ISSN: 2456–4397 RNI No.  UPBIL/2016/68067 VOL.- VIII , ISSUE- III June  - 2023
Anthology The Research
विद्यार्थी के जीवन में शिक्षा का महत्व
Importance of Education In Life of Student
Paper Id :  17856   Submission Date :  18/06/2023   Acceptance Date :  23/06/2023   Publication Date :  25/06/2023
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नर्गिस परवीन
शोधकर्ता
शिक्षा विभाग
लक्ष्य कॉलेज
स्योहारा,उत्तर प्रदेश, भारत
सारांश शिक्षा का कार्य है कि वह संपूर्ण जीवन प्रक्रिया को समझने में हमारी समस्त सहायता करें न हमें केवल कुछ व्यवसाय या ऊंची नौकरी के योग्य बनाएं। कृष्णमूर्ति कहते हैं कि हमें बचपन से ही ऐसे वातावरण में रहना चाहिए जहां भय का वास न हो नहीं तो व्यक्ति जीवन भर कुंठित हो जाता है। उसकी महत्वाकांक्षायें दबकर रह जाती हैं। कृष्णमूर्ति मानते हैं कि शिक्षा मनुष्य का उन्नयन करती है वह जीवन के सत्य जीवन जीने के तरीके में मदद करती है।
सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद The function of education is to help us all in understanding the whole life process and not just to make us eligible for some profession or higher job. Krishnamurti says that from childhood we should live in such an environment where fear does not exist, otherwise one becomes frustrated throughout life. His greatness remains suppressed. Krishnamurti believes that education uplifts man, it helps in the true way of life.
मुख्य शब्द शिक्षा, विद्यार्थी, शिक्षा का महत्व, बुद्धिमत्ता।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Education, Student, Importance of Education, Intelligence
प्रस्तावना

शिक्षा जीवन की वह विशेष प्रक्रिया है, जो निरंतर जीवन को नया रूप एवं नया नाम प्रदान करती है। किसी भी विकास के लिए पर्याप्त सूक्ष्म निरीक्षण, मनन तथा चिंतन की आवश्यकता होती है। शिक्षा सिद्धांतों को मूर्त रूप से शिक्षा की प्रक्रिया के माध्यम से ही दिया जाता है दर्शन से संबंध बनाए बिना शिक्षा की प्रक्रिया उत्तम रीति से नहीं चल सकती हैं।" शिक्षा शब्द का प्रयोग अनेक अर्थों में किया जाता है। शाब्दिक अर्थ के अनुसार, शिक्षा एक विकास संबंधी प्रक्रिया है अर्थात शिक्षा मानव जीवन में निरंतर प्रवाह मान प्रक्रिया है। इस विकास की गति एवं प्रकृति को समझने के लिए शिक्षा की सामग्री का ज्ञान होना परम आवश्यक है। शिक्षा को आंग्ल भाषा में 'एजुकेशन' कहते हैं एजुकेशन' शब्द की व्युत्पत्ति निम्नलिखित शब्दों से हुई है।

शब्द की उत्त्पति लेटिन भाषा से हुई है। लेटिन भाषा के 'एडुकेटम' शब्द का अर्थ है__शिक्षित करना।" प्रत्येक बालक के अंदर जन्म से ही कुछ जन्मजात प्रवृतियां होती है जैसे-जैसे बालक वातावरण में आता जाता है वैसे वैसे उसकी शक्तियों को अंदर से बाहर की ओर विकसित करना ही शिक्षा है। "इस प्रकार शिक्षा शब्द का अर्थ जन्मजात शक्तियों का सर्वागींण विकास करना है। अतः व्यापक अर्थ में शिक्षा का तात्पर्य मानव जीवन के उन समस्त पक्षों से जो उसे परिष्कृत रूप से ढालते हैं तथा सभ्य बनाते हैं। शिक्षा का संकुचित रूप से तात्पर्य विद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा से है। वास्तविक रूप में शिक्षा का प्रथम स्रोत राज्य होता है शिक्षा के संबंध में कुछ प्रमुख विद्वानों के मत निम्नलिखित हैं।

शिक्षा क्या है?

