ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VIII , ISSUE- IV May  - 2023
Innovation The Research Concept
कोविड-19 महामारी और दिव्यांग छात्रों पर एक अध्ययन
A Study on the COVID-19 Pandemic and Students with Disabilities
Paper Id :  17613   Submission Date :  12/05/2023   Acceptance Date :  21/05/2023   Publication Date :  24/05/2023
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सारिका शर्मा
प्रोफ़ेसर
शिक्षक शिक्षा
स्कूल ऑफ एजुकेशन
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा,महेंद्रगढ़, हरियाणा, भारत,
बहादुरलाल
शोध छात्र शिक्षा, स्कूल ऑफ एजुकेशन
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा
महेंद्रगढ़, हरियाणा, भारत
चन्दन
शोध छात्र
शिक्षा, स्कूल ऑफ एजुकेशन
सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ हरियाणा
महेंद्रगढ़, हरियाणा, भारत
सारांश मानव समाज में रहता है तथा वह समाज में रहने के साथ-साथ सामाजिक प्राणी भी है | मनुष्य समाज की विभिन्न गतिविधियों को आत्मसात कर जीवन के संपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त करने में सक्षम होता है | मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जिसमें सोचने, समझने, निर्णय लेने आदि जैसे बौद्धिक प्रवृत्तियों के गुण पाए जाते हैं, इन्हीं गुणों के कारण वह सभी प्राणियों में सर्वश्रेष्ठ होता है| आहार, निद्रा, भय, मैथुन ये चार गुण पशु एवं मनुष्य में पाया जाता है किंतु एक गुण विवेक है जो कि मनुष्य में पाया जाता है, जिसके माध्यम से वह पशुवत प्रवृत्ति से मनुष्यवत की ओर अग्रसर होता है| “तमसो मा ज्योतिर्गमय”-बृहदारण्यक उपनिषद, अर्थात अंधकार से मुझे प्रकाश की ओर ले जाओ यह प्रार्थना भारतीय संस्कृति का मूल स्तंभ है, प्रकाश में व्यक्ति को सब कुछ दिखाई देता है अंधकार में नहीं| प्रकाश से यहां तात्पर्य ज्ञान से है ज्ञान से व्यक्ति का अंधकार नष्ट होता है|
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Man lives in society and along with living in society, he is also a social animal. Man is able to achieve the overall goal of life by imbibing various activities of the society. Man is the only creature in which the qualities of intellectual tendencies like thinking, understanding, decision making etc. are found, due to these qualities he is the best among all the creatures. Food, sleep, sex in fear, these four qualities are found in animals and humans, but there is one quality which is found in humans, through which they move towards human nature from animal nature.
“Tamso Ma Jyotirgamaya” – Brihadaranyaka Upanishad, that is, lead me from darkness to light, this prayer is the basic pillar of Indian culture, in light a person sees everything and not in darkness. Light here means knowledge, knowledge destroys the darkness of a person.
मुख्य शब्द कोविड-19, महामारी, दिव्यांग छात्र, स्वास्थ्य आपातकाल|
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद COVID-19, Pandemic, Students with Disabilities, Health Emergency.
