P: ISSN No. 2231-0045 RNI No.  UPBIL/2012/55438 VOL.- XII , ISSUE- III February  - 2024
E: ISSN No. 2349-9435 Periodic Research

कोविड-19 महामारी काल में आपराधिक गतिविधियां: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन (सागर जिले के विशेष संदर्भ में)

Criminal Activity in the Covid-19 Pandemic Period: A Sociological Study (with Special Reference to Sagar District)
Paper Id :  18549   Submission Date :  09/02/2024   Acceptance Date :  19/02/2024   Publication Date :  25/02/2024
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DOI:10.5281/zenodo.10804215
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प्रियंका यादव
शोधार्थी
समाजशास्त्र एवं समाज कार्य विभाग
डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय
सागर,मध्य प्रदेश, भारत
दिवाकर सिंह राजपूत
प्रोफेसर
समाजशास्त्र एवं समाज कार्य विभाग
डाॅ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय
सागर, मध्य प्रदेश, भारत
सारांश

कोविड-19 महामारी के कारण समाज के प्रत्येक क्षेत्र में परिवर्तन आया है, और यह स्वाभाविक है कि आपरधिक गतिविधियों भी इसी का हिस्सा है। इस महामारी ने जिस प्रकार से हमारे सामाजिक, सॉस्कृतिक, राजनैतिक और आर्थिक जीवन को प्रभावित किया है, यह किसी से भी छिपा नहीं है। जैसा कि कहा जाता है कि परिवर्तन प्रकृति का नियम होता है, फिर चाहे वह आपदा के रूप में हो सकता है, या फिर अवसर के रूप में। चूंकि कोविड-19 महामारी ने मानवीय चेतना के प्रति जो अपना भयावह रूप दिखाया है. उसको नकारा नहीं जा सकता है, क्योंकि दशको से चली आ रही, स्थिरता को अस्थिरता में बदलने का अय इस महामारी को जाता है। इसने हमारे व्यवहार, जीवन-यापन, निजी और सार्वजनिक जगत में जो परिवर्तन किया है. उसका हमें अनुमान भी नहीं हो सकता था। इसी का एक परिणाम है. आपराधिक गतिविधियों, जो निश्चिन रूप से महामारी के पहले भी हमारे देश, समाज के लिए घातक थी, और महामारी के बाद और भी घातक हो गई हैं। अपराध समाज की वह दुविधा है, जिसका समाधान केवल मानव का अंतर चेतन मन दे सकता है, लेकिन महामारी के कारण जिस प्रकार से पहले से नियोजित आपराधिक गतिविधियों बढ़ी है, उसका निदान होना अत्याधिक आवश्यक है। अपराध समाज का प्रतिकूल हिस्सा है, जिससे समाज अपने उदभव से झेलता आ रहा है। अपराध पल-प्रतिपल अपना स्वरूप बदलता रहता है। फिर चाहे वह चोरी डकैती, महिला अपराध, बाल अपचार या फिर कोविड-19 महामारी के कारण बढे ऑनलाइन या साइबर अपराध ही क्यों न हो। यहां प्रस्तुत करने का तात्पर्य यह है कि महामारी ने अपराध के स्वरूप में व प्रकार में परिवर्तन लाया है।

सारांश का अंग्रेज़ी अनुवाद Summary: The COVID-19 pandemic has brought about significant changes in every aspect of society, impacting social, cultural, political, and economic life. This pandemic, a manifestation of natural change, has shown its formidable impact on human consciousness. The instability it introduced has transformed our behavior, lifestyle, and the private and public spheres in ways previously unforeseen. The consequences include an increase in criminal activities, which were already detrimental to the nation and society before the pandemic, now exacerbated. Crime is a societal dilemma that only human introspection can address, but the surge in pre-existing criminal activities due to the pandemic emphasizes the urgent need for resolution. Crime is an adverse part of society, continually evolving, whether it be theft, robbery, crimes against women, child abuse, or the rise of online or cybercrimes in the context of the COVID-19 pandemic. The presentation aims to highlight the changes brought about by the pandemic in the nature and types of criminal activities.
मुख्य शब्द कोविड-19 महामारी, महामारी, अपराध, आपराधिक गतिविधियां।
मुख्य शब्द का अंग्रेज़ी अनुवाद Covid-19 pandemic, pandemic, crime, criminal activities
प्रस्तावना