प्लेटो के अनुसार, “शिक्षा बौद्धिक बुराई के लिए बौद्धिक उपचार है। अरस्तू के अनुसार यदि मनुष्य को अपने चरित्र की संभावनाओं की पूर्ति प्राप्त करनी है तो शिक्षा महत्वपूर्ण हैं

महात्मा गांधी जी के अनुसार, " शिक्षा वह है जो बालक के शरीर, मन और आत्मा का विकास करें।" जे एस मिल के अनुसार, " शिक्षक द्वारा एक पीढ़ी के लोग दूसरी पीढ़ी के लोगों में संस्कृति का संक्रमण करते हैं ताकि वे उसका संरक्षण कर सकें और यदि संभव हो तो उसे उन्नति भी कर सके।" रविंद्र नाथ टैगोर के अनुसारशिक्षा का अर्थ है मस्तिष्क को इस योग्य बनाना है कि वे सत्य की खोज कर सकें तथा अपना बनाते हुए उसको व्यक्त कर सकें।"

अध्ययन का उद्देश्य

अध्ययन के द्वारा छात्रों को केवल सामाजिक एवं भौतिक वातावरण की जानकारी मिलती है अपितु वे किस प्रकार से इस वातावरण में स्वयं को समायोजित कर सके इसकी भी जानकारी प्राप्त होती है यह विषय छात्रों में ऐसी योग्यता का विकास करता है कि वह अपने को वातावरण के साथ समायोजित कर सकें।

साहित्यावलोकन

साहित्य समीक्षा की आवश्यकता शोध कार्य की योजना बनाने में, शोध समस्या के चयन करने में, अपने शोध अध्ययन के लिए परिकल्पना का निर्माण करने में निहित है। यह शोधकर्ता को एक दिशा प्रदान करती है। साथ ही शोधकर्ता अपने साहित्य समीक्षा के आधार पर ही अपनी शोध परिकल्पना तैयार कर एक नवीन ज्ञान को सृजित व अन्वेषित करता है।

मुख्य पाठ

"शिक्षा व्यापक रूप से मानव समाज के विकास और प्रगति का महत्वपूर्ण कारक है। शब्द "शिक्षा" संस्कृति शब्द शिक्षा से निकला है जिसका अर्थ होता है "शिक्षक की शिक्षा" इसका मतलब है कि शिक्षा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ज्ञान, सूचना, और कौशल की प्राप्ति होती है और इसे एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति के माध्यम से सीखा जाता है।

"शिक्षा एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो मनुष्य के जीवन में ज्ञान, संज्ञान, और बुद्धिमत्ता का विकास करती हैं, इसके माध्यम से हम अपने अध्यापक ज्ञान को बढ़ाते हैं और नई जानकारी को आवश्यक और उपयोगी तरीके से प्राप्त करते हैं। इसलिए छात्रों को हिंदी में शिक्षा का महत्व लिखने का प्रयास करते रहना चाहिए।

"शिक्षा छात्रों को जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में योग्यता, कौशल, और सामरिकता प्रदान करती है। इसके द्वारा व्यक्ति मनोवैज्ञानिक विकास, भावनात्मक समझ, समाज सेवा, भावना, व्यक्तिगत उत्थान और आर्थिक स्वावलंबन का मार्ग प्रदर्शित करते हैं।

शिक्षा मानव समाज के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है यह ना केवल ज्ञानार्जन का साधन है बल्कि यह समाज के न्याय समानता को प्राप्त करने का माध्यम भी है। शिक्षित लोग समाज में सक्रिय भूमिका निभाते हैं और सामरिकता संप्रेम और सद्भाव की स्थापना करते हैं।

शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है। उसे सही नीतियों, मूल्यों और संस्कृति ज्ञान का प्रदान करती है। शिक्षा उन गुणों का विकास करती है जो एक व्यक्ति को समाज में सफल बनाते हैं, बुद्धिमत्ता जैसे कि बुद्धिमत्ता, सहजता, विचारशीलता, संगठनशीलता, और संगठन क्षमता।