प्रस्तावना
“शिक्षा की जड़ कड़वी होती है, पर उसका फल मीठा होता है |” इस अध्ययन में कोविड-19 और दिव्यांग छात्रों को परिभाषित किया गया है तथा कोविड-19 में दिव्यांग छात्रों को आने वाली शैक्षणिक समस्याओं पर भी चर्चा की गई है| इस अध्ययन में हम यह समझना चाहते हैं कोविड-19 में जहां पूरे विश्व इस महामारी की चपेट में आया उस/इस समय दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई कैसे पूरी हुई क्योंकि दिव्यांग को पहले से ही बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ता रहा है, चाहे वह सामाजिक हो या शैक्षणिक अथवा अन्य, कोविड-19 में जहां सामान बच्चों को परेशानी हुई है, और जो पहले से बहुत सारी समस्याओं का सामना करते हैं, वह इस महामारी में कैसे अपनी समस्याओं का सामना किया तथा कैसे अपनी शैक्षणिक पढ़ाई को पूरा किया तथा कैसे उन शैक्षणिक समस्याओं का सामना किया इसमें कोई संदेह नहीं कि दिव्यांग छात्रों को काफी अधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है, ऐसा कतई नहीं है कि दिव्यांग छात्र अन्य छात्र से पढ़ाई में कम होता है, अगर दिव्यांग छात्रों को उसके अनुसार सुविधा मिले तो वह अच्छी मुकाम हासिल कर सकता है |
अध्ययन का उद्देश्य 1. कोविड-19 महामारी के दौरान दिव्यांग छात्रों को आने वाली शैक्षिक समस्याओं का अध्ययन करना| 2. दिव्यांग छात्रों के शैक्षिक समस्याओं के समाधान के लिए उपचारात्मक समाधान देना |
साहित्यावलोकन

संक्रियात्मक परिभाषा
कोविड-19: Joel Achenbach et al (2020) “वायरल का प्रकोप आधिकारिक तौर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की नज़र में एक महामारी बन गयाजिसने कोविड -19 नामक बीमारी के खतरनाक प्रसार और इसे रोकने के लिए कई देशों की धीमी प्रतिक्रिया का हवाला दिया,वायरस संक्रमित व्यक्ति के मुंह या नाक से छोटे तरल कणों में फैल सकता है जब वे खांसतेछींकतेबोलतेगाते या सांस लेते हैं। ये कण बड़ी श्वसन बूंदों से लेकर छोटे एरोसोल तक होते हैं। घर पर रहना और जब तक आप अस्वस्थ महसूस नहीं करते तब तक आत्म-पृथक होना
दिव्यांग: World Health Organization (WHO),हानि शरीर के कार्य या संरचना में एक समस्या हैएक गतिविधि सीमा किसी कार्य या क्रिया को निष्पादित करने में किसी व्यक्ति द्वारा सामना की जाने वाली कठिनाई हैजबकि भागीदारी प्रतिबंध एक व्यक्ति द्वारा जीवन स्थितियों में शामिल होने में अनुभव की जाने वाली समस्या है। इस प्रकार विकलांगता एक जटिल घटना हैजो किसी व्यक्ति के शरीर की विशेषताओं और उस समाज की विशेषताओं के बीच अंतःक्रिया को दर्शाती है जिसमें वह रहता है
संयुक्त राष्ट्र द्वारा, “विकलांगता का वर्णन यह कहते हुए करता है कि: "विकलांगता विकलांग व्यक्तियों और व्यवहार और पर्यावरणीय बाधाओं के बीच बातचीत से उत्पन्न होती है जो दूसरों के साथ समान आधार पर समाज में उनकी पूर्ण और प्रभावी भागीदारी में बाधा डालती है

मुख्य पाठ

कोविड 19 महामारी