जब-जब देश, दुनिया, समाज में मानव त्रास देने वाली महामारी आती है तब हमारे समाज को सजग और लड़ने योग्य बनाकर जाती है। ऐसी ही महामारी रही है, कोविड-19 महामारी, जो 21वीं सदी की सबसे बड़ी और भयावह आपदा के रूप में व चुनौती बनकर हमारे सामने आयी, जिसने मानव्हास तो किया ही साथ ही हमारे नैतिक मूल्यों और परंपराओं को भी चुनौती दी, परंतु भारतीय समाज हमेशा से ही आपदा में अवसर तलाशने का कार्य करता आया है। महामारी के दौरान समस्याएं एवं चुनौतियों गहरी थी, प मानवीय क्षति को भी हमने झेला है, परंतु महामारी की चुनौती के कारण हम आत्मनिर्भर और सजग भी हुये है। भारतीय समाज के सामने आपराधिक गतिविधियों हमेशा से ही एक गंभीर चुनौती रहीं है, और हमारा समाज अपराध से लड़ता आया है, और अपराध की चुनौती कोविड-19 महामारी के दौरान और भी गंभीर हो गई, जब घरेलू हिंसा जैसे मामलों में बढ़ोत्तरी हुई, क्योंकि लॉकडाउन लगने के कारण पारिवारिक गतिविधियों भी प्रभावित हुई, जिसके कारण घरेलू हिंसा जैसे मामले भी बढ़े। चूंकि बदलते सामाजिक परिवेश में, जहां आज का दौर जानकारी, संचार और तकनीकी का है, यहां आपराधिक गतिविधियों में परिवर्तन होना भी स्वाभाविक है। महामारी के कारण अपराधों में अब साइबर अपराध अधिक देखने को मिलते हैं। यहां प्रस्तुत करने का तात्पर्य यह है कि लॉकडाउन के दौरान पारिवारिक गतिविधियाँ जहां सुद्ध हुई, वहीं अधिकतर इन्होनें घरेलू हिंसा जैसे मामलों को भी बढ़ाया है। ऑनलाइन जानकारी एकत्रित कर धोखाधड़ी करना, व्यक्ति की निजी जानकारी चुरा कर उसका दुरूपयोग करना आदि, ऐसे कई प्रकार के साइबर अपराध इस महामारी के दौरान बढ़े है। यहां यह तात्पर्य है कि जब से तकनीकी का प्रयोग पूर विश्व में आरंभ हुआ, तब से अपराध का क्षेत्र इससे से अछूता नहीं है, लेकिन महामानी ने इसके ऑनलाइन प्रयोग को काफी हद तक बढ़ा दिया है।

किसी भी देश समाज की सामाजिक, आर्थिक व राजनैतिक परिस्थितियों उसक लेकिन आपराधिक गतिविधियों देश समाज के साथ मानव मन, मस्तिष्क को भी प्रभावित 2/11 अपराध केवल एक अनैतिक कृत्य नहीं है, वरन्। यह एक व्यक्ति के द्वारा समाज के मूल्य, मानदंडो के प्रति किया जाने वाला वह प्रयास है, जो पूर्णतया दंडनीय और अनैतिकतापूर्ण है।

कोरोना महामारी- कोरोना वायरस कोविड-19 SARS-CoV-2 वायरस के कारण होने वाला एक संकामक रोग है। वायरस से संकमित अधिकांश लोग हल्के से मध्यम श्वसन रोग का अनुभव करेगें और विशेष उपचार की आवश्यकता के बिना ठीक हो जायेगें। हालांकि, कुछ गंभीर रूप से बीमार हो जायेगें और उन्हें चिकित्सीय ध्यान देने की आवश्यकता होगी।'

