे । ईश्वर ने उदारता से हम मनुष्यों को प्राकृतिक संसाधन दिए ताकि हम उसकी देखभाल कर सकें और बुद्धिमानी से उसका उपभोग कर सकें । इसलिए ईश्वर ने हमें जो दिया है उसकी देखभाल करनी होगी। हमारे साहित्य में चार वेदों में से अंतिम वेद अथर्ववेद यह दर्शाता है कि चिकित्सा पद्धतियां प्रकृति पर आधारित थीं। बाद में चिकित्सा की वैज्ञानिक संस्कृति का उदय हुआ जो आयुर्वेद बन गया। जलवायु परिवर्तन आज मानवता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है। पर्यावरण के बदलते स्वरूप का कुछ सालों बाद परिणाम देखने को मिलता है। जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण पृथ्वी की सतह का बढ़ता तापमान, घटती हिमरेखाएं, पिघलते हिमनद एवं समुद्र के जल स्तर में परिवर्तन देखने को मिलता है। जलवायु परिवर्तन के कारण भारत से कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं। भारतीय चीता उनमें से एक है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद In ancient times we were closer to our nature and we used to worship our natural resources like trees, rivers etc. It is also told in our literature (Vedas, Puranas etc.) that in ancient times humans used to worship temples, earth, nature and environment. God has generously given natural resources to us humans so that we can take care of them and use them wisely. That's why we have to take care of what God has given us. The Atharva Veda, the last of the four Vedas in our literature, shows that medical practices were based on nature. Later a scientific culture of medicine emerged which became Ayurveda. Climate change is a very important topic for humanity today. The result of the changing nature of the environment is visible after a few years. Due to the effects of climate change, the rising temperature of the earth's surface, decreasing snow lines, melting glaciers and changes in sea water level are seen. Many species have become extinct from India due to climate change. Indian Cheetah is one of them.
मुख्य शब्द पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, पारिस्थितिकी तंत्र।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Environment, Climate Change, Ecosystem.
प्रस्तावना
मनुष्य और प्रकृति में दीर्घकालिक संबंध होता है। सरकारें, शिक्षाविद, गैर सरकारी संगठन और मीडिया तेजी से जलवायु-परिवर्तन, विज्ञान और वैश्विक प्रभावों से संबंधित लेख और रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों का ध्यान रखते हुए सतत विकास की आवश्यकता है। वर्तमान में प्राकृतिक बदलावों में पृथ्वी के गर्भ में होने वाले परिवर्तन, भूकंप, ज्वालामुखी, समुद्री धाराओं में परिवर्तन एवं पृथ्वी का झुकाव आदि शामिल है जो जलवायु परिवर्तन के कारणों और प्रभावों से संबंधित है। इससे पता चलता है कि प्रभावी प्रकृति संरक्षण प्राप्त करने के लिए प्रक्रियाओं को बदलने और परिवर्तन के परिणामों को प्रभावित करने के लिए मानव गतिविधियों को समाज के भीतर राजनीतिक और आर्थिक स्तरों पर होना चाहिए।
अध्ययन का उद्देश्य यह लेख जलवायु परिवर्तन का मानव जीवन पर प्रभाव को दर्शाने का एक प्रयास है। लेख में इस विषय पर अवलोकन द्वारा भविष्य की पीढ़ियों को बचाने हेतु प्रत्येक मनुष्य की भागीदारी होना आवश्यक बताया गया है। मानवीय गतिविधियों के अन्तर्गत शहरीकरण, औद्योगिकीरण, वनों का उन्मूलन, खतरनाक कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग आदि गतिविधियों को समाज के भीतर रोकने के प्रयास होना चाहिए।
साहित्यावलोकन

पिछले कुछ सहस्राब्दियों से मानव गतिविधियों का प्रभाव या तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पर्यावरणीय संसाधनों पर पड़ा है। जैव विविधता पर सबसे स्पष्ट प्रभावों में से एक जलवायु परिवर्तन आज बड़ी चिंता का विषय है। दीर्घकालिक जलवायु परिवर्तन के उतार-चढ़ाव का प्रभाव दुनिया भर के पारिस्थितिक तंत्रों में दिखाई दे रहे हैं। जानवरों को जीवित रहने के लिए पौधों की जरूरत होती है, लेकिन पौधों को भी जानवरों की जरूरत होती है। इसलिए जानवर और पौधे नाजुक रूप से एक साथ बंधे होते हैं। एक भी प्रजाति को हटाने से पारिस्थितिकी तंत्र में भारी बदलाव आ सकता है। यदि हम इस पृथ्वी पर होने वाली प्राकृतिक प्रक्रियाओं में बहुत अधिक व्यवधान पैदा करते हैं तो हमारा अपना अस्तित्व खतरे में पड़ सकता है। हमें अपने वन्यजीवों को भी संरक्षित करने की आवश्यकता है।