कोरोना वायरस बीमारी एक सांस की बीमारी है जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। कोरोना वायरस (COVID-19) की पहचान चीन के वुहान में 2019 में हुई थी। कोविड -19 दक्षिण चीन के वुहान में हुनान सीफूड बाजार में उभरा और तेजी से दुनिया भर में फैल गया, तो वायरस के प्रकोप को विश्व द्वारा अंतर्राष्ट्रीय चिंता का सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित कर दिया गया था। यह एक नया वायरस है जो इससे पहले कभी मनुष्यों में नहीं पाया गया था, कोरोना वायरस बीमारी एक संक्रामक बीमारी है जो SARS-CoV-2 वायरस की वजह से फैलता है, माना और कहा जाता है कि वायरस मुख्य रूप से उन लोगों के बीच फैलता है जो एक संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने पर उत्पन्न होने वाली सांस की बूंदों के माध्यम से एक दूसरे के निकट संपर्क में (लगभग 6 फीट के भीतर) आने से संक्रमित होते हैं, यह भी संभव है कि कोई व्यक्ति किसी ऐसी सतह या वस्तु को छूए जिस पर वायरस है और फिर अपने स्वंग का मुंह,नाक या आंखों को छूकर वह व्यक्ति कोविड-19 संक्रमित हो सकते है| अगर आप किसी संक्रमित सतह को छूते हैं और उसके बाद आंखें, नाक या मुंह छूते हैं, तो ऐसा करने पर भी आप संक्रमित हो सकते हैं। यह वायरस किसी इमारत के भीतर और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर ज़्यादा आसानी से फैलता है। वायरस संक्रमित व्यक्ति के खांसने, छींकने, बोलने, गाना गाने या सांस लेने के दौरान उनके मुंह या नाक से निकलने वाले छोटे तरल कणों के माध्यम से फैलती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मार्च 2020 को SARS-CoV-2 को एक महामारी घोषित किया रोगी में विभिन्न लक्षण दिखाता है आमतौर पर बुखार, खांसी, गले में खराश, सांस फूलना, थकान और अस्वस्थता आदि। रोग सामान्य के माध्यम से ठीक किया जा रहा है उपचार, रोगसूचक उपचार, एंटीवायरल दवाओं का उपयोग करके, ऑक्सीजन थेरेपी और प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा। संभावित मामलों की जल्द से जल्द पहचान करना और संदिग्ध लोगों को पुष्टि किए गए मामलों से अलग करना आवश्यक है।[1]
शोध कार्य की अध्ययन की आवश्यकता एवं औचित्य
माध्यमिक स्तर की शिक्षा किसी भी छात्र के लिए महत्वपूर्ण होता है,जो सभी छात्रों के भविष्य की शिक्षा और व्यवसाय के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, आदिकाल से लेकर आज तक शिक्षक की भूमिका को महत्वपूर्ण माना गया है तथा शिक्षक आज भी समाज में पूजनीय है।
दिव्यांगछात्रों को शैक्षिक विद्यालय में भौतिक बाधाओं का सामना करना पड़ता रहा है अचानक से कोविड-19 महामारी आ जाने से सामान्य छात्रों की तुलना में दिव्यांग छात्रों को अधिक समस्या का सामना करना पड़ रहा था क्योंकि जब कोविड-19 आया था तो किसी को भी ऐसी भयावह स्थिति के बारे में नहीं पता था और ना ही कोई स्कूल पूर्व से कोई योजना बनाई थीसामान्य बच्चे तो कोविड-19 में ऑनलाइन पढ़ाई कुछ हद तक कर लिया परंतु दिव्यांग छात्रों के लिए बहुत ही मुश्किल रहाक्योंकि दृष्टिबाधित बच्चों और श्रवण बाधित के लिए तो स्मार्टफोन का उपयोग की कल्पना करना मुश्किल ही था