शिक्षा के विभिन्न प्रकार है जैसे कि मौलिक शिक्षा मानविकी शिक्षा साहित्यिक शिक्षा, वैज्ञानिक शिक्षा, गणित शिक्षा, कला शिक्षा और व्यवसायिक शिक्षा। यह शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता और व्यापक ज्ञान का विकास करते है।

शिक्षा का प्रमुख उद्देश्य

शिक्षा के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

ज्ञानार्जन शिक्षा द्वारा हम विभिन्न विषयों में ज्ञान प्राप्त करते हैं. जो हमारे मनोवैज्ञानिक तकनीकी, वैज्ञानिक, साहित्यिक और सामाजिक विकास के लिए आवश्यक है यहां हमें स्वयं विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त करने में मदद करता है।

व्यक्तिगत विकास शिक्षा हमारे व्यक्तिगत कौशलों योग्यताओं और स्वभाव को सुधारने में मदद करती है। यह हमारी सोचने की क्षमता, समस्याओं का समाधान करने की क्षमता और स्वतंत्रता के साथ नए और अविष्कार विचारों का विकास करती है।

समाज सेवा शिक्षा हमें सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति जागरुकता प्रदान करती है और सामाजिक समस्याओं के समाधान के लिए कर्मठता व योग्यताओं का विकास करती है। यह हमें एक न्याय संगत, इंसानी, और समरस समाज के निर्माण में सहयोग करने की प्रेरणा प्रदान करती है।

आर्थिक स्वावलंबन शिक्षा हमें आर्थिक स्वावलंबन के मार्ग पर ले जाती है। शिक्षित व्यक्ति को अधिक रोजगार के अवसर उच्चतम वेतन और आर्थिक स्थिरता का लाभ मिलता है इसके अलावा शिक्षा हमें उच्चतम स्तर की जीवन गुणवत्ता की प्राप्ति के लिए भी तैयार करती है।

सामान्य संस्कृति के प्रचार शिक्षा हमें विभिन्न संस्कृतियों धर्मों और संप्रदायों की समझ प्रदान करती है। और सामान्य संस्कृति को प्रचलित करती है। यह हमारे बीच सद्भाव तोलमोल और संस्कृति विविधताओं को स्वीकार करने में मदद करती है।

फोबल के अनुसार, "शिक्षा में प्रक्रिया है जिसके द्वारा बालक की जन्मजात शक्तियां बाहर निकलती है।"

भारत सरकार के द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सक्षम बनाने के लिए भारत सरकार के समय समय पर बहुत से कदम उठाए गए हैं जैसे सरकार ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और 2021-22 की बजट घोषणाओं के अनुरूप वयस्क शिक्षा के सभी पहलुओं को कवर करने के लिए वित्त वर्ष 2022-2027 की अवधि के लिए "न्यू इंडिया साक्षरता कार्यक्रम (नव भारत साक्षरता कार्यक्रम)" को मंजूरी दी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रौढ़ शिक्षा और आजीवन सीखने की सिफारिशें शामिल हैं।

SWAYAM (स्टडी वेब्स ऑफ एक्टिव लर्निंग फॉर यंग एस्पायरिंग माइंड्स) मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक ऑनलाइन मंच है जिसके माध्यम से भारत में छात्रों को ऑनलाइन कार्यक्रम / पाठ्यक्रम प्रदान किए जाते हैं। इसे 9 जुलाई 2017 को लॉन्च किया गया था। स्वयं प्रभा मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक पहल है जो 24X7 आधार पर देश भर में डीटीएच (डायरेक्ट टू होम) के माध्यम से 34 उच्च गुणवत्ता वाले शैक्षिक चैनल प्रदान करती है।

शिक्षा द्वारा सामाजिक एवं व्यक्तिक मूल्यों का विकास

अपने साथ और दूसरों के साथ भली प्रकार से चलने की बढ़ती हुई योग्यता सामाजिक विकास का ही एक प्रकार है शिक्षा के द्वारा निम्नलिखित सामाजिक एवं व्यक्ति मूल्यों का विकास होता है।

