ISSN: 2456–5474 RNI No.  UPBIL/2016/68367 VOL.- VIII , ISSUE- VI July  - 2023
Innovation The Research Concept

अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद में आत्मघाती-हमलों की भूमिका

Role of Suicide Attacks in International Terrorism
Paper Id :  17831   Submission Date :  16/07/2023   Acceptance Date :  21/07/2023   Publication Date :  24/07/2023
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राजकुमार (मंडोरा)
एसोसिएट प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष
रक्षा एवं स्त्रातेजिक अध्ययन विभाग
श्री खुशाल दास विश्वविद्यालय
हनुमानगढ़,राजस्थान, भारत
सारांश

आतंकवाद ऐसी विचारधारा है जो अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए और राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सभी प्रकार की शक्ति तथा अस्त्र शस्त्र के प्रयोग करने में विश्वास रखती है। आतंकवादियों द्वारा अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग विरोधी वर्ग, सम्प्रदाय अथवा राष्ट्र विशेष को गैर कानूनी ढंग से डराने, धमकाने, जान से मार देने के लिए किया जाता है। हिंसा के माध्यम से सरकार को गिराने तथा शासन तंत्रों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के प्रयास किये जाते हैं। आज लगभग सम्पूर्ण विश्व में आतंकवाद व्याप्त है अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिये सार्वजनिक हिंसा और सामूहिक हत्याओं का कुत्सित रास्ता अपनाया जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडी, भारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी तथा राजीव गाँधी व शेखमुजीब, बेनजीर भुट्टों आदि की नृशंस हत्या, भारत के विमान आई. सी. 814 का अपहरण, भारतीय संसद पर हमला व अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर व पेंटागन पर हमला आदि घटनायें हैं जो अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के कतिपय उल्लेखनीय उदाहरण है। आतंकवाद का सबसे खतरनाक रूप है - आत्मघाती हमले अर्थात् मानव बम। क्योंकि उसे खुद मरने की परवाह नहीं होती इसलिये वह किसी भी स्थिति में भयभीत नहीं होता। मानव बम तैयार कर लेना किसी भी आतंकवादी संगठन के लिये गर्व की बात है। यह कार्य वही कर सकता है जिसमें प्राणोत्सर्ग की उच्च कोटि की भावना हो । मनोवैज्ञानिक विश्लेषण एवं विद्वानों के विभिन्न मतों का अध्ययन करने के बाद हम कुछ कारणों की खोज कर पाये हैं जो आतंकवादियों को आत्मघात के लिये प्रेरित करते हैं। आत्मघाती अधिकांशतः पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईराक, श्रीलंका, फिलिस्तीन, मुस्लिम समाज से अधिक संबंधित है और उनके मन में अमेरिका जैसे देश के लिये सख्त नफरत की भावना पैदा हो गई। भारत आतंकवाद के विषय पर पूरी तरह संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ है। आतंकवाद की रोकथाम के लिये संघ ने जितने भी कदम उठाये हैं उन सबको भारत का समर्थन प्राप्त है। धन वह इंजिन है जो आतंकी-कार्यों को चलाता हैऔर यह कहना आश्चर्यजनक नहीं होगा कि जो लोग (संगठन) आतंकवादी कार्यों को रोकना, उनमें अवरोध डालना और उनका पता लगाना चाहते हैं, उनके लिए यह अति आवश्यक हो जाता है कि आतंकवाद के लिए धन जुटाने की क्रियाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की जायें ।

सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Terrorism is such an ideology that believes in using all kinds of power and weapons to fulfill its selfishness and achieve political objectives. Weapons are used by terrorists to illegally intimidate, threaten, kill the opposing class, community or nation. Through violence, efforts are made to topple the government and establish its dominance over the governance systems.
Today, terrorism is prevalent almost all over the world, to fulfill their selfishness, the sick way of public violence and mass murders is being adopted. US President John Af. Kennedy, India's Prime Minister Mrs. Indira Gandhi and Rajiv Gandhi and brutal murder of Shekhmujib, Benazir Bhutto, hijacking of India's aircraft IC 814, attack on Indian Parliament and attack on America's World Trade Center and Pentagon etc. There are some notable examples of international terrorism.
The most dangerous form of terrorism is suicide attack ie human bomb. Because he doesn't care about dying himself, he doesn't get scared in any situation. Preparing a human bomb is a matter of pride for any terrorist organization. This work can be done only by the one who has a high level of sense of self-sacrifice.
After psychological analysis and studying various opinions of scholars, we have been able to discover some reasons which motivate terrorists to commit suicide. Most of the suicides are related to Pakistan, Afganistan, Iraq, Srilanka, Philistine, Muslim society and a feeling of strong hatred for a country like America has arisen in their mind.
India is fully with the United Nations on the issue of terrorism. All the steps taken by the Sangh for the prevention of terrorism have the support of India.
'Money is the engine that drives terrorist-acts' and it would not be surprising to say that for those who want to prevent, disrupt and detect terrorist acts (organisations) Get complete information about the fund raising activities.
मुख्य शब्द आतंकवाद, मानव बम, आत्मघाती हमले, आतंकवादियों, भारत ।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Terrorism, Human Bomb, Suicide Attack, Terrorists, India.
प्रस्तावना