मुख्य पाठ

जलवायु परिवर्तन के कारणः-

मुख्यतः जलवायु परिवर्तन के दो कारण हैं

. प्राकृतिक बदलाव

. मानवीय गतिविधियाँ

जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ रहा है। हम भोजन, सामग्री, रसायन आदि की आपूर्ति के लिए कई पौधों और जानवरों का उपयोग करते हैं। 20वीं सदी के दौरान वैश्विक औसत तापमान में वृद्धि और वर्षा की दरों में बदलाव के अब स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं। ग्लोबल और रीजनल वार्मिंग जटिल घटनाएं हैं जो वास्तव में मानव गतिविधियों के कारण हो रही हैं। शहरों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने के लिए हमें वैश्विक और क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन के वैज्ञानिक प्रमाणों को देखना चाहिए। ग्लोबल वार्मिंग के दो अतिरिक्त मानवीय कारणों में वनों की कटाई शामिल है, जो अन्य ग्रीनहाउस गैसों (मीथेन, सीएफसी, ओजोन, नाइट्रस ऑक्साइड, कार्बन डाई ऑक्साइड) के उत्सर्जन को और बढ़ाता है। खनिज आधारित निर्माण सामग्री में वृद्धि, वनस्पति दहन और बिजली की खपत से अपशिष्ट उत्सर्जन कुछ ऐसे ही कारकों से प्रेरित है जो ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन और शहरी तापमान बढ़ाता है। ओजोन परत का क्षरण भी जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में से एक है।

शहरी क्षेत्रों में वनस्पति की हानि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में वाष्पोत्सर्जन द्वारा प्रदान की जाने वाली प्राकृतिक शीतलन को कम करती है, दूसरा डामर, सीमेंट और छत की टाइल जैसी निर्माण सामग्री का उपयोग शहरीकरण से पहले मौजूद वनस्पति की तुलना में अधिक तापीय ऊर्जा को अवशोषित करती है। ऊर्जा का बुद्धिमानी से उपयोग करके हम अपने समाज के लिए बेहतर पर्यावरण और अर्थव्यवस्था का उत्पादन कर सकते हैं। अगर हम प्राकृतिक तरीकों का इस्तेमाल करें तो शहरों में ऊर्जा की खपत की दर को काफी कम किया जा सकता है।

जलवायु परिवर्तन का प्रभाव

जलवायु परिवर्तन के अनेक दूरगामी प्रभाव होते हैं। आज मनुष्य को अपने पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता है अन्यथा मानव जीवन पर संकट आना तय है। जलवायु परिवर्तन के कारण ऋतुओं में परिवर्तन, पृथ्वी की सतह के तापमान का बढ़ना, वर्षा का कम व अधिक होना, बाढ़, सूखा, जैव विविधता में परिवर्तन, कृषि पर प्रभाव एवं समुद्र के जल स्तर में बदलाव आदि मुख्य परिवर्तन है जो हमें  इशारा कर रहे हैं कि विकास की दौड़ में कहीं मनुष्य अपने जीवन को घोर संकट में न डाल दे।

जलवायु परिवर्तन को रोकने हेतु प्रयास

हम सभी को पृथ्वी पर जीवन बचाने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। जलवायु परिवर्तन विषय पर स्कूलों, कालेजों एवं सरकारी कार्यालयों में सेमिनार के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है। इस मिशन में प्रत्येक व्यक्ति को जुड़ने की आवश्यकता है क्योंकि यह धरा हम सबकी है एवं हमें इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव संरक्षित रखना चाहिए। सतत विकास के लिए सार्वजनिक शिक्षा और जागरूकता बहुत महत्वपूर्ण है। वार्षिक पृथ्वी दिवस, पर्यावरण दिवस, ओजोन दिवस, हिमालय दिवस जैसे कार्यक्रम जलवायु संरक्षण योजना का प्रचार कर सकते हैं। पर्यावरण शिक्षा लोगों को हमारी प्रकृति के प्रति जागरूक करने में मदद कर सकती है।

निष्कर्ष संपूर्ण जगत आज जलवायु परिवर्तन की बातें कर रहा है। जलवायु परिवर्तन को रोकने के प्रयास हेतु कुछ राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय संगठन बनाये गये हैं। हमारे देश भारत में भी कई सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों द्वारा सतत विकास के प्रयास किए जा रहे हैं। पृथ्वी के संसाधनों का सीमित एवं कुशलतापूर्वक उपयोग होना चाहिए।
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
1. अग्नोलेटी, एम., एंडरसन, एस., जोहान, ई., कुल्विक, एम., सरत्सी, ई., कुशलिन, ए., मेयर, पी., मोंटीएल, सी., पैरोट्टा, जे. और रॉदरहैम, आई.डी. (2008)। 2. पार्क्स, बी.; रॉबर्ट्स, जे.टी. 2006. वैश्वीकरण, जलवायु परिवर्तन के प्रति भेद्यता, और कथित अन्याय। "समाज और प्राकृतिक संसाधन"। 19(4): 337–355. 3. एडगर, डब्ल्यूएन 2006. भेद्यता। वैश्विक पर्यावरण परिवर्तन। 16(3): 168-182. 4. मौसम संबंधी स्थिति और ऊर्जा उपयोग: एक 10-क्षेत्रीय मॉडलिंग अध्ययन। सैद्धांतिक और अनुप्रयुक्त जलवायु विज्ञान 62, संख्या 3-4, पीपी 175-185। 5. जलवायु परिवर्तन 2022: प्रभाव, अनुकूलन और भेद्यता (https://www.ipcc.ch/report/ar6/wg2/). 6. रॉयल सोसाइटी, 2020: जलवायु परिवर्तन: साक्ष्य और कारण [https://royalsociety.org/~/media/royal_society_content/policy/projects/climate-evidence-causes/climate-change-evidence-causes.pdf]