चरित्र का विकास चरित्र के विकास में चरित्र के विकास में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है शिक्षा व्यक्ति को सामाजिक नियमों, दायित्व, विकास के आचरण आदि के विकास में सहायक व प्रेरक होती है। अशिक्षित व्यक्ति का आचरण एक शिक्षित व्यक्ति की तुलना में समान में अधिक प्रशंसनीय होता है।

अनुशासन, सामाजिक एवं व्यक्ति के मूल्यों का सही पालन करने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसे व्यक्ति समाज एवं परिवार के मध्य एक अच्छे अनुशासन को बनाए रखते हैं। इसके साथ ही यह समाज में अच्छे अनुशासन को बनाए रखने में प्रेरक का कार्य करते हैं। प्रतिस्पर्धा तथा सहयोग शिक्षित व्यक्ति में किसी प्रतिस्पर्धा का सामना करने अथवा दूसरे को सहयोग करने की भावना प्रबल होती है। इससे व्यक्ति को सही तथा गलत का सही ज्ञान हो पाता है। अतः शिक्षा महत्वपूर्ण है।

आत्मविश्वास की भावना शिक्षा किसी व्यक्ति के आत्मविश्वास को बढ़ाती है। यह कठिनाइयों का सामना तार्किकता के साथ करने में सक्षम होती है। अतः शिक्षा व्यक्ति के आत्मविश्वास आत्मनिर्भर बढ़ाने में उत्प्रेरक का कार्य करती है।

बड़ों का सम्मान शिक्षा से व्यक्ति के कर्तव्य पालन की भावना, कर्तव्यनिष्ठा बड़े का सम्मान छोटे के प्रति व्यवहार, सामाजिक मूल्यों को बनाए रखने तथा उसका सही कारण करने की प्रवृति का विकास होता है। सामाजिक भूमिका निर्वाहन दायित्व का निर्वहन समाज का शिक्षित व्यक्ति सही तरीके से करने में सक्षम होता है। अतः वह सामाजिक मूल्यों को बनाए रखने में महत्व भूमिका निभाता है।

सामाजिक परिपक्वताः सामाजिक परिपक्वता वाले समाज, सामाजिक मूल्यों, नैतिक आचरण तथा व्यक्तिक विकास से पूर्व माने जाते हैं। समाज में ऐसी प्रवक्ता शिक्षा के माध्यम से आती है। यह समाज को एक आदर्श समाज बनाने में सहायक होती है।

राष्ट्रीयता: शिक्षा व्यक्ति में सामाजिक दायित्व के साथ-साथ राष्ट्रीय भावना के विकास को प्रेरित करती है । शिक्षा से व्यक्ति में अपने राष्ट्र के के प्रति सद्भाव, आदर्श का सदैव राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना आदि का विकास होता है।

आदर्शवादित्य: शिक्षा से व्यक्ति में आदर्शवादिता के गुणों का विकास होता है। वह समाज के लिए लिए प्रेरक बनता है जिससे आदर्शवादी हिंदी समाज के निर्माण को बढ़ावा मिलता है।

शिक्षा के उद्देश्य:

शिक्षा के निम्नलिखित उद्देश्य है।

संतुलित व्यक्तित्व का उद्देश्य शिक्षा का उद्देश्य संतुलित व्यक्तित्व का निर्माण कर उसे विकसित करना है। व्यक्तित्व के निर्धारण ( मानसिक, संवेगात्मक, शारीरिक, सामाजिक एवं आध्यात्मिक) अर्थात सभी में संतुलन एवं सामंजस्य रखते हुए उन्हें विकसित करना। गांधीजी के अनुसार शरीर मन तथा आत्मा का उचित सामंजस्य संपूर्ण व्यक्तित्व की रचना करता करता है। और यहां शिक्षा की सच्ची मित्रता का निर्माण करता है।"