आतंकवाद की परिभाषा (Definition of Terrorism) 1.‘‘आतंकवाद वे अपराधिक कार्य हैं जो राज्य के विरूद्ध किये जाते हैं जिनका उद्देश्य या प्रभाव भय की स्थिति को उत्पन्न करना है जिससे वे उस उद्देश्य को प्राप्त कर सके जो उनके मस्तिष्क में है।1- राष्ट्र संघ द्वारा 1937 में परिभाषित की

2. ब्रेन एम. जेनकिन्स के शब्दों में, ‘‘आतंकवाद हिंसा के प्रयोग की धमकी है, व्यक्ति के हिंसात्मक कार्य हैं अथवा यह हिंसा का प्रचार है जिसका उद्देश्य भय के प्रयोग से आतंकित करना है।’’

3. जी. श्वाजनबर्गर के अनुसार, ‘‘आतंकवाद के अन्तर्गत आतंकवाद की शक्ति का प्रयोग भय को उत्पन्न करने के लिये करता है और इसके द्वारा वह इस उद्देश्य को प्राप्त कर लेता है जो उसके मस्तिष्क मे हैं।’’

4. 1985 में आतंकवादी गतिविधि निरोधक कानून में आतंकवाद को परिभाषित करते हुए तीन भागों में बाँटा गया हैः- 1. समाज के एक वर्ग विशेष को अन्य वर्गों से अलग-थलग और समाज के विभिन्न वर्गों के बीच व्याप्त आपसी सौहार्द को खत्म करने के लिए की गई हिंसा। 2. ऐसा कोई भी कार्य जिसमें ज्वलनशील बम तथा अग्नि शस्त्रों का प्रयोग किया गया हो। 3. ऐसी हिंसात्मक कार्यवाही जिसमें एक या उससे अधिक व्यक्ति मारे गये हो अथवा घायल हुए हो, आवश्यक सेवाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े तथा सम्पत्ति को हानि पहुंचे। उपर्युक्त परिभाषाओं से स्पष्ट होता है कि आज विश्व का कोई भी देश आतंकवाद की चपेट से अछूता नहीं है। इसलिये आतंकवाद एक भौगोलिक क्षेत्र या सामाजिक या राष्ट्रीय ग्रुप तक सीमित नहीं है। आतंकवाद को किसी सीमा में भी नहीं बाँधा जा सकता। वह अमेरिका में प्रहार कर सकता है तो यूरोप, मध्यपूर्व, लैटिन अमेरिका, एशिया तथा अफ़्रीका को भी अपनी चपेट में लेकर हाहाकार मचा सकता है।

अध्ययन का उद्देश्य

आज विश्व के हर कोने में आत्मघाती हमले अत्यधिक प्रचलन में हैं। विश्व का कोई भी नागरिक इनसे सुरक्षित नहीं है। इसलिये ‘‘आत्मघाती हमलेआज के मानव जीवन की सबसे भयंकर समस्या बन कर उभरे हैं। अतः उनके समाधान और नियंत्रण पर शोध कार्य अत्यन्त आवश्यक हो जाता है। यही सोच कर यह शोध कार्य लेखक ने प्रारम्भ किया।

साहित्यावलोकन

1. “काउण्टर टैरोरिज्मलेखक एस. के. शिवा, 2003, ऑथर्स प्रेस, लक्ष्मीनगर, दिल्ली- लेखक ने इस पुस्तक में आतंकवाद विरोधी विचारों का एक वैज्ञानिक विश्लेषण प्रस्तुत किया है। इस्लामिक आतंकवाद, आतंकवाद के वित्तीय साधनों पर भी विस्तृत प्रकाश डाला गया है।

2. आतंकवाद व आपदा प्रबंधन,” डॉ. सुरेन्द्र कुमार मिश्रा, 2010, राधा पब्लिकेशन्स, दरियागंज, नई दिल्ली-110002- इस पुस्तक मे लेखक ने आतंकवाद की अवधारणा, आतंकवाद के कारण, आतंकवाद के प्रकार, 21 वीं शताब्दी की आतंकी आपदायें, वैश्विक स्तर पर आतंकवाद, आत्मघाती-हमले, मादक पदार्थों की तस्करी, राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनौती, सामयिक समीक्षा एवं सुझाव आदि पहलुओं का उल्लेख किया है।

मुख्य पाठ

अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद (International Terrorism)

आतंकवाद ऐसी विचारधारा है जो अपने स्वार्थ को पूरा करने के लिए और राजनीतिक उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सभी प्रकार की शक्ति तथा अस्त्र शस्त्र के प्रयोग करने में विश्वास रखती है। आतंकवादियों द्वारा अस्त्रा शस्त्रों का प्रयोग विरोधी वर्गसम्प्रदाय अथवा राष्ट्र विशेष को गैर कानूनी ढंग से डरानेधमकानेजान से मार देने के लिए किया जाता है। हिंसा के माध्यम से सरकार को गिराने तथा शासन तंत्रों पर अपना प्रभुत्व स्थापित करने के प्रयास किये जाते हैं।