अपराध ऐसा कृत्य जो भारतीय दण्ड संहिता या यथा परिभाषित विशेष या स्थानीय विधि के अन्तर्गत दण्डनीय हो अपराध कहलाता है, अथवा ऐसा कृत्य या कार्य जिसके करने से किसी स्थान विशेष के कानून का उल्लंघन होता है, उसे अपराध कहा जाता है। इसी तरह विधि द्वारा निषिद्ध घोषित किये गए मानव आचरणों को अपराध कहा जाता है।

अध्ययन का उद्देश्य

1. कोविड-19 महामारी के दौरान अपराध के बदलते स्वरूप का अध्ययन करना।

2. कोविड-19 महामारी से परिवर्तित आपराधिक गतिविधियों का अध्ययन करन

3. कोविड-19 महामारी के दौरान बढ़े साइबर अपराधों का अध्ययन करना।

4. कोविड-19 महामारी के दौरान बढ़े आईसीटी (ICT) के प्रयोग का अध्ययन करना।

5. कोविड-19 महामारी के दौरान बढ़े घरेलू अपराधों का अध्ययन करना।

साहित्यावलोकन

मिलर मिशेल, ब्लमस्टीन, अमेरिकन जर्नल ऑफ क्रिमिनल जस्टिस खंड 45, पृष्ठ 515-524, 2020 अपराध, न्याय और कोविड-19 महामारी; एक राष्ट्रीय अनुसंधान एजेंडा की ओर अध्ययन के द्वारा यह बताने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार अपराध और न्याय व्यवस्था के लिए कोविड-19 महामारी एक गंभीर चुनौती बन गई है। महामारी के दौरान पारंपरिक अपराध, घरेलू अपराध भी बढ़े है चतुर्थ बोमन एच जोन, गैलुपे ओवेन, अमेरिकन जर्नल ऑफ किमिनल जस्टिस खंड 45, पृष्ठ 537-545, 2020 क्या कोविड-19 ने अपराध को बदल दिया है? महामारी के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में अपराध दर- इस अध्ययन के माध्यम से बताया गया है कि अपराध की दर में किस प्रकार बढ़ोत्तरी हुई है, हालाँकि छोटे अपराधों के स्तर में कमी आई है, लेकिन गंभीर स्तर के अपराध बढ़ गये है। लॉकडाउन की स्थिति में अपराध के छोटे स्तरों को तो आसानी से मापा जा सकता है, लेकिन गंभीर कृत्य अवांछनीय ही है।"

कृष्यकुमार अक्षय, वर्मा शैकी, एशियन जर्नल ऑफ किमिनोलॉजी खंड 16, पृष्ठ 19-35,2021, कोविड-19 के दौरान भारत में घरेलू हिंसा को समझना: एक नियमित गतिविधि दृष्टिकाण- अध्ययन के द्वारा बताने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार लॉकडाउन लगने के कारण अपराधियों को घरेलू हिंसा को बढ़ाने का मौका सा मिल गया, और कारण कि लॉकडाउन के कारण बेरोजगारी और शराब आदि।

माजी सुचरिता, बंसोड सौरभ, सिंह तुषार, जर्नल ऑफ कम्युनिटी एंड एप्लाइड साइकोलॉजी खंड 32. अंक 3,पी 1374-381 2021, कोविड-19 महामारी के दौरान घरेलू हिंसाः भारतीय महिलाओं के लिए मामला- अध्ययन के आधार पर यह बताने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार महामारी के दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़ गये है। यह अत्यंत चिंता और सोचनीय विषय बन गया है। 5. शक्तिवेल पिराबू, राजेश्वरी, मल्होत्रा निपुण ईश प्रणय, स्नातकोत्तर मेडिकल जर्नल, खंड 98, अंक ई2, मार्च 2022, डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा: भारत में कोविड-19 महामारी के बीच एक उभरती महामारी- इस अध्ययन के माध्यम से यह प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है कि महामारी के दौरान किस प्रकार डाक्टरों, स्वास्थकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार किया गया। कार्यस्थल पर इनके साथ हिंसा जैसी अनैतिक घटनाएं हुई।'