अनुसन्धान अन्तराल
उपरोक्त शोध अध्ययन के उपरांत शोधकर्ता को यह समझ में आया की कोविड-19 महामारी में सामान्य व्यक्ति के साथ-साथ दिव्यांग छात्रों को भी सामान्य परेशानी का सामना करना पड़ा हैं से संबंधित शोध भारत के साथ साथ विदेशो में भी हुए हैं, तथा कोविड-19 महामारी में शैक्षणिक संबंधित समस्या पर शोध हुए है परन्तु कोविड-19 महामारी में दिव्यांग छात्रों को होने वाले शैक्षणिक समस्या पर अध्ययन शोधकर्ता को कहीं पढ़ने को नहीं मिला था अत: जिसके पश्चात् शोधकर्ता के मन में तीव्र जिज्ञासा हुई कि क्यों नहीं दिव्यांग छात्रों को कोविड-19 महामारी में  होने वाली शैक्षणिक समस्या पर एक अध्ययन किया जाए।

सामग्री और क्रियाविधि
1. अनुसंधान प्रकार गुणात्मक है। 2. अनुसंधान वर्णनात्मक है।
न्यादर्ष

जनसंख्या:
बिहार राज्य के सहरसा जिले के कहरा प्रखंड में उपस्थित सभी निजी एवं सरकारी माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्ययन कर रहे दिव्यांग विद्यार्थी होंगे|
उपकरण का विवरण:
प्रस्तुत शोध में स्व-तैयार वस्तुनिष्ठ प्रश्नावली का प्रयोग किया गया है। प्रस्तुत उपक्रम के माध्यम से पढ़ाई कर रहे माध्यमिक उच्च माध्यमिक दिव्यांग विद्यार्थियों को कोविड-19 महामारी में होने वाली शैक्षिक समस्याओं से संबंधित प्रमाणित जानकारी प्राप्त हो सकती है।
डाटा प्रकार:
1. स्व-तैयार प्रश्नावली।
कुल 35 प्रश्न में से 18 प्रश्न में चार विकल्प दिए हुए हैं ,12 प्रश्न में दो विकल्प दिए है तथा पांच प्रश्न ओपन एंडेड के हैं।
2. साक्षात्कार।

विश्लेषण

कोविड-19 जानकारी 
ज्यादातर (94%) उत्तरदाताओं को कोविड-19 के बारे में सही जानकारी थी क्योंकि उत्तरदाताओं को अपने माता-पिता के माध्यम से एवं सरकार द्वारा रेडियोटेलीविजन पर प्रसारित कोविड-19 कार्यक्रमों से जानकारी प्राप्त हुई, 6% उत्तरदाताओं को कोविड-19 के बारे में कम जानकारी थी क्योंकि इन उत्तरदाताओं के माता-पिता ज्यादा पढ़े लिखे नहीं थे तथा इनके घर में टेलीविजनरेडियो की कमी देखा गयापाया गया।
शैक्षणिक संबंधित जानकारी:
सभी (100%) उत्तरदाताओं को कोविड-19 में पढ़ाई अच्छी तरीके से नहीं हो पाई क्योंकि कोविड-19 के समय सारे स्कूल बंद थे और बहुत सारे (88%) उत्तरदाताओं  को कंप्यूटरलैपटॉपटैबलेटमोबाइलस्मार्टफोन चलाना नहीं आता था और  इन लोगों के पास ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिए उपर्युक्त संसाधन उपलब्ध नहीं थे उत्तरदाताओं को इंटरनेट कनेक्टिविटी की भी समस्या थी तथा विभिन्न उत्तरदाताओं को ऑनलाइन शिक्षण में विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ा जैसे कि मूकबधिर,श्रवणबधिर उत्तरदाताओं को ऑनलाइन शिक्षण को सुनने तथा अपनी समस्याओं को पूछने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता था। इसी प्रकार से दृष्टि बधिरों को भी दृश्य सामग्री को देखने तथा समझने में समस्या होती थी।
सामाजिक संबंधित जानकारी 