नैतिक अध्यात्मिक विकास का उद्देश्य शिक्षा का उद्देश्य सर्वप्रथम व्यक्तिक विकास माना है। नैतिक गुणों के विकास के बिना वह सामाजिक विकास के बारे में कुछ भी सोच नहीं सकते। गांधी जी ने व्यक्तिगत सामाजिक विकास के उद्देश्य को एक दूसरे का पूरा कहा कहा है। अतः दोनों में समन्वय करके ही राष्ट्रीय समाज का विकास संभव है।

मुक्ति का उद्देश्य 'सा विद्या या विमुक्ताए इस आदर्श के अनुसार शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को सांसारिक बंधनों से मुक्ति दिलाना है। और उसकी आत्मा को उन्नत जीवन की ओर ले जाना है। गांधीजी शिक्षा के द्वारा व्यक्ति को आध्यात्मिक स्वतंत्रता देना चाहते थे, जिससे उसकी जीवन के मूल्यों को प्राप्ति आत्मा का विकास हो सके।

1. मानव आत्मा का पोषण 'पूर्णता की प्राप्ति

2. मानसिक तथा आध्यात्मिक विकास

3. आचरण तथा नैतिक चरित्र का विकास

4. संतुलित व्यक्तित्व का विकास 'उचित विकास तथा मूल्यांकन की प्राप्ति

5. आत्म शिक्षा की तैयारी

शिक्षा के उद्देश्यों के माध्यम से हम समृद्ध समरस और प्रगतिशील समाज का निर्माण कर सकते हैं यह हमारे व्यक्तित्व का विकास करता है और हमें आदर्श नागरिके रूप में समर्पित करता है। शिक्षा मनुष्य के मस्तिष्क को सही दिशा प्रदानकर जीवन के लक्ष्यों में सफलता प्रदान करना है। शिक्षा का मूल उद्देश्य विद्यार्थियों को चरित्रवान बनाना है।

निष्कर्ष

शिक्षा हमें निष्कर्ष निकालने में मदद करती है कि क्या सही है और क्या गलत? शिक्षा से मनुष्य के विचारों में संतुलन और स्थिरता आती है। शिक्षा से हमारा धैर्य चिंतन मनन और संकल्प की शक्ति बढ़ती है। शिक्षा से हम गरीबी और अज्ञानता को मिटा सकते हैं और शिक्षा से ही हम अपने आस-पास शांति और भाईचारे का माहौल बना सकते हैं। शिक्षा एक बेहतर समाज का निर्माण करती है। सभी के लिए समान अवसर लाती है शिक्षित लोग एक बेहतर समाज बनाने में सक्षम होंगे। विषयों और गतिविधियों में विविधता के कारण आधुनिक अधिक उपयोगी रही यह निष्कर्ष निकाला गया है कि व्यवहारिक ज्ञान बेहतर परिणाम देता है जिसका आधुनिक शिक्षा पैटर्न द्वारा पालन किया जाता है। इसलिए अगर हम तुलना करें तो आधुनिक शिक्षा पारंपरिक साधनो से बेहतर थी। इसका प्राथमिक लक्ष्य बच्चे के समग्र विकास को बढ़ावा देना है। जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होता है. शिक्षा का परिणाम बेहतर और समृद्ध जीवन के रूप में दिखाई देता है। इसका मुख्य कारण यह है कि शिक्षा लोगों को सामाजिक संरचना में उनकी स्वतंत्रता और दायित्वों के प्रति जागरूक होने का अधिकार दे है।




सन्दर्भ ग्रन्थ सूची

1. अरिहंत बुक लेखक गण संजीत कुमार, राजेश कुमार, पूजा शर्मा पृष्ठ संख्या 81,74,75
2. विकीपीडिया
3. एमडी जफर पृष्ठ संख्या 216
4. लाल रमण बिहारी (2017_18) दार्शनकि एवं समाज शास्त्री आधार मेरठ आर लाल बुक डपी आईएसबीएन-978-93-86405-86-9 पृष्ठ संख्या 1,2
5. श्री संपूर्णानंद पृष्ठ संख्या 283
6. गूगल (www.google.com)
7. https://testbook.com/articles-in-hindi/shiksha-ka-mahatva