मुख्य पाठ

अध्ययन का क्षेत्र प्रस्तुत शोध पत्र में अध्ययन क्षेत्र के लिए सागर जिले की बीना एवं बंडा तहसील को चयनित किया गया है। सागर जिला मध्यप्रदेश के उत्तर मध्य और देश के मध्य भाग में स्थित है, सागर जिला। सागर जिले के उत्तर में झॉसी, दक्षिण में नरसिंहपुर और रायसेन, पश्चिम में विदिशा तथा पूर्व में दमोह जिले की सीमाएँ लगती है। यह जिला बुंदेलखंड का प्रमुख जिला है, औद्योगिक स्थिति, आधारभूत संरचना उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से सागर जिला काफी समन्न है। सागर जिला सागर संभाग के अंतर्गत आता है, सागर जिले में 12 तहसील है। सागर जिला मध्यप्रदेश के उत्तर मध्य क्षेत्र में बसा है। य 23' डिग्री 10 और 24 डिग्री 27' उत्तरी अक्षांश और 78 डिग्री और 79 डिग्री 21° पूर्वी देशांतर के बीच बसा हुआ है।

सागर जिले के अतर्गत आने वाली बीना और बंडा तहसील भू-क्षेत्र और जनसंख्या की दृष्टि से समृद्ध है। बीना तहसील की कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार 1,96,680 है, एवं इसका कुल क्षेत्रफल 733.17 किमी है। यह क्षेत्र मुख्यतया मध्यप्रदेश के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में स्थित मालवा के पठार पर स्थित है।

सागर जिले के अतंर्गत आने वाली बंडा तहसील जनसंख्या और क्षेत्रफल की दृष्टि से परिपक्व है। बंडा की कुल जनसंख्या 2011 के अनुसार 2,02,594 है. एवं यहां का कुल क्षेत्रफल 1,020 किमी है। बंडा तहसील स्थानीय शासन संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और अपने स्थानीय समुदाय के विकास और प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

सामग्री और क्रियाविधि

अध्ययन पद्धति एवं अध्ययन तकनीक प्रस्तुत अध्ययन प्राथमिक एवं द्वितीयक तथ्यों पर आधारित है।

प्राथमिक तथ्य संकलन हेतु साक्षात्कार अनुसूची एवं प्रश्नावली का प्रयोग किया गया है। द्वितीयक तथ्यों के संकलन हेतु पुस्तकालय, संबंधित शोध, इंटरनेट, समाचार पत्र-पत्रिकाएं आदि का प्रयोग किया गया है। प्रस्तुत शोध के लिए 50 उत्तरदाताओं का चयन स्नोबॉल संपलिंग के द्वारा किया गया है। इनमें से 25 उत्तरदाताओं को सागर जिले के अन्तर्गत आने वाली बीना तहसील से जिसमें बीना थाना से सब-इंस्पेक्टर, प्रधान आरक्षक एवं आरक्षक उत्तरदाता से तथ्य एकत्रित किये गए एवं 25 उत्तरदाताओं को सागर जिले के अन्तर्गत आने वाली बंडा तहसील से जिसमें बंडा थाना से सब-इंस्पेक्टर, प्रधान आरक्षक एवं आरक्षक उत्तरदाता से तथ्य संकलन किया गया है। तथ्यों के वर्गीकरण एवं सारणीयन हेतु विभिन्न सांख्यिकीय एवं शोध विधियों का प्रयोग किया गया है।