लॉकडाउन के दौरान ज्यादातर उत्तरदाताओं को अपने सहपाठी या समाज के लोगों का सहयोग नहीं मिला क्योंकि कोविड-19 के समय बहुत सारे सहपाठी तथा समाज के लोग कोविड-19 महामारी के डर से घर से बाहर नहीं निकलते थे तथा अपने आप को घर में रहने को ही सुरक्षित समझते थेज्यादातर उत्तरदाता किसी भी सामाजिक कार्यों में शामिल नहीं हुए क्योंकि कुछ उत्तर दाताओं ने कहा कि मैं शामिल तो होना चाहता था परंतु हमारे माता-पिता हमें कोविड-19 के समय घर से  बाहर निकलने की इजाजत नहीं देते थेकुछ ने कहा कि हमें कोविड-19 महामारी का डर भी था अगर मुझे कोविड-19 संक्रमण हो जाता तो पक्का मैं मर जाता क्योंकि मेरी दिनचर्या के जीवन में भी किसी ना किसी का सहयोग चाहिए होता है और अगर हमें कोई दिनचर्या के जीवन में सहयोग नहीं कर पाता तो मेरी जिंदगी और बद से बदत्तर हो जातीसभी उत्तरदाताओं ने लॉकडाउन में अपने घर पर रह करके लूडो तथा अपने परिवार के सदस्य के साथ दूसरे प्रकार के अन्य खेल खेलते थे। बहुत सारे बच्चों को अपनी समस्याओं के हिसाब से अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भय रहना होता है।
स्वास्थ्य संबंधित जानकारी 
बहुत सारे उत्तरदाताओं को कोविड-19 में मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ा क्योंकि कोविड-19 महामारी में शैक्षणिक समस्या इन उत्तरदाताओं के लिए बहुत बड़ी चुनौती के रूप में आया,अचानक से सारे स्कूल बंद हो गये और ऑनलाइन पढ़ाई के लिए बहुत सारे उत्तरदाताओं के पास कंप्यूटरलैपटॉपटैबलेटमोबाइल का अभाव तथा इसकी जानकारी नहीं होने की वजह से शैक्षणिक रूकावट हुई जिसके वजह से बहुत सारे उत्तरदाता मानसिक समस्याओं से ग्रसित हो गये तथा अपने परिवार के सदस्य के मदद से मानसिक समस्याओं का कुछ हद तक हल भी निकाला तथा किसी भी उत्तरदाताओं को कोविड-19 से संक्रमित नहीं हुए तथा सभी उत्तरदाता सावधानी पूर्वक अपने परिवार के सहयोग से घर पर सुरक्षित रहें।
महामारी का भय और शिक्षा के प्रति उम्मीद :
अस्पतालों के बाहर लोगों की चीख़-पुकारऑक्सीजन की कमीरोते परिजन और जलती लाशेंआजकल ये दृश्य मीडिया और सोशल मीडिया पर बहुत आम हो गए हैंपिछले कई दिनों से हम लगातार इन ख़बरों को सुन और देख रहे हैं। लेकिनये सूचनाएं सिर्फ़ सूचनाओं की तरह ही  नहीं बल्कि डर बनकर भी हमारे दिमाग़ में समा रही हैं। इस डर के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पर रहा है। एथिक्स एंड मेडिकल रजिस्ट्रेशन बोर्ड के अध्यक्ष बीएन गंगाधर सहित मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े अन्य डॉक्टरों ने एक खुला पत्र लिखकर ये मसला उठाया हैजो सही है क्योंकि कोविड-19 से समाज के हर व्यक्ति परेशान एवम् चिंतित हैकोविड-19 में जहां सामान्य बालक तो परेशान हुआ ही है लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी दिव्यांग विद्यार्थियों को हुई क्योंकि दिव्यांग विद्यार्थी पहले से ही बहुत सारे शारीरिक-मानसिक आदि प्रकार के समस्याओं से ग्रसित रहते हैं और अचानक से कोविड-19 महामारी का आना इनकी जीवनशैली से लेकर के इनके शैक्षणिक गतिशीलता में भी बहुत सारी कठिनाइयाँ आईं इसके बावजूद दिव्यांगजनों ने अपनी हिम्मत और साहस की बदौलत अपनी दृढ़ता बनाए रखी और भय मुक्त होकर के अपनी पढ़ाई जारी रखी।