इस प्रकार आतंकवाद उस प्रवृति को कहा जाता है जिसके माध्यम से कतिपय अवांछित तत्व अपनी सभी प्रकार की मांगे स्थापित सरकार से मनवाने के लिए अनेक प्रकार के घोर हिंसात्मक उपायों एवं जघन्य अमानवीय साधनों एवं अस्त्र शस्त्रों का प्रयोग करते हैं। इसके अलावा आतंकवादी आटोमोबाईल बमप्लास्टिक बमस्वचालित राईफलोंमानव बमवाकीटाकी सेटोंपत्र बमोंट्रांजिस्टर बममोबाईल बमव्हीकल बमसाईकिल बम तथा अन्य तरीकों के अब पूर्णतः अभ्यस्त है। हत्याअपहरण तथा बम वर्षा तो इनकी आम बात हो गई है।

आज लगभग सम्पूर्ण विश्व में आतंकवाद व्याप्त है अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिये सार्वजनिक हिंसा और सामूहिक हत्याओं का कुत्सित रास्ता अपनाया जा रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ. केनेडीभारत की प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी तथा राजीव गाँधी शेखमुजीबबेनजीर भुट्टों आदि की नृशंस हत्याभारत के विमान आई. सी. 814 का अपहरणभारतीय संसद पर हमला अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेन्टर पेंटागन पर हमला आदि घटनायें हैं जो अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद के उल्लेखनीय उदाहरण है।

आत्मघाती हमले (Suicide Attacks)   

आतंकवाद का सबसे खतरनाक रूप है - आत्मघाती हमले अर्थात् मानव बम। क्योंकि उसे खुद मरने की परवाह नहीं होती इसलिये वह किसी भी स्थिति में भयभीत नहीं होता। मानव बम तैयार कर लेना किसी भी आतंकवादी संगठन के लिये गर्व की बात है। यह कार्य वही कर सकता है जिसमें प्राणोत्सर्ग की उच्च कोटि की भावना हो।मानव बम की बहुत कड़ी ट्रेनिंग 12 से 18 महीने की होती है। यह तेज दिमागभावुकशारीरिक रूप से उत्कृष्ठ कठोर होता है। यह एथलीट की तरह भागता भी हैउसके दिलोदिमाग में यह बात भर दी जाती है कि उनका बलिदान एक कौम को अमर बना देगा। एक देश की बुनियाद रखेगा। मिशन पर जाने से पहले मानव को बम संगठन प्रमुख के साथ पूरा एक दिन बिताता है और मुखिया का आशीर्वाद लेकर वह अपने मिशन पर निकल जाता है।

मानव बम आतंकवादियों का एक ऐसा शक्तिशाली हथियार है जिसकी काट अब तक विश्व की किसी भी सुरक्षा एजेन्सीसरकार और सेना के पास नहीं है। मरने-मारने का संकल्प लिये उच्च विस्फोटकों से लैस चलता-फिरता कोई युवक या युवती मानव बम बना वह व्यक्ति 6 से 8 किलोग्राम आर0डी0एक्स0 (RDX– Research Developed Explosives- शोध विकसित विस्फोटक) या आई00डी0 (IED– Improved Explosive Device- विकसित विस्फोटक यन्त्र) को बेल्ट में भरकर अपनी कमर से बांधे रहता है जो ब्लास्टिंग कैप और बैटरी से जुड़ी है। बेल्ट में भरे विस्फोटक का विस्फोटन इलैक्ट्रोनिक प्रणाली पर आधारित होता है जिसे मात्र एक छोटे से बटन को दबाकर विस्फोटित किया जा सकता है और वह बटन मानव बम बने व्यक्ति की सुविधाजनक पहुँच के भीतर मौजूद होता है।

ऐसे मानव बम फिलीस्तीन के हमासलिट्टेअलकायदालश्करे-तैयबाजैश--मोहम्मद आदि दुनिया के आतंकवादी संगठनों में तैयार किये जाते हैं।

राजीव गाँधी हत्याकाण्ड (Assassination of Sh. Rajiv Gandhi)

21 मई 1991 की रात को तमिलनाडू के पेरम्बदूर नामक स्थान पर श्री राजीव गाँधी को एक जन सभा को सम्बोधित करना था तब एक महिला मानव बम जिसने अपनी बेल्ट में रखे विस्फोटक पदार्थ से,फूलमाला चरणों में रखने के बहाने आत्मघाती विस्फोट करके स्वयं को और राजीव गाँधी तथा अन्य लोगों को मौत के घाट उतार दिया। यह 30 वर्षीय महिला जिसका नाम ‘धनु थालिट्टे की सदस्या थी।

आत्मघाती दस्तों की संरचना का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण

(Psycho-analysis of the organization of suicide-squades)

जान सभी प्राणियों को प्यारी होती है चाहे वह मानव जाति का हो या कोई अन्य पशु,पक्षी या जीवधारी। मनुष्य बिना किसी कारण या प्रयोजन के अपनी जान गवाना नहीं चाहताजब उसे कुछ उच्च मानव मूल्यों जैसे देश प्रेमबलिदानकुर्बानीअन्याय एवं अधर्म के खिलाफ युद्ध का उपदेश दिया जाता है तो वह कुछ सीमा तक अपनी जान की बाजी लगाने को इच्छा या अनिच्छा से राजी हो जाता है परन्तु आज के आतंकवादी ‘आत्मघाती हमलों’ के लिये कैसे तैयार हो जाते हैंजिसमें उनको शत-प्रतिशत इस बात का पक्का पता होता है कि तुमको मानव बम के रूप में प्रयोग किया जाना है और बच निकलने की कोई गुनजाईश नहीं।

इस बात का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण एवं विद्वानों के विभिन्न मतों का अध्ययन करने के बाद हम कुछ कारणों की खोज कर पाये हैं जो आतंकवादियों को आत्मघात के लिये प्रेरित करते हैं। आत्मघाती अधिकांशतः पाकिस्तानअफगानिस्तानईराकश्रीलंकाफिलिस्तीनमुस्लिम समाज से अधिक संबंधित है और उनके मन में अमेरिका जैसे देश के लिये सख्त नफरत की भावना पैदा हो गई।

क्योंकि अमेरिका ईजरायल की मदद अरब फिलिस्तीनियों के विरूद्ध करता है ईराक में उसने सद्दाम हुसैन को फांसी पर चढ़ा कर मुसलमानों को तंग कियाअफगानिस्तान में तालिबानों के खिलाफ लड़ रहा है। इसलिये विश्व के अधिकांश मुस्लिम देश अमेरिका (यू.एस..) के विरूद्ध हो गये।

आतंकवादी जन्मजात नहीं होते हैं उनके हालात मजबूरियां आतंकवादी गतिविधियों के लिये प्रेरित करती है। अपनी समस्याओं के समाधान शोषण का बदला लेने के लिये आतंकवादी गतिविधियों का सहारा लेना पड़ता है। कुछ युवाओं को धर्म संस्कृति देश की रक्षा के लिये आतंकवादी संगठनों में शामिल किया जाता है। इन्हें जेहाद का पाठ पढ़ाया जाता है। इन युवाओं के मुँह से ‘अमेरिका को मौत’, भारतीयों को मौतऔर ‘काफिरों को मौत’ आदि नारे बुलवाये जाते हैं। हष्ट पुष्ट युवाओं को कठिन आतंकवादी प्रशिक्षण दिया जाता है। यह प्रशिक्षण 12से 18 महीने का होता है। इन आत्माघाती दस्तों को प्रशिक्षण देकर फर्जी तरीके से विदेशों में भेजा जाता है ताकि वहाँ पर आतंकवाद आत्मघाती हमलों को अंजाम दे सके और मिशन को पूरा कर सके।

आतंकवादी संगठनों में शामिल होने वाले युवकों को मासिक वेतन दिया जाता है। इस वेतन से गरीब घरों के युवा सन्तुष्ट होकर आतंकवादी संगठनों में शामिल हो जाते हैं और अपनी जान की बाजी लगा देते हैं। बदले में इनके परिवार वालों को बहुत सारा धन दिया जाता है। इसके अलावा आतंकवादी संगठन का मुखिया इन युवाओं को बहुत से प्रलोभन देता है। आतंकवादी संगठन मरने वाले को ‘शहीद’ या ‘स्वतंत्राता सेनानी’ की संज्ञा देता है। उसे ‘अल्ला’ का आदमी बताता है अर्थात् मरने वाले ने अल्ला के हुक्म का पालन किया है। इसलिये उसे स्वर्ग (जन्नत) की प्राप्ति होगी। यहाँ पर यह कहना भी प्रासंगिक है कि बाबर ने पानीपत के प्रथम संग्राम (1526 0) में अपने सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए उनसे कहा था, ‘‘अगर तुम युद्ध में मारे गए तो सीधे जन्नत को जाओगे और अगर युद्ध जीत गए तो भारत जैसे वैभवशाली देश की सम्पत्ति का आनन्द लूटोगे’’

आत्मघात को प्रेरित करने वाले तत्व (कारण) (Factors or Elements responsible for the motivation of Suicide Attackers)

ये आत्मघाती गरीब परिवेश में पले होते हैं। इनके हालात मजबूरियाँ आत्मघात के लिये प्रेरित करती हैं जिनके कारण वह आत्मघाती हमले के लिये तैयार होते हैं।

यहाँ पर हमें इस बात का अध्ययन करना है कि कोई व्यक्ति आत्मघाती आतंकवादी कैसे बन जाता है क्योंकि जान सभी को प्यारी होती है पिफर ये लोग अपनी जान की कुर्बानी क्यों देते हैं। वे कौन-से तत्व हैं जिनसे प्रेरित होकर ये अपनी जान की कुर्बानी देने को तैयार हो जाते    हैं।

प्रमुख आतंकवादी समूहों (संगठनों)के नेता (प्रमुख) निम्नलिखित तत्वों (कारणों) को ध्यान में रखकर आत्मघाती दस्ते तैयार करते हैं:-

1. घोर गरीबी (Poverty)

2. अशिक्षा (Illiteracy)

3. कच्ची उम्र के नवयुवकों का चयन (Teenagers)

4. जन्नत (स्वर्ग) का झूठा आश्वासन (Illusion of ‘Jannat’)

5. जीवन के प्रति निराशा (Frustration and Desperation)

6. बेरोजगारी (Unemployment)

7. जनसंख्या वृद्धि (Over Population) इत्यादी

आत्मघाती-हमलों के लिए अलकायदा महिला ब्रिगेड तैयार

आतंकी संगठन अलकायदा पश्चिमी देशों पर हमले के लिये यमन में ऐसी महिलाओं को आत्मघाती-हमलों का प्रशिक्षण दे रहा हैजो दिखने में गैर-अरबी लगती है। अमेरिकी अधिकारियों ने यह चेतावनी देते हुए कहा कि इन्हें विमानों और उर्जा सयंत्रों पर हमलों के लिए तैयार किया जाता है।

वैश्विक आतंकवाद और संयुक्त राष्ट्र संघ

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना विश्व में शांति और सद्भावना बनाये रखने के उद्देश्य से 24 अक्टूबर 1945 को की गई थी। विश्व के अधिकतर देश अब इस संगठन के सदस्य हैं। आतंकवाद के मामले में संयुक्त राष्ट्र संघ का मानना है कि ऐसे निंदनीय कार्य के लिए विश्व में कहीं कोई स्थान नहीं होना चाहिये। इसके लिये संघ सुरक्षा परिषद के माध्यम से कार्य करता रहा है।

इस विकट समस्या के सम्बन्ध में संघ के सभी सदस्य देश यह संकल्प करते हैं कि ‘‘हम सभी रूपों में किसी भी प्रकार सेकिसी के भी द्वाराकहीं भी और किसी भी उद्देश्य सेकिये गये आतंकवाद की कठोर और साफ शब्दों में निंदा करते हैं। आतंकवाद अन्तर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिये गंभीरतम खतरों में से एक हैं।"9 और आगे कहते हैं कि ‘‘हम हर उस राष्ट्र को समर्थन और सहयोग देंगे जो संयुक्त राष्ट्र चार्टर सहित अन्तर्राष्ट्रीय विधि तथा परम्पराओं एवं मानवाधिकारों के आदेशों के अन्तर्गत आतंकवाद को रोकने और उससे लड़ने में सहयोग कर रहा होगा।’’

संघ का रूख आतंकवाद के विषय पर सख्त है। इसके बाद भी कहीं कहीं इस समस्या के समाधान में यू0एन00 उतना सक्षम नहीं दिखाई दे रहा है जितना वह हो सकता है। इसका कारण यह है कि संघ में शामिल कुछ देश ही अपने निजी स्वार्थ के चलते आतंकवादी घटनाओं का पीछे से समर्थन करते हैं। संघ आतंकवाद के खात्में में अहम भूमिका निभा सकता है जब उसे सदस्य देश खुलकर साफ मन से समर्थन करे। वर्तमान परिदृश्य में देखा जाये तो सोमालियाकांगोंअफगानिस्तानइराकभारतीय उप महाद्वीप आदि में जारी हिंसा को रोकने में यू0एन00 कारगर साबित नहीं हो रहा है।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने हिंसा (आतंकवाद) के कारण असहाय हुए बच्चों की देखभाल के लिये यूनिसेफ की स्थापना 1946 में की थी। आज यह संस्था कई देशों में गृहयुद्ध एवं आतंकवाद के चलते बेसहारा और लाचार हुए बच्चों के उत्थान के लिये कार्य कर रही है। इसी तरह आतंकवाद के कारण अपना घरबार छोड़ने को विवश हुए लोगों की सहायता के लिये भी संघ की संस्थायें कार्य कर रही हैं।

भारत आतंकवाद के विषय पर पूरी तरह संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ है। आतंकवाद की रोकथाम के लिये संघ ने जितने भी कदम उठाये हैं उन सबको भारत का समर्थन प्राप्त है।

आतंकवादी संगठनों के वित्तीय स्रोत

(Financial Resources of Terrorist Organization)

आतंकवाद के लिए धन का प्रबंधन करना (धन जुटाना) एक ऐसी भूमिगत दुनियाँ द्वारा सम्पन्न होता है जो गोपनीयताचालबाजीधोखाधड़ी और अपराधी प्रयासों द्वारा कार्य करती है। इसके साथ-साथ इस कार्य के लिए व्यक्ति को विश्व स्तर की वित्तीय प्रणाली में दक्ष होना जरूरी है और एक अच्छे दर्जे का आधुनिकतम प्रणाली से भली-भांति परिचित व्यक्ति ही धन उपलब्ध कराने का कार्य कर सकता है।