विश्लेषण

प्राप्त ऑकड़ो के आधार पर यह कहा जा सकता है कि उत्तरदाताओं में से 70 प्रतिशत पुरूष उत्तरदाता एवं 30 प्रतिशत महिला उत्तरदाताएं हैं। जो अध्ययन के लिए तालिका क्रमांक-1.01 की आवश्यकता की पूर्ति करता है।

 

प्राप्त ऑकड़ों के आधार पर स्पष्ट होता है कि 20-30 वर्ष की आयु के 40 प्रतिशत उत्तरदाता, 30-40 वर्ष की आयु के 30 प्रतिशत उत्तरदाता, 40-50 वर्ष की आयु के 20 प्रतिशत उत्तरदाता एवं 50-60 वर्ष की आयु के 10 प्रतिशत उत्तरदाता ही इसमें सम्मिलित है।

 

प्राप्त ऑकड़ों के आधार पर कह सकते है कि 12वीं कक्षा के 40 प्रतिशत उत्तरदाता, स्नातक स्तर के 40 प्रतिशत उत्तरदाता एवं 20 प्रतिशत उत्तरदाता स्नातकोत्तर के है। शिक्षा के स्तर के आधार पर आरक्षक पद के उत्तरदाता सर्वाधिक है।

 

प्राप्त ऑकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि पद में सर्वाधिक आरक्षक पद के, उसके बाद प्रधान आरक्षक एवं सबसे कम उप-निरीक्षक पद के उत्तरदाता है। पद के आधार पर कहा जा सकता है कि महामारी के दौरान व बाद में मानव सेवाओं को प्रधानता  मिली है। सर्वाधिक उत्तरदाताओं का आरक्षक पद पर  होना यह दर्शाता है कि वर्तमान समय में युवा पीढ़ी अपने कर्तव्यों के प्रति सजग हुई है।

 


प्रस्तुत ऑकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि महामारी का केवल सकारात्मक प्रभाव पड़ना असंभव है। महामारी का सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव उत्तरदाताओं पर पड़ा है। महामारी ने न सिर्फ जीवन के जीने का तरीका बदला है, बल्कि हमारे व्यवहार जगत को भी प्रभावित किया है।

 


तालिका के आधार पर कह सकते है कि महामारी के दौरान आपराघिक गतिविधियों में बढ़ोत्तरी हुई है, क्योंकि प्राप्त आंकड़ों से ज्ञात हुआ है कि इस दौरान घरेलु हिंसा से जुड़ें मामलों में वृद्धि हुई है, और जो 14 प्रतिशत उत्तरदाता कह रहे है कि इस दौरान आपराधिक गतिविधियॉ कम हुर्ह, यहां तात्पर्य यह है कि छोटे प्रकार के मामलो जैसे चोरी, पिक पॉकटिंग आदि कम हुये है।

 


प्राप्त आंकड़ों के द्वारा यह कहा जा सकता है कि 84 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि महामारी के अपराध के स्वरूप में परिवर्तन आया है, जबकि 16 प्रतिशत का मानना है कि अपराध का स्वरूप परिवर्तित नहीं हुआ हैं। अपराध के स्वरूप में परिवर्तन से यह तात्पर्य है कि साइबर अपराध महामारी के दौरा बढें है।

 


प्राप्त ऑकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि कोविड-19 महामारी के दौरान साइबर अपराध सबसे ज्यादा घटित हुये, वही घरेलू अपराध भी महामारी के दौरान घटित हुये, एवं चोरी और डकैती जैसी समस्याएं या अपराध महामारी के दौरान सबसे कम सामने आये, जिसका कारण लॉकडाउन था। वर्क फ्राम के कारण लोग अपने घरों पर रहे, जिसके कारण चोरी जैसे अपराध कम ही सामने आए।

 