दिव्यांग विद्यार्थियों की शिक्षा में संघर्ष पर कोविड-19 का प्रभाव :
दिव्यांग विद्यार्थियों को सामान्य विद्यार्थियों की तुलना में बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ता हैक्योंकि दिव्यांग विद्यार्थी स्कूल आने या जाने के लिए अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य पर निर्भर रहता है या रहना पड़ता हैनहीं तो स्वचालित रिक्शा गाड़ी पर निर्भर रहना पड़ता हैअचानक से कोविड-19 महामारी आ जाने से सामान्य विद्यार्थियों की तुलना में दिव्यांग विद्यार्थियों पर ज्यादा प्रभाव पड़ा क्योंकि सारे स्कूल कॉलेज बंद हो गए और ऑनलाइन पढ़ने के लिए इनके पास ना कंप्यूटरना लैपटॉपना टैबलेटना स्मार्टफोन था और इन दिव्यांग छात्रों की आर्थिक स्थिति इतनी बेहतर नहीं थी कि वह इसे खरीद सके। इससे यह स्पष्ट होता है कि दिव्यांग छात्रों की शिक्षा पर कोविड-19 महामारी का बहुत ही बुरा प्रभाव रहाक्योंकि दिव्यांग छात्र अपनी पढ़ाई कोविड-19 महामारी के समय अच्छी तरीके से नहीं कर पाए।
दिव्यांग छात्रों की सामूहिक आवाज :
1. प्रस्तुत दिव्यांग छात्रों की सामूहिक आवाज सरकार के द्वारा कोविड-19 महामारी में हमें कोई सुविधाएं नहीं मिली और बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा
2. “कोविड-19 महामारी में मेरी तबीयत खराब हो गयी थी फिर भी मुझे हॉस्पिटल जाने में डर लग रहा था
3. “मै दिव्यांग के साथ-साथ गरीब छात्र भी हूं और मेरी पढ़ाई कोविड-19 महामारी में खराब हो गई
4. “हमें ऑनलाइन पढ़ने में दिक्कतें होती थीं तथा शिक्षक का भी मार्गदर्शन नहीं मिल पाता था
5. “हम चार भाई-बहन हैं  तथा घर में एक ही मोबाइल हैऔर पढ़ने वाले सभी हैं
6. “कोविड-19 महामारी के दौरान मेरा सिर हमेशा दर्द करता रहता था।
7. “कोविड-19 महामारी के दौरान मेरे परिवार के सदस्यों का बहुत सहयोग मिला जिससे मैं अपनी पढ़ाई कर पाया
8. “कोविड-19 महामारी की वजह से मेरी पढ़ाई बहुत ख़राब हो गई
अवलोकन के आधार पर प्राप्त परिणाम :
1. सहपाठी से सम्बन्धित :
सहपाठी छात्रों से संबंधित उस समूह को कहते हैं जिसके सदस्य प्रायः उसी कक्षा एवं स्तर के छात्र होते हैं। कोविड-19 महामारी में जहां सभी अपने घरों में रहते थे तथा रहना पसंद करते थेइस समय हमारे उत्तरदाता विद्यार्थियों को अपने सहपाठी का सहयोग नहीं मिल पायाक्योंकि सारे स्कूल-कॉलेज बंद थे तथा आपस में बात करने का एक ही माध्यम था वह था टेलीकम्युनिकेशन। बहुत सारे उत्तरदाताओं ने कहा की हमारा सहपाठी से आपसी संपर्क नहीं हो पाया जैसे स्कूल कॉलेज में हो पाता था तथा हम लोग एक दूसरे की मदद भी नहीं कर पाए।
2. व्यक्तिगत आवश्यकताओं का मूल्यांकन :
इस शोध कार्य में शोधकर्ता को यह एहसास हुआ की सभी उत्तरदाताओं की जरूरतें  अलग-अलग हैतथा जब जरूरत  अलग-अलग है तो दिव्यांगता के प्रकार को ध्यान में रखते हुए इसका समाधान भी अलग-अलग ढूंढना होगा या करना होगा।
3. अतिरिक्त समय और व्यक्तिगत ध्यान :