इस कार्य का उल्लेख एक समुद्री जीव ‘ऑक्टोपस’ (Octopus जिसकी आठ भुजायें अनेकों दिशाओं में फैली होती है) से किया जा सकता है। क्योंकि आतंकवादी कार्यों के लिए धन-प्रबन्धन का कार्य भी विश्व के विस्तृत क्षेत्रों में आक्टोपस की अनेकों भुजाओं की भांति फैला होता है और उसे विश्व की अनेकों वास्तविकताओं (जैसे धार्मिकसामाजिकआर्थिक और राजनैतिक) से गुजरना पड़ता है।

आतंकवादी संगठनों को धन-प्रवाह (flow of money) रोकने के लिए सभी स्तरों पर अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पड़ेगी जिससे इच्छित परिणामों को सुनिश्चित किया जा सके।

धन वह इंजिन है जो आतंकी-कार्यों को चलाता है3 और यह कहना आश्चर्यजनक नहीं होगा कि जो लोग (संगठन) आतंकवादी कार्यों को रोकनाउनमें अवरोध डालना और उनका पता लगाना चाहते हैंउनके लिए यह अति आवश्यक हो जाता है कि आतंकवाद के लिए धन जुटाने की क्रियाओं के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त की जाये।

अमेरिका पर 11 सितम्बर 2001 के आत्मघाती हमलों ने तो इस आवश्यकता को और भी अधिक महत्वपूर्ण बना दिया है। अन्तर्राष्ट्रीय पुलिस संगठन (Interpol) के अनुसार ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवादी कार्यों की आवृत्ति और गम्भीरता काआतंकी-समूहों को प्राप्त होने वाले धन सेअक्सर सीधा सम्बन्ध होता है।’’

11 सितम्बर 2001 का आतंकी-हमलाजो इतना जटिलयोजनापूर्णतैयारी के साथ क्रियान्वयन किया गयावह बिना पर्याप्त स्रोतों के सम्भव ही नहीं हो सकता था। इसके विपरीत धन की उपलब्धता में कमी इस प्रकार के आक्रमणों को अक्सर सीमित कर देती है। इस बात के पक्ष में एक उदाहरण पाकिस्तान में इस्लामाबाद स्थित मिस्र-दूतावास पर बम्बबारी का दिया जा सकता हैः-

ओसामा बिन लादेन का विश्वसनीय और निकटतम माने जाने वाले आयमन अल-जवाहिरी (Ayman al-Zawahiri) के अनुसार, ‘‘उसका समूह अमेरिका और मिस्र के मध्य हुई कुमैत्री का बदला लेना चाहता था। उनकी पहली इच्छा (लक्ष्य) इस्लामाबाद स्थित अमेरिकी दूतावास को बम से उड़ाना थाअगर यह संभव हो सके तो दूसरा विकल्प (Second choice) मुसलमानों के लिए ऐतिहासिक घृणा हेतु प्रसिद्ध एक पश्चिमी राष्ट्र का दूतावास था और उनका तीसरा विकल्प मिस्र-दूतावास था। अन्त में धन ही निर्णायक तत्व बना। अल-जवाहिरी के शब्दों में, ‘‘इस्लामाबाद स्थित मिस्र के दूतावास में बम विस्फोट के कुछ ही समय पूर्वबमबारी करने वाले समूह ने हमसे कहा कि यदि आपने हमको पर्याप्त धन दिया होता तो हम मिस्र और अमेरिका दोनों के दूतावासों को अपने आक्रमण का निशाना बनाते। हमारे पास जितना धन था वह हमने उनको दे दिया और इससे और अधिक धन हम एकत्र नहीं कर सकते थे। इसीलिए आतंकी समूह ने केवल मिस्र के दूतावास पर ही बम्बारी करने का लक्ष्य बनाया।"

एक अन्य उदाहरण

‘‘1993 में ‘वर्ड ट्रेड सेन्टर (WTC) पर बम्बारी का मूलभूत योजनाकार रैमजी यूसफ (Ramzi Yusef) जिसने अपना अपराध कबूल करते हुए कहा कि धन की कमी के कारणआतंकवादी उतना बड़ा बम्ब नहीं बना पाए जितना कि उन्होंने सोचा था।’’

इन उपर्युक्त दोनों उदाहरणों से यह तो स्पष्ट होता ही है कि आतंकवादी-कार्यों के लिए धन का प्रबन्धन (उपलब्धता)  कितनी अनिवार्य है।

आतंकवाद के लिए धन की परिभाषा

आतंकवाद के लिए धन जुटाने को समाप्त करने हेतु अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में ‘आतंकवाद के लिए धन’ को निम्न शब्दों द्वारा परिभाषित किया गयाः-

‘‘हर प्रकार की मूल्यवान वस्तु या सम्पत्तिचाहे वह मूर्त (स्पर्शनीय) हो अथवा अमूर्त (अस्पर्शनीय)चल हो या अचलचाहे प्राप्त ही क्यों की गई होऔर वैधानिक प्रमाण-पत्र अथवा किसी भी प्रकार (रूप) के साधनइलैक्ट्रोनिक अथवा डिजिटल यंत्रों को सम्मिलित करते हुएकिसी संदर्भ का साक्ष्य / प्रमाण / सबूतअथवा किसी वस्तु या प्राणी में रूचिइस प्रकार की मूल्यवान वस्तु अथवा सम्पत्ति शामिल करना किन्तु सीमित नहींबैंक में जमा धनयात्री चैकमनी आर्डरशेयरसिक्योरिटीजबॉण्ड्स (Bonds), ड्राफ्रट्स (Drafts), क्रेडिट पत्र ये सभी आतंकवाद के लिए धन (funds for terrorism) की परिभाषा के अन्तर्गत आते हैं।’’

आज आतंकवाद वित्तीय साधनों और विभिन्न गतिविधियों के संदर्भ में विश्वस्तरीय (Global) पहुँच बना चुका है। अमेरिका द्वारा आतंकवादियों के वित्तीय संसाधनों को जब्त करने के उपायों के जवाब में अल-कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका को खुले विरोधी तेवर दिखाते हुए अतिशयोक्ति पूर्ण लहजे में कहा कि, ‘‘अल्लाह की कृपा से, (By the grace of Allah) अल-कायदा के पास तीन से अधिक विभिन्न वित्तीय नेटवर्कों के विकल्प मौजूद हैं।’’ उसने आगे कहा कि ‘‘अल-कायदासुशिक्षित नवयुवकों द्वारा सम्पूर्ण दुनियाट्ट में पफैला हुआ है। हमारे पास सिपर्फ कुछ सैंकड़ों या हजारों की संख्या में नहीं बल्कि लाखों की संख्या में उच्च-शिक्षित नवयुवक हैं जो संगठन के वित्तीय साधनों से भली-भांति परिचित और जागरूक हैं और विकल्पों को भली-भांति जानते हैं।’’

अमेरिका के अटोर्नी जनरल जोन एश्क्रोफ्ट (Attorney General John Ashcroft) ने कहा कि ‘‘आतंकवाद के विरूद्ध युद्धएकाण्टेण्ट्स और आडिटर्स के साथ-साथ हथियारों और वकीलों द्वारा लड़े जाने वाला युद्ध है।’’

आतंकवाद के लिए वित्तीय साधनों को प्राप्त करने की विधियों में अक्सर वैधानिक और अवैधानिक दोनों संसाधनों का मिश्रण होता है। इस मिश्रण में व्यक्तिगत प्रयासों की पहचान नहीं होती है और परस्पर दोनों भी एक-दूसरे से अनजान बने रहते हैं। एक तरफ तो धन वैधानिक धर्मार्थ संगठनों से आता है जबकि इसके विपरीत दूसरी तरफ धन क्रेडिट कार्ड फ्रॉडतस्करी (Smuggling), सुरक्षित घोटालोंडरा धमका कर धन वसूलना आदि गलत कार्यों से धन आता है।

विभिन्न आतंकवादी संगठन अपनी गतिविधियों को सम्पन्न करने के लिये जिन वित्तीय साधनोंस्रोतोंविधियों और विविध मार्गों का प्रयोग करते हैं वह निम्नलिखित हैं-

1. आतंकवादियों को विभिन्न धर्मार्थ एवं धामिक संगठनों (चैरीटेबिल ट्रस्टों) से धन प्राप्त होता है।

2. आतंकवादियों को राजनीतिक नेता लोगों से आर्थिक मदद मिलती है।

3. आतंकवादियों को विश्व के कई देशों से आर्थिक मदद मिलती है।

4. किसी प्रतिष्ठित या ऊँचे पद पर विराजमान व्यक्ति को डरा धमकाकर धन वसूल किया जाता है।

5. धर्म के नाम पर कट्टरपंथी कठमुल्लों द्वारा आतंकवादियों को वित्तीय सहायता दी जाती है।

6. मादक पदार्थों की तस्करी (गांजाअफीमहिरोईनअमलचरसस्मैक आदि) द्वारा आतंकवादियों को धन प्राप्त होता है।

7. छोटे बड़े हथियारों की तस्करी द्वारा आतंकवादियों को धन प्राप्त होता है।

8. किसी नेता या फिल्मी हस्ती को ब्लैकमेल करके उनसे धन प्राप्त किया जाता है।

9. इस्लामिक बैंक एवं मस्जिदों चर्चों से आतंकवादियों को धन मिलता है।

10. सत्ताधारी सरकार के विरूद्ध (आगजनीलूटपाटडकैतीविस्फोटअपहरण आदि गलत कार्य करने पर आतंकवादियों को विभिन्न संगठनों द्वारा (विरोधी पार्टी)वित्तीय सहायता प्राप्त होती है।

11. विश्व के विभिन्न प्रकार के गैर कानूनी कार्यों द्वारा आतंकवादियों को आर्थिक सहायता मिलती है।

12. सोना-चाँदीहीरे-जवाहरात आदि वस्तुओं की तस्करी से आतंकवादियों को धन प्राप्त होता है।

13. विश्व के विभिन्न पूँजीपति लोगों (बिजनेस मैन) से आतंकवादियों को धन प्राप्त होता है।

14. आतंकवादियों के लिये ‘धन वह इंजन है’ जिसके माध्यम से विभिन्न आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं। धन के अभाव में यह अपने लक्ष्य या उद्देश्य को मूर्त रूप नहीं दे सकते    हैं।