प्राप्त ऑकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है, कि अपराध घटित होने के मुख्य कारणों में मानसिक अवसाद एवं सामाजिक दवाब दोनों ही है। कोविड-19 महामारी के कारण लोगों का सामाजिक और व्यवहारिक जीवन बदल गया है। जहां इस दौरान मानसिक अवसाद ने लोगों को डिप्रेशन जैसी स्थिति में पहुॅचाया, वहीं महामारी के बाद सामाजिक दवाब में आकर लोगों ने अनैतिक आचरण को भी अपनाया, और अपराध जैसी गंभीर समस्या को और बढ़ा दिया है। 

 


प्राप्त ऑकड़ों के आधार पर यह ज्ञात होता है कि 100 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना है कि महामारी के दौरान ऑनलाइन अपराध बढ़े है, एवं इससे काफी ज्यादा लोग प्रभावित हुये है। यहां कहने का तात्पर्य यह है कि महामारी के पहले भी साइबर क्राइम जैसी समस्या देश-दुनिया में विद्यमान थीं, परंतु कोरोना महामारी के आने के बाद यह समस्या और भी गंभीर हो गई है। आज प्रत्येक व्यक्ति के हाथ में मोबाइल, कम्प्युटर, लैपटॉप, टैब आदि से उपलब्ध है, जिसके कारण इसकी उपलब्धता सहज हो जाने से इन ऑनलाइन अपराधों में बढ़ोत्तरी हो रही है।

निष्कर्ष

प्रस्तुत शोध अध्ययन के आधार पर यह निष्कर्ष प्राप्त होता है कि कोरोना महामारी ने हमारे जीवन में सामाजिक एवं आर्थिक अस्थिरता को बढ़ाया तो दिया ही है, साथ ही साथ इसने हमारे नैतिक मूल्यों और मानदंडों को भी प्रभावित किया है, अर्थात् समाज में बढ़ते अपराध और धार्मिक मूल्यों के प्रति बढ़ती भी अनैतिकता आई है। अपराध प्राचीन काल से हमारे समाज का यह अनैतिक और दंडनीय कार्य है, जो अराजकता और हिंसा का घोतक रहा है। समय दर समय अपराध ने अपना स्वरूप बदला है, क्योंकि यह समय तकनीकी का है, और जिस प्रकार से देखा जा रहा है कि अपराध भी तकनीकी रूप ले रहे है, जैसे कि ऑनलाइन धोखाधड़ी, फाड, जानकारी का दुरूपयोग आदि कई तरह के अपराध है, जो समाज में मौजूद है। प्राचीन समय में लोगों द्वारा चोरी, डकैती, हत्या आदि अपराध किये जाते थे, लेकिन आज वर्तमान समय में अंतर केवल तकनीकी का है, क्योंकि आज के समय में अपराध को अंजाम देना बहुत आसान हो गया है। साइबर अपराध को बढ़ावा मिला है, महामारी के दौरान और बाद में, क्योंकि जिस प्रकार से सम्पूर्ण विश्व ने लॉकडाउन जैसी स्थिति को देखा और वर्क फाम होम जैसे पैर्टन को अपनाया, जिसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सके कि महामारी के कारण लोगों का काम प्रभावित न हो, और इस हेतु मोबाइल के उपयोग को बढ़ावा दिया गया, जिससे कि लोगों द्वारा उनकी जॉब, नौकरी के कार्य को सही ढंग से किया जा सके।