दिव्यांग विद्यार्थियों को अतिरिक्त समय देने की आवश्यकता है क्योंकि दिव्यांग विद्यार्थी सामान्य विद्यार्थी के तुलना में थोड़ा बहुत धीमा सीखने वाला तथा लिखने वाला होता है,तथा इन्हें अतिरिक्त समय देने से दिव्यांग विद्यार्थी  और कुशलता प्राप्त कर सकते हैं।
व्यक्तिगत ध्यान देने की आवश्यकता है क्योंकि प्रत्येक दिव्यांग विद्यार्थी की जरूरतें अलग-अलग होती हैं और जरूरत के हिसाब से इन्हें विशेष ध्यान देना चाहिए ताकि ये और प्रतिभाशाली बन सके।

निष्कर्ष प्रस्तुत शोध में सर्वप्रथम बिहार के सहरसा जिला के 10 प्रखंड में से एक कहरा प्रखंड को न्यादर्श के रूप में चुना गया था| जिसमें से 6 राजकीय माध्यमिक विद्यालय तथा 5 उच्च माध्यमिक विद्यालयों को चुना गया था| इसके पश्चात माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक में दिव्यांग विद्यार्थी को कोविड-19 महामारी में होने वाली शैक्षणिक समस्याओं से संबंधित अध्ययन हेतु उपयुक्त मानकीकृत प्रश्नावली का प्रयोग कर आंकड़ा एकत्रित किया गया था| परिणाम स्वरुप यह पाया गया कि दिव्यांग विद्यार्थियों को कोविड-19 महामारी के दौरान शैक्षणिक समस्या हुई जिसकी वजह से दिव्यांग विद्यार्थी की पढ़ाई पहले की तुलना में खराब हो गयी थी | 1. जब हमने एक दिव्यांग विद्यार्थियों से पूछा कि आपके परिवार में और कोई भी दिव्यांग है तो उसका जवाब मिला हां|और जब शोधकर्ता उनके घर गए तो देखा, तीनों बहनें दिव्यांग थीं लेकिन ख़ुशी इस बात से हुई कि एक बहन दिव्यांग होने पर भी तथा परिवार के आर्थिक स्थिति खराब होने के बावजूद भी इन्होंने पढ़कर सरकारी नौकरी हासिल की| 2. संयुक्त परिवार होने की वजह से एक दिव्यांग विद्यार्थी की पढ़ाई कोविड-19 महामारी में भी अच्छी रही तथा अन्य की बढ़िया नहीं रही | 3. इस शोध से यह तथ्य सामने आया कि अगर दिव्यांग बच्चों को स्कूल तथा घर में अच्छा वातावरण मिले तो सामान्य विद्यार्थी की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं | 4. कोविड-19 महामारी में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए कोई स्वास्थ्य सुविधा नहीं थी तथा दिव्यांगों के लिए कोई हेल्पलाइन नंबर भी जारी नहीं किया गया था सरकार द्वारा| 5. प्रस्तुत शोध में यह पाया गया कि दिव्यांग विद्यार्थियों को कोविड-19 महामारी में अगर उचित शैक्षणिक वातावरण मिला होता तो बहुत सारे दिव्यांग छात्रों की पढ़ाई और बेहतर हुई होती | 6. प्रस्तुत शोध में यह भी पाया गया कि दिव्यांग विद्यार्थी गरीबी तथा उचित मार्गदर्शन नहीं मिलने की वजह से उच्चतर शिक्षा में पिछड़ जाते हैं | 7. न्यादर्श में दिए गए सम्मलित 25 दिव्यांग विद्यार्थियों में से एक से पूछा गया कि आप क्या बनना चाहते हैं तो दिव्यांग विद्यार्थी का जवाब था आईएएस,ताकि आईएएस बनकर मैं सारे स्कूल में दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए अच्छी सुविधा मुहैया करा सकूं| 8. वर्तमान अध्ययन में सम्मिलित किए गए दिव्यांग विद्यार्थी बिहार के सहरसा जिले के हैं जो आर्थिक रूप से बहुत कमजोर थे |
सन्दर्भ ग्रन्थ सूची
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