15. आतंकवादियों को विश्व में विभिन्न संगठनों द्वारा विभिन्न प्रकार की सहायता दी जाती है जैसे वस्तुयें देकर या उपलब्ध कराकरसोना- चाँदीहीरे-जवाहरात देकरनशीले पदार्थ  देकरहथियार देकरनकद आर्थिक सहायता देकरविस्फोटक पदार्थ देकर मूलभूत आवश्यकताओं को उपलब्ध कराकर इनको सहायता दी जाती है।

16. ‘जकत’ (गरीबों को रोटीकपड़ा और धन इत्यादि) का दान देना। यह इस्लाम धर्म का पांचवा स्तम्भ है। गरीबों के नाम पर जो पैसा एकत्र होता है उसको आतंकवादियों तक पहुँचा दिया जाता है, ‘हवाला’ और ‘कोरियर’ (जब धन का लेन-देन अवैधानिक तरीकों द्वारा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक अथवा एक पार्टी से दूसरी पार्टी तक पहुचाया जाता है तो उसे हवाला (Hawala) कहते हैं जबकि वैधानिक तरीके से धन का लेन-देन बैंकों के द्वारा होता है। आतंकवादी संगठन हवाला के मार्गों से पैसा का लेन-देन करते हैं क्योंकि इसमें समय भी कम लगता है और इसमें विश्वसनीयता भी ज्यादा है क्योंकि यह गुप्त रहता है और किसी सरकार को इस लेन-देन का पता भी नहीं लगता है) विभिन्न धर्मार्थ संगठनों के नाम पर आर्थिक सहायता प्राप्त करते हैं।

17. अवैध शस्त्र व्यापार से भी आतंकवादियों को वित्तीय सहायता मिलती है।

18. आज विश्व के विभिन्न संगठन आतंकवादियों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता कर रहे हैं। जिस संगठन के पास नकद धन राशि हैवह नकद धन राशि दे देता है। और जिस संगठन के पास नकद धन राशि नहीं है वह आतंकवादियों को कोई वस्तु या धातु या पदार्थ या अन्य सामग्री किसी किसी रूप में भेंट करके आतंकवादियों की प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से सहायता करते हैं।

19. अफीम जैसे मादक पदार्थों कीकृषि उत्पादन से आतंकवादियों को वित्तीय सहायता मिलती है।

20. पाकिस्तान की I.S.I. (इन्टर सर्विस इन्टेलीजेन्स) ख़ुफ़िया एजेन्सी से आतंकवादियों को वित्तीय सहायताहथियार प्रशिक्षण मिलता रहा है। भारत में मुम्बई हमला 1993 मुम्बई हमला 26 नवम्बर 2008 आदि में पाकिस्तान का हाथ रहा है। पाकिस्तान हमेशा भारत के विरुद्ध आतंकवादियों को आर्थिक सहायता देता आया है।

नोटः- उपर्युक्त बातों से स्पष्ट होता है कि आतंकवादियों के वित्तीय स्रोतोंमार्गोंसाधनों पर प्रतिबंध लगाकर आतंकवाद पर काबू पाया जा सकता है।

 

निष्कर्ष

आज सम्पूर्ण विश्व के लिये आतंकवाद व आत्मघाती हमले एक गम्भीर चुनौती है। आत्मघाती व आतंकवादी गतिविधियों के सन्दर्भ में सभी का कर्तव्य है कि विश्व-बन्धुत्व की भावनाजाग्रित कर सभी आतंकवादी संगठनों को नष्ट करने का प्रयास करें। आत्मघाती-हमलों व आतंकवाद को समाप्त करने के लिये निम्नलिखित सुझाव दिये जा सकते हैं:- 1. राष्ट्रीय समस्याओं पर आम सहमति निर्मित करना 2. शासन और जनता के बीच व्यापक सहयोग 3. कानून और न्याय व्यवस्था में सुधार 4. राजनीतिक स्तर पर बन्धुत्व / भाईचारा (Brotherhood) की भावना को प्रोत्साहन 5. सामाजिक-आर्थिक न्याय की स्थापना के प्रयास 6. नैतिकता का विकास 7. राज्य सरकार और केन्द्र सरकार दोनों में अच्छा समन्वय 8. सुरक्षा बलों का आधुनिकीकरण एवं सशक्तिकरण 9. राष्ट्र की सुरक्षा को प्राथमिकता 10. आतंकवादियों को मिलने वाली विदेशी सहायता पर प्रतिबंध 11. विभिन्न समस्याओं का समाधान 12. अवैध शस्त्र व्यापार पर प्रतिबंध 13. स्वच्छ राजनीति 14. आर्थिक क्षेत्र में संतुलित विकास करना 15. मादक पदार्थों की तस्करी पर रोक 16. शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाये 17. आतंकी समूहों से वार्तालाप 18. आतंकवाद के धन-प्रबन्धन स्रोतों, विभिन्न विधियों एवं मार्गों पर प्रभावशाली रोक लगाकर

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची

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10. लेखक एस. के. शिवा, "काउण्टर टैरोरिज्म,  2003  थर्स प्रेस, लक्ष्मीनगर , दिल्ली