यहां केवल महामारी के दौरान घटित ऑनलाइन अपराध की स्थिति को दर्शाया गया है, यह कहना गलत होगा, क्योंकि जिस प्रकार से इस बीमारी के दौरान लोग लॉकडाउन लगने के कारण अपने-अपने घरों पर रहे, इसके कारण भी घरेलु अपराध बढ़े, महिलाओं के प्रति होने वाले यह अपराध इस महामारी के दौरान सामने आये। इस दौरान परिवार में एकजुटता तो आई, पर कई प्रकार की पारिवारिक समस्याएं भी सामने आई। अपराध को केवल शारीरिक और सामाजिक रखना सही नहीं है, क्योंकि अपराध व्यक्ति को मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है, और यह समस्या महामारी के दौरान ज्यादातर लोगों में सामने आई, व्यक्ति महामारी की गंभीर समस्या से ग्रसित होकर अपराध जैसी स्थिति को अंजाम तक पहुँचानें में भी संकोच नहीं करता है। अपराध केवल समाज को हानि नहीं पहुंचाता है, वरन् इसके द्वारा देश-दुनिया प्रभावित रहती है। जिस प्रकार से समाज में एक व्यक्ति का बचपन से अपने परिवार, स्कूल से समाजीकरण शुरू हो जाता है, जिससे कि वह समाज के हर छोटे-बढ़े पहलुओं को जान पाये, और समाज के प्रति अपने व्यवहार को कर्तव्य और मान समझकर अपना कार्य करें, लेकिन कुछ असामाजिक परिस्थितियों के कारण व्यक्ति समाज से विमुख हो, पतन के रास्ते पर चलता है, और जो उसे अपराध के मार्ग पर ले जाता है।

आपराधिक गतिविधियां केवल मानवीय अस्थिरता का कारण है, यह पूर्णतया सही है, क्योंकि अपराध करने वाला व्यक्ति समाज के मूल्यों, मानदंडों को ही चुनौती नहीं देता है, बल्कि स्वंय के प्रति भी अपराध करता है, और निजता को ठोस पहुंचाता है। पुलिस द्वारा कार्य किया जाता है कि जिसने अपराध को अंजाम दिया, उसे सजा दिलाकर समाज के सामने सीख रखना कि अपराध केवल स्वंय कि निजता का उल्लघन नहीं है, वरन् लोगों के व्यवहार जगत के लिए सीख है, कि अपराध करना पाप है, यह हमारे भारतीय संस्कृति में प्रेरित है कि अपराध करना और होते देखना दोनों दंडनीय है। हमारे सामने कभी परिस्थिति जन्य अपराध भी आते है, जिसमे न चाहते हुये भी व्यक्ति अपराध को अंजाम देता है, जैसे कि एक व्यक्ति में शारीरिक दुर्बलता है, और बार-बार इस बात का अहसास करवाया जाता है, समाज से बहिष्कृत कर दिया जाता है, जिससे कि उसमें बदले की भावना उत्पन्न होती है, और अपराध का स्वरूप धारण कर लेती है।

अपराध व्यक्ति की मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है, क्योंकि किस प्रकार महामारी के दौरान घरेलू हिंसा के मामले बढ़े, लोगों की नौकरी, काम-धंधे छूट गये, जिसके कारण मानसिक अवसाद की स्थिति पैदा हुई, और घरेलू विवाद जैसे मामलें हमारे सामने आये। आपराधिक गतिविधियां किस प्रकार परिस्थिति जन्य रूप से हमारे जीवन को प्रभावित करती है, यह हमने महामारी के दौरान जाना है कि किस प्रकार अनुकूलता को अपनाने के समय में कारणवश प्रतिकूलता आ जाती है। यहां अपराध के स्वरूप को महामारी के दौरान मानसिक अवसाद के रूप में और ये अपराध जो हमारे समाज को प्राचीन काल से किसी न किसी रूप से अनैतिक रूप से प्रभावित करते आ रहे है। हमारे भारतीय कानून में अपराध दंडनीय है, और यह हमें समाज के प्रति अपने कर्तव्य की सही भूमिका का निर्वाहन करने और अपराध को न करने की सीख भी देता है।

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4 चतुर्थ बोमन एच जोन, गैलुपे ओवेन, 2020 क्या कोविड-19 ने अपराध को बदल दिया है? महामारी के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका में अपराध दर, अमेरिकन जर्नल ऑफ किमिनल जस्टिस खंड 45. पृष्ठ 537